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आग लगी तो भगवान बचाए! बेसमेंट में चल रहे कोचिंग सेंटर, आपातकाल में निकलने को नहीं रास्ता
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, आगरा
Published by: Abhishek Saxena
Updated Wed, 11 Dec 2019 05:41 PM IST
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बेसमेंट में चलने वाले कोचिंग सेंटर
- फोटो : अमर उजाला
दिल्ली में अनाज मंडी इलाके में लगी भीषण आग में 45 लोगों की दर्दनाक मौत ने देश को हिला कर रख दिया है। लोगों के जेहन में सूरत के कोचिंग सेंटर में अग्निकांड की यादें ताजा हो गई हैं। सूरत के एक कोचिंग सेंटर में लगी आग में 22 बच्चे जिंदा जल गए थे। ताजनगरी में भी हजारों बच्चे खतरे के साए में ट्यूशन ले रहे हैं। मामला संवेदनशील होने के चलते अमर उजाला ने शहर के कोचिंग सेंटरों का हाल जाना तो अग्निशमन के उपाय नहीं मिले। पढ़िए पूरी रिपोर्ट..
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बेसमेंट में कोचिंग सेंटर
- फोटो : अमर उजाला
भगवान टॉकीज के पास कॉलोनी में बेसमेंट में चलने वाले कोचिंग सेंटर में सुबह से शाम तक बच्चों की भीड़ रहती है। यहां कमरों में लकड़ी की अस्थायी दीवार बनाई गई है। कोचिंग से बाहर निकलने के लिए यूं तो दो रास्ते हैं, लेकिन एक पर ताला लटका रहता है। एक रास्ता जो खुला है, वो भी बहुत संकरा है। अगर शॉर्ट सर्किट या अन्य कारण से आग लगी तो बड़ा हादसा हो सकता है। यहां पार्किंग के इंतजाम न होने से आए दिन ट्रैफिक जाम की स्थिति बनी रहती है।
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बहुमंजिला इमारत में संचालित कोचिंग सेंटर
- फोटो : अमर उजाला
देव नगर कॉलोनी स्थित एक बहुमंजिला इमारत में संचालित कोचिंग सेंटर में 1000 से ज्यादा विद्यार्थी कोचिंग लेते हैं। यहां फायर सिलेंडर तो हैं, लेकिन इमरजेंसी रास्ता नहीं है। अगर बेसमेंट में आग लगी तो कोचिंग वाले छात्रों की जान बचना मुश्किल होगा। कई इमारतों की छतों पर प्लास्टिक शेड लगे हैं, वहां कबाड़ रखा रहता है। इसके चलते आग से हादसा होने की आशंका हमेशा बनी रहती है।
बेसमेंट में कोचिंग सेंटर
- फोटो : अमर उजाला
संजय प्लेस में संचालित एक कोचिंग सेंटर में घोर लापरवाही मिली। जो रास्ता बेसमेंट में जाता है, वहीं से सीढ़ियां सेंटर में जाती हैं। बेसमेंट या अन्य किसी हिस्से में आग लगी तो जान बचाने का कोई रास्ता ही नहीं। यहां ना कोई फायर सिलिंडर हैं और न ही फायर अलार्म। पूछने पर वहां मौजूद स्टाफ ने बताया फायर सिलिंडर या अलार्म की जरूरत महसूस नहीं हुई।
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कोचिंग सेंटर
- फोटो : अमर उजाला
एक भी कोचिंग सेंटर की बिल्डिंग नियमों के तहत नहीं बनी है। सरकार का नियम है कि शैक्षणिक भवन का 65 फीसदी क्षेत्रफल खाली होने चाहिए, यहां तो 100 फीसदी घेर रखा है। इन कोचिंग सेंटर न आग बुझाने की व्यवस्था और न आग से बचने के दो रास्ते। कमला नगर, बल्केश्वर, भगवान टॉकीज चौराहा, खंदारी, देव नगर, दयालबाग मार्ग, संजय प्लेस, शास्त्रीपुरम, शहीद नगर, राजपुर चुंगी, हरीपर्वत, सदर, मधुनगर, अर्जुन नगर, ट्रांस यमुना आदि स्थानों पर चल रहे कोचिंग सेंटरों में सुरक्षा के इंतजाम नाकाफी हैं। ये कोचिंग घनी आबादी के बीच चल रहे हैं। हालात यह हैं कि पुरानी इमारतों में कोई प्रबंध है ही नहीं। शहर में पांच हजार से अधिक छोटे-बड़े कोचिंग सेंटर संचालित हो रहे हैं। यहां मानकों का खुलेआम उल्लंघन हो रहा है।