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बाढ़ पीड़ितों की कहानी: सुविधा के लिए छोड़ा था गांव, यहां चलानी पड़ रही नाव
उदयभान त्रिपाठी, गोरखपुर।
Published by: vivek shukla
Updated Fri, 03 Sep 2021 02:50 PM IST
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गोरखपुर में बाढ़।
- फोटो : अमर उजाला।

गोरखपुर शहर के ट्रांसपोर्ट नगर के पास बसी शिवपुर कॉलोनी में रहने वाले बाशिदों ने यूं तो सुविधा के लिए गांव छोड़कर यहां ठिकाना बनाया था, मगर अब उन्हें हर साल मोहल्ले में ही नाव चलानी पड़ रही है। बाढ़ में ही नहीं, हर साल बरसात में इस कॉलोनी में पानी भर जाता है। नतीजा, 300 से अधिक मकान वाले मोहल्ले के हर घर में अपनी जुगाड़ू नाव है। बांसगांव क्षेत्र के रहने वाले और रेलवे में अभियंता पद पर कार्यरत रहे रामगुलाम ने दो साल पहले रिटायर होने के बाद मिले धन से ट्रांसपोर्ट नगर क्षेत्र में जमीन खरीदकर दो मंजिला घर बनवाया। अपने सपनों के इस घर में सारी पूंजी लगा चुके रामगुलाम को बुढ़ापा आराम से कटने की उम्मीद थी, लेकिन यह घर हर साल बाढ़ में डूब जाता है। इस बार तो पहली मंजिल तक राप्ती का पानी भरा है। घर का जरूरी सामान लेने के लिए कमर भर पानी में होकर सड़क तक आए रामगुलाम सामान लेकर वापस नाव से अपने घर लौटे।
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गोरखपुर में बाढ़।
- फोटो : अमर उजाला।
राप्ती नदी का पानी इस बार पुराने सारे रिकॉर्ड ध्वस्त करने की तरफ बढ़ रहा है। कैचमेंट एरिया में बने घर डूब चुके हैं। इन घरों में रहने वालों ने या तो छत पर शरण ले रखी है या किसी रिश्तेदार के घर चले गए हैं। बाढ़ प्रभावित शहर के ट्रांसपोर्ट नगर क्षेत्र के शिवपुर कॉलोनी की हालत बेहद खराब है। एक दशक पहले ही विकसित हुई इस कॉलोनी में करीब 300 घर हैं। राप्ती नदी के नजदीक बसी इस कॉलोनी के हर घर में आठ से 10 फुट तक पानी लगा है। जिनके घर में छोटे बच्चे हैं, उन्हें सामान से अधिक बच्चों के जान बचाने की चिंता है। क्योंकि, जरा सी भी लापरवाही बड़े हादसे का सबब बन सकती है। इस मोहल्ले के सभी घरों के लोगों ने छत पर सामान रखा है। जिनका मकान दो मंजिला है, उन्हें तो कुछ राहत है, लेकिन बाकियों ने प्लास्टिक तानकर सामान को सुरक्षित किया है।
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गोरखपुर में बाढ़।
- फोटो : अमर उजाला।
थर्माकोल पर चौकी रखकर बनाई है नाव
नदी की तलहटी में बसे इस मोहल्ले में बाढ़ ही नहीं, हर साल बरसात में पानी भर जाता है। लिहाजा यहां के लोगों ने अपनी-अपनी नाव बना रखी है। हर घर में एक नाव है, जिसका उपयोग बरसात में सामान के साथ-साथ इंसानों के भी आवागमन के लिए होता है। यह नाव भी कम आश्चर्यजनक नहीं है। इन लोगों ने थर्माकोल के ऊपर चौकी को उलटा रखकर दोनों को रस्सी से बांध दिया है। एक मजबूत डंडा लेकर इसे नाव की तरह चलाते हुए लोग आवागमन करते हैं।
नदी की तलहटी में बसे इस मोहल्ले में बाढ़ ही नहीं, हर साल बरसात में पानी भर जाता है। लिहाजा यहां के लोगों ने अपनी-अपनी नाव बना रखी है। हर घर में एक नाव है, जिसका उपयोग बरसात में सामान के साथ-साथ इंसानों के भी आवागमन के लिए होता है। यह नाव भी कम आश्चर्यजनक नहीं है। इन लोगों ने थर्माकोल के ऊपर चौकी को उलटा रखकर दोनों को रस्सी से बांध दिया है। एक मजबूत डंडा लेकर इसे नाव की तरह चलाते हुए लोग आवागमन करते हैं।

गोरखपुर में बाढ़।
- फोटो : अमर उजाला।
मोहल्ले में तीन दिन से कटी है बिजली
शिवपुर कॉलोनी के घरों में आठ से दस फुट तक पानी भरा होने के चलते बिजली निगम ने इस इलाके की सप्लाई तीन दिन से काट कर रखी है। लोगों की रात अंधेरे में गुजर रही है। अंधेरे में कोई सांप या अन्य जीव-जंतु घर की छत पर न चढ़ जाए, इसका खौफ हर वक्त बना रहता है। कुछ संपन्न घरों में छोटा जनरेटर लगा है, लेकिन इसे चलाने से पहले घर के निचले हिस्से की बिजली सप्लाई काटी गई है।
शिवपुर कॉलोनी के घरों में आठ से दस फुट तक पानी भरा होने के चलते बिजली निगम ने इस इलाके की सप्लाई तीन दिन से काट कर रखी है। लोगों की रात अंधेरे में गुजर रही है। अंधेरे में कोई सांप या अन्य जीव-जंतु घर की छत पर न चढ़ जाए, इसका खौफ हर वक्त बना रहता है। कुछ संपन्न घरों में छोटा जनरेटर लगा है, लेकिन इसे चलाने से पहले घर के निचले हिस्से की बिजली सप्लाई काटी गई है।
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गोरखपुर में बाढ़।
- फोटो : अमर उजाला।
बाहर से जा रहा भोजन-पानी
कॉलोनी के घरों में रहने वालों के लिए भोजन-पानी का संकट बड़ा है। अनाज व अन्य सामग्री होने के बावजूद चूल्हे का प्रबंध नहीं है। जिनका घर दो मंजिला है वहां भी पानी का संकट है। लिहाजा अधिकांश परिवार शहर से खरीदकर भोजन-पानी ला रहे हैं। शहर के अन्य हिस्सों में रहने वाले रिश्तेदार व परिचित मुख्य सड़क तक भोजन पहुंचा रहे हैं।
कॉलोनी के घरों में रहने वालों के लिए भोजन-पानी का संकट बड़ा है। अनाज व अन्य सामग्री होने के बावजूद चूल्हे का प्रबंध नहीं है। जिनका घर दो मंजिला है वहां भी पानी का संकट है। लिहाजा अधिकांश परिवार शहर से खरीदकर भोजन-पानी ला रहे हैं। शहर के अन्य हिस्सों में रहने वाले रिश्तेदार व परिचित मुख्य सड़क तक भोजन पहुंचा रहे हैं।