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हिंदी हैं हम : शोधार्थी बोले- विश्व के आकर्षण का केंद्र बन रही हिंदी, उज्ज्वल है भविष्य
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, आगरा
Published by: मुकेश कुमार
Updated Wed, 19 Aug 2020 12:32 AM IST
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हिंदी हैं हम: हिंदी भाषा की शोधार्थी
- फोटो : अमर उजाला
हिंदी विषय से शोध कार्य कर रहे शोधार्थी हिंदी भाषा के भविष्य के संबंध में काफी आशान्वित हैं। इनका कहना है कि हिंदी विश्व के आकर्षण का केंद्र रही बन रही है। हिंदी के तकनीक में स्थान बनाने से इसका भविष्य उज्ज्वल दिख रहा है। आज इंटरनेट पर भी हिंदी बढ़ रही है। मोबाइल एप हिंदी में आ रहे हैं। गूगल, ट्वीटर और फेसबुक हिंदी को अपना चुके हैं। अमर उजाला के साथ व्हाट्सएप संवाद में शोधार्थियों ने कहा कि विदेशों में हिंदी तेजी से पैर पसार रही है। तमाम विश्वविद्यालयों में हिंदी में अध्ययन और अध्यापन हो रहा है। हिंदी के विद्यार्थियों को रोजगार के तमाम अवसर उपलब्ध हो रहे हैं।
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हिंदी विषय की शोधार्थी प्रीति
- फोटो : अमर उजाला
140 विश्वविद्यालय में हिंदी पढ़ाया जाना शुभ संकेत
दयालबाग शिक्षण संस्थान (डीईआई) में हिंदी विषय की शोधार्थी प्रीती ने कहा कि मातृ भाषा की उन्नति के बिना किसी समाज की उन्नति नहीं है। वर्तमान परिदृश्य में हिंदी पूरे विश्व के आकर्षण का केंद्र बन रही है। विश्व के करीब 140 विश्वविद्यालयों में हिंदी का पठन-पाठन होना शुभ संकेत हैं। इंटरनेट माध्यम में भी हिंदी के इस्तेमाल का चलन बढ़ा है। ग्रामीण क्षेत्रों के सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने वाले उपभोक्ता हिंदी में संवाद कर रहे हैं।
दयालबाग शिक्षण संस्थान (डीईआई) में हिंदी विषय की शोधार्थी प्रीती ने कहा कि मातृ भाषा की उन्नति के बिना किसी समाज की उन्नति नहीं है। वर्तमान परिदृश्य में हिंदी पूरे विश्व के आकर्षण का केंद्र बन रही है। विश्व के करीब 140 विश्वविद्यालयों में हिंदी का पठन-पाठन होना शुभ संकेत हैं। इंटरनेट माध्यम में भी हिंदी के इस्तेमाल का चलन बढ़ा है। ग्रामीण क्षेत्रों के सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने वाले उपभोक्ता हिंदी में संवाद कर रहे हैं।
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हिंदी हैं हम: हिंदी भाषा की शोधार्थी पूनम
- फोटो : अमर उजाला
हिंदी में रोजगार की संभावना बढ़ रही- पूनम
डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी हिंदी एवं भाषा विज्ञान विद्यापीठ (केएमआई) में शोधार्थी पूनम ने कहा कि हिंदी में लगातार रोजगार की संभावना बढ़ रही है। बहुराष्ट्रीय कंपनियां रोजगार दे रही हैं। इससे युवाओं का आकर्षण फिर से इस भाषा की ओर बढ़ रहा है। आने वाले दिनों में हिंदी का महत्व और बढ़ जाएगा। केंद्र सरकार हिंदी के लिए विश्वव्यापी अभियान चला रही है। सरकारी कार्यालयों और संसद के कार्यों में हिंदी को बढ़ावा दिया जा रहा है।
डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी हिंदी एवं भाषा विज्ञान विद्यापीठ (केएमआई) में शोधार्थी पूनम ने कहा कि हिंदी में लगातार रोजगार की संभावना बढ़ रही है। बहुराष्ट्रीय कंपनियां रोजगार दे रही हैं। इससे युवाओं का आकर्षण फिर से इस भाषा की ओर बढ़ रहा है। आने वाले दिनों में हिंदी का महत्व और बढ़ जाएगा। केंद्र सरकार हिंदी के लिए विश्वव्यापी अभियान चला रही है। सरकारी कार्यालयों और संसद के कार्यों में हिंदी को बढ़ावा दिया जा रहा है।
हिंदी हैं हम: हिंदी भाषा की शोधार्थी मोहिनी दयाल
- फोटो : अमर उजाला
तकनीक की दुनिया में भाषा ने बनाया स्थान- मोहिनी दयाल
केएमआई की शोधार्थी मोहिनी दयाल ने कहा कि हिंदी हमारे देश की अस्मिता व एकता की प्रतीक है। वर्तमान समय में हिंदी को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीकार किया जाने लगा है। विदेशों से बड़ी संख्या में विद्यार्थी यहां हिंदी सीखने आ रहे। विदेश के विश्वविद्यालयों में भी हिंदी पढ़ाई जा रही है। तकनीक की दुनियां में हिंदी ने स्थान बना लिया है। इस भाषा में नौकरियों के अवसर बढ़ रहे हैं।
केएमआई की शोधार्थी मोहिनी दयाल ने कहा कि हिंदी हमारे देश की अस्मिता व एकता की प्रतीक है। वर्तमान समय में हिंदी को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीकार किया जाने लगा है। विदेशों से बड़ी संख्या में विद्यार्थी यहां हिंदी सीखने आ रहे। विदेश के विश्वविद्यालयों में भी हिंदी पढ़ाई जा रही है। तकनीक की दुनियां में हिंदी ने स्थान बना लिया है। इस भाषा में नौकरियों के अवसर बढ़ रहे हैं।
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हिंदी हैं हम: हिंदी भाषा की शोधार्थी अंजू सिंह
- फोटो : अमर उजाला
साहित्यकार हिंदी की खुशबू विदेशों में फैला रहे- अंजू सिंह
केएमआई की शोधार्थी अंजू सिंह का कहना है कि हिंदी भाषा भारतीय समाज और विभिन्न संस्कृतियों को जोड़ने वाली भाषा है। विदेशों में बसे भारतीय मूल के साहित्यकार हिंदी की खुशबू संबंधित देशों में फैला रहे हैं। हिंदी भाषा के माध्यम से भारतीय संस्कार और आचार -विचार से भी रूबरू करा रहे हैं। तमाम देशों में हिंदी को स्वीकार किया जा रहा है। भविष्य में हिंदी भाषा के व्यापक विकास की उम्मीद है।
केएमआई की शोधार्थी अंजू सिंह का कहना है कि हिंदी भाषा भारतीय समाज और विभिन्न संस्कृतियों को जोड़ने वाली भाषा है। विदेशों में बसे भारतीय मूल के साहित्यकार हिंदी की खुशबू संबंधित देशों में फैला रहे हैं। हिंदी भाषा के माध्यम से भारतीय संस्कार और आचार -विचार से भी रूबरू करा रहे हैं। तमाम देशों में हिंदी को स्वीकार किया जा रहा है। भविष्य में हिंदी भाषा के व्यापक विकास की उम्मीद है।