फिरोजाबाद में डेंगू और वायरल फीवर की रोकथाम के लिए उच्चाधिकारियों की टीमें लगातार दौरा कर रही हैं। हालात सुधारने के तमाम दावे भी किए जा रहे हैं, लेकिन मरीजों की संख्या कम हुई और न मौत का सिलसिला थमा है। जो तस्वीरें सामने आ रही हैं, वो दिल को झकझोरने वाली हैं। बीमार बच्चों को घर से अस्पताल ले जाने के लिए एंबुलेंस तक नहीं मिल रही हैं। आंखों में आंसू लिए परिजन अपने बच्चों को कांधों और गोद में लेकर अस्पताल पहुंच रहे हैं। कोई अपने बीमार बच्चों से नहीं मिल पाने के कारण परेशान है तो किसी को प्लेटलेट्स की चिंता सता रही है। अस्पतालों में आपाधापी की स्थिति बनी हुई है। सौ शैय्या अस्पताल में तीमारदार अपने मरीजों के लिए बेड के इंतजाम से लेकर रक्त तक के लिए दौड़ भाग करते नजर आ रहे हैं। अगली स्लाड्स में देखिए जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था का हाल बयां करतीं तस्वीरें....
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फिरोजाबाद: न एंबुलेंस मिली...न स्ट्रेचर, बीमार बच्चों को गोद में उठा रोते हुए अस्पताल पहुंचे तीमारदार
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, फिरोजाबाद
Published by: मुकेश कुमार
Updated Mon, 06 Sep 2021 09:49 AM IST
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रविवार को बीमार बच्चों को रोते हुए लेकर पहुंचे परिजन
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फिरोजाबाद: लोडर में बैठे मरीज
- फोटो : अमर उजाला
जिले में डेंगू, मलेरिया, वायरल की गूंज मुख्यमंत्री दरबार से लेकर दिल्ली तक सुनाई दे रही है। मुख्यमंत्री से लेकर प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा आलोक कुमार, सदस्य न्यायिक राजस्व परिषद सुधीर एम बोबड़े हालात को सुधारने के दावे कर रहे हैं, लेकिन हालात दावों से इतर नजर आ रहे हैं। मरीजों को लेकर पहुंच रहे तीमारदारों की कहीं सुनवाई नहीं हो रही है। बीमार मरीजों के तीमारदारों की परेशानी अस्पताल का स्टाफ और अधिक बढ़ा रहा है।
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बीमार बेटी को गोद में लिए खड़ा पिता
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प्रेमनगर निवासी रामबाबू की दो बेटियां मोहिनी (10), कंचन (12) विगत दिनों से बुखार से पीड़ित हैं। दोनों को सौ शैय्या में भर्ती कराया गया है। तीमारदार के तौर पर रामबाबू की पत्नी सुनीता देवी का कार्ड जारी किया गया। उनके पास मोबाइल तक नहीं है। रामबाबू बेटियों के पास तक जाने के लिए भटकते रहते हैं। प्रवेश को कई बार दौड़ लगाई लेकिन गार्ड ने बाहर से लौटा दिया।

बीमार बेटी को लेकर रोते हुए पहुंची मां
- फोटो : अमर उजाला
इंद्रानगर निवासी जगवीर के सात वर्षीय बेटा मयंक को डेंगू हो गया। प्लेटलेट्स काफी कम हो गई। सौ शैय्या अस्पताल में भर्ती कराया। प्लेटलेट्स 70 हजार होने पर ही छुट्टी कर दी गई। जगवीर ने बताया कि यह कहकर छुट्टी कर दी गई कि दिक्कत हो तो दोबारा ले आना। जगवीर ही नहीं गिर्राज के डेढ़ वर्षीय बेटा नैतिक को हल्की आराम होते ही छुट्टी कर दी। बेचारों को घर जाने के लिए एंबुलेंस तक नहीं मिली। दोनों गोद में बच्चों को लेकर घर को लौट गए। वहीं रविवार को एक मां अपनी बीमार बेटी को गोद में उठाकर रोते हुए अस्पताल पहुंची।
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एक बेड पर भर्ती दो बच्चे
- फोटो : अमर उजाला
नगला करन सिंह निवासी लालू प्रसाद के बेटे विवेक (दस) को सौ शैय्या में भर्ती है। 50 हजार प्लेटलेट्स होते ही छुट्टी करने की कह दी गई। लालू प्रसाद बोले पहले तो भर्ती ही नहीं कर रहे थे। दोबारा जांच कराई तो प्लेटलेट्स घट गई। उधर, कांग्रेस नेता वैभव चतुर्वेदी ने कहा कि मरीजों के साथ हद दर्जे की अभद्रता की जा रही है। न एंबुलेंस मिल रही है और न स्ट्रेचर। गरीब की कोई सुनवाई नहीं है।