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Pithoragarh: जिला अस्पताल में बने क्लीनिम का सीएमओ और पीएमएस ने किया शुभारंभ, शुगर से जूझ रहे बच्चों को मिलेगा निशुल्क इलाज
अब जन्म से ही शुगर जैसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे बच्चों के इलाज के लिए अभिभावकों को भटकना नहीं होगा। जिला अस्पताल में ही ऐसे बच्चों को निशुल्क इलाज मिलेगा। इसके लिए यहां गुब्बारा क्लीनिक खुल गया है। क्लिनिक में विशेषज्ञ शुगर से जूझ रहे बच्चों की नियमित जांच और इलाज करेंगे। राज्य स्थापना दिवस पर क्लीनिक का शुभारंभ हुआ है।
दरअसल, सीमांत जिले में जन्म से ही शुगर की बीमारी से जूझ रहे बच्चों के इलाज की कोई व्यवस्था नहीं है। ऐसे बच्चों के इलाज के लिए अभिभावकों को मैदानी क्षेत्रों के बड़े अस्पतालों पर निर्भर रहना पड़ता है। अब ऐसे बच्चों को स्थानीय स्तर पर ही बेहतर इलाज मिलेगा और अभिभावकों को इसके लिए मैदानी क्षेत्रों की दौड़ नहीं लगानी होगी। जिला अस्पताल में स्थापित गुब्बारा क्लीनिक से यह संभव होगा।
रविवार को राज्य स्थापना दिवस पर सीएमओ डॉ. एसएस नबियाल और पीएमएस डॉ. भागीरथी गर्ब्याल ने गुब्बारा क्लिनिक का शुभारंभ किया। सीएमओ ने कहा कि क्लीनिक के माध्यम से टाइप-वन शुगर से जूझ रहे शून्य से 13 वर्ष तक के बच्चों को निशुल्क इलाज उपलब्ध होगा। बच्चों की इस बीमारी के इलाज के लिए पूर्व में जिला अस्पताल में तैनात डॉ. नेहा कल्पासी और डॉ. प्रशांत अधिकारी को प्रशिक्षण दिया गया। दोनों ही चिकित्सक इस बीमारी के इलाज की बारीकियां सीखकर सीमांत जिले के बच्चों के साथ ही अभिभावकों को राहत पहुंचाएंगे। उन्होंने बताया कि पूर्व में इस बीमारी से जूझ रहे दो बच्चे चिन्हित हुए हैं।
आनुवांशिक होता है टाइप-वन शुगर
डॉ. प्रशांत अधिकारी ने बताया कि आम तौर पर बच्चों में टाइप-वन शुगर की बीमारी आनुवांशिक होती है। जन्म के बाद बच्चों में इस बीमारी के लक्षण पहचानना जरूरी है ताकि समय रहते इलाज शुरू हो सके। उन्होंने बताया कि इंसुलिन का इंजेक्शन ही इस बीमारी का गंभीर रूप लेने से रोकने का तरीका है। बच्चे को इंसुलिन की कितनी मात्रा की जरूरत होगी यह उसकी उम्र, वजन, शुगर लेवल आदि पर निर्भर करता है। यदि समय पर इलाज न मिले तो बीमार बच्चे के भीतरी अंगों पर इसका बुरा असर पड़ सकता है। उन्होंने बताया कि क्लिनिक में बच्चों के इलाज के साथ ही इनके स्वास्थ्य पर लगातार निगरानी रखी जाएगी।
ये हैं बच्चों में टाइप-वन शुगर के लक्षण
बार-बार पेशाब आना, वजन गिरना, शरीर का कमजोर पड़ना आदि लक्षण प्रमुख हैं।
उपाय
लक्षण नजर आते ही बच्चे को इलाज के लिए चिकित्सक के पास लाना जरूरी है ताकि समय पर इलाज शुरू किया जा सके। देरी होने पर इस पर नियंत्रण करना चुनौती बन सकता है।
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