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शरद पूर्णिमा: ताजमहल पर 'चमकी' देखने को बेताब रहते हैं सैलानी, साल में पांच लेकिन इस बार चार दिन ही दिखेगा ऐसा नजारा

अमर उजाला ब्यूरो, आगरा Published by: Abhishek Saxena Updated Sun, 17 Oct 2021 05:39 PM IST
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Taj Mahal Moon Night View On Sharad Purnima 2021
चांदनी रात में ताजमहल - फोटो : अमर उजाला

शरद पूर्णिमा पर चांदनी रात में ताजमहल का दीदार सोमवार से शुरू हो जाएगा। चांदनी में नहाए संगमरमरी शाहकार की एक झलक पाने के लिए सैलानी पूरे साल इस दिन के इंतजार में रहते हैं। इस बार पांच दिन की जगह शरद पूर्णिमा पर चार दिन ही दीदार किया जा सकेगा। दरअसल, पांचवां दिन शुक्रवार है, जिस वजह से ताजमहल बंद रहेगा। सोमवार से गुरुवार के बीच रात 8:30 बजे से 11 बजे तक कुल पांच स्लॉट में ताजमहल में रात्रि दर्शन के लिए पर्यटक प्रवेश कर पाएंगे। 




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शरद पूर्णिमा पर ताजमहल का नजारा (फाइल फोटो) - फोटो : अमर उजाला
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के रिकॉर्ड में इस बार शरद पूर्णिमा 20 अक्तूबर को है। कोरोना प्रोटोकॉल और पाबंदियों के कारण इस बार पांच स्लॉट ही रहेंगे। 30 मिनट के स्लॉट में 50-50 पर्यटकों के बैच को प्रवेश दिया जाएगा। नाइट कर्फ्यू में ढील मिलने पर स्लॉट की संख्या 5 से बढ़कर 8 हो सकती है लेकिन अभी तक एएसआई पांच स्लॉट की बुकिंग ही करने जा रहा है।
 
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शरद पूर्णिमा पर ताजमहल की दीदार - फोटो : अमर उजाला
इसलिए पड़ा चमकी नाम 
सफेद संगमरमर से तामीर ताजमहल पर जब शरद पूर्णिमा पर चांद की दूधिया रोशनी पड़ती है तो इसका सौंदर्य और निखर उठता है। ताज की पच्चीकारी में रंगीन कीमती पत्थर लगे हैं जो चांद की रोशनी एक खास एंगल पर पड़ने पर चमकते हैं। इन नगीनों का चमकना ‘चमकी’ के नाम से चर्चित हो गया। वर्ष 1984 में ताजमहल के रात में बंद होने से पहले शरद पूर्णिमा पर पूरी रात चमकी का मेला लगता था, जो पांच नहीं बल्कि सात दिनों तक चलता था।
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ताजमहल में पर्यटकों की भीड़ - फोटो : अमर उजाला
शरद पूर्णिमा पर पांच दिनों तक ताजमहल रात में पर्यटकों के लिए खोला जाता है। सोमवार से ताज का रात्रि दर्शन शुरू हो जाएगा लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक एक दिन पहले टिकटों की बुकिंग शुरू हो जाएगी। अधीक्षण पुरातत्वविद् राजकुमार पटेल के मुताबिक रविवार से एएसआई के माल रोड स्थित ऑफिस पर बने काउंटर से टिकटों की बिक्री हो रही है। भारतीय पर्यटकों को रात्रि दर्शन के लिए 510 रुपये, विदेशी पर्यटकों को 750 रुपये और 15 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए 500 रुपये का टिकट खरीदना होगा।
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ताजमहल और पार्श्व में बहती यमुना नदी - फोटो : अमर उजाला
शहर के वरिष्ठ अधिवक्ता और छात्र संघ के अध्यक्ष रह चुके अचल शर्मा बताते हैं कि 1960-70 के दशक में शरद पूर्णिमा पर ताज पर लक्खी मेला लगता था। इसमें शरद पूर्णिमा से एक दिन पहले और एक दिन बाद तक इतनी भीड़ रहती थी कि ताज में प्रवेश के लिए घंटों तक इंतजार करना होता था। ताजमहल के रॉयल गेट के बाहर फोरकोर्ट में जो चार बागीचे हैं, उनमें रेहड़ी वाले, खोमचे वाले आलू टिक्की और खाने-पीने का सामान बेचते थे। अंदर पूरी रात परिवार के साथ लोग चमकी के मेले में रहते थे। तब युवाओं की आवाजें ‘चमकी, वो चमकी’ की आती रहती थीं। यह बताते हुए उनका चेहरा चमकी की यादों ने चमक गया। चेहरे पर मुस्कराहट आ गई।


 
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