शरद पूर्णिमा पर चांदनी में नहाए ताजमहल के दीदार के लिए रात्रि दर्शन की व्यवस्था सोमवार से शुरू हो गई। पहले दिन पांच बैच में 127 टिकट रविवार को बुक कराए गए थे, लेकिन लगातार बारिश से रात्रि दर्शन पर ग्रहण लगने की आशंका थी, पर रात 8.30 बजे जैसे ही ताज रात्रि दर्शन का पहला बैच शिल्पग्राम से निकला तो बादल छंटने शुरू हो गए और चांद की मद्धम रोशनी नजर आने लगी। पहले बैच में 25 पर्यटकों को आना था, लेकिन 23 ही पहुंच सके। दो पर्यटक रात्रि दर्शन के लिए नहीं आए। चांद की रोशनी देखते ही पर्यटकों के चेहरे खिल गए। गोल्फ कोर्ट से वह सुरक्षा जांच कराकर अंदर पहुंचे, जहां ताज के रॉयल गेट पर रेड सैंड स्टोन प्लेटफॉर्म से उन्होंने चांदनी रात में ताज का दीदार किया। पहले दिन अलग-अलग बैच में 120 पर्यटकों ने ताज देखा।
सोमवार को टिकट बुक किए गए
शरद पूर्णिमा पर ताज के रात्रि दर्शन के दूसरे दिन के लिए सोमवार को टिकट बुक किए गए। 24 घंटे पहले एएसआई माल रोड कार्यालय पर टिकटों की बुकिंग शुरू हो गई। भारी बारिश के बीच भी दोपहर में सभी 250 टिकट बुक हो गए। मंगलवार को शरद पूर्णिमा है, लेकिन एएसआई के रिकॉर्ड में शरद पूर्णिमा 20 अक्तूबर की है, ऐसे में मंगलवार के लिए पूरे 250 टिकट पहले ही बुक हो गए।
12 हजार सैलानियों ने देखा ताज
रविवार रात से सोमवार पूरे दिन ताजनगरी में झमाझम बारिश होती रही, लेकिन ताजमहल की दीवानगी बारिश पर भारी पड़ी। सोमवार को 12 हजार से ज्यादा सैलानियों ने ताजमहल निहारा। बारिश के कारण अन्य स्मारकों पर ज्यादा असर नजर आया, लेकिन ताज पर शाम तक पर्यटकों की भीड़ रही। सोमवार को दोपहर बाद पर्यटकों की संख्या ज्यादा रही। दोपहर से शाम तक हुई बारिश में छातों को लेकर तो युवाओं ने भीगकर खूब मस्ती भी की। किसी ने बारिश में सेल्फी ली तो कोई वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर अपलोड करता रहा।
शरद पूर्णिमा पर 1984 से पहले लगने वाला चमकी का मेला लोगों की यादों में अब भी बसा है। ताज पर पूरी रात लगने वाले इस मेले ने सात जन्मों के बंधन में भी लोगों को बांधा है। तब केवल मेला नहीं, बल्कि परिचय सम्मेलन के तौर पर भी चमकी मेले ने दिलों को जोड़ा है। शादी के लिए कन्या को देखने के लिए लोग चमकी मेले पहुंचते थे, जहां बिना किसी औपचारिकता के परिवार के साथ घूमने आई युवतियों को देखकर रिश्ते भी तय हुए। ताज पूर्वी गेट पर एंपोरियम संचालक रहे अभिनव जैन के मुताबिक चमकी मेले में लोग परिवारों के साथ आते थे। सर्दी में सहालग से पहले रिश्ते तय करने के लिए यह मेला बेहतर जगह था, जहां कोई औपचारिकता नहीं थी। गोविंद अग्रवाल के मुताबिक ताजगंज में उनके मित्रों के घर वह रात में इस चमकी मेले के लिए पहुंचते थे। युवाओं की संख्या इस मेले में ज्यादा होती थी।
चमकी के मेले में लाखों लोग उमड़ते थे। तब एएसआई के अन्य स्मारकों पर तैनात कर्मचारियों को भी व्यवस्थाएं संभालने के लिए बुलाया जाता था। पुलिस के लिए अंदर फोरकोर्ट में ही कैंप कार्यालय बनाया जाता था, जहां सुरक्षा व्यवस्था की निगरानी की जाती थी। - एमसी शर्मा, पूर्व वरिष्ठ संरक्षण सहायक ताजमहल