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जवाहर पंडित हत्याकांडः 23 साल पुराने मामले में आज फैसले की घड़ी
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, प्रयागराज
Published by: विनोद सिंह
Updated Thu, 31 Oct 2019 12:30 AM IST
23 साल पहले पूर्व विधायक और सपा नेता जवाहर यादव उर्फ पंडित हत्याकांड में आखिरकार इंतजार की घड़ियां खत्म होने को हैं। बृहस्पतिवार 31 अक्तूबर 2019 को अदालत ने फैसला सुनाने की तारीख मुकर्रर की है। जिले में राजनीतिक रसूख रखने वाला करवरिया परिवार हत्याकांड में आरोपी है। परिवार के चार सदस्य पिछले चार वर्षों से जेल में हैं। अदालत का फैसला उनका भविष्य तय करेगा। मरहूम जवाहर यादव का परिवार भी राजनीतिक क्षेत्र में दबदबा रखता है। लिहाजा न्याय का इंतजार दोनों पक्षों को है।
13 अगस्त 1996 को शाम करीब साढ़े छह बजे शहर के पॉश इलाके सिविल लाइंस में जवाहर पंडित की अत्याधुनिक असलहों से गोलियां चलाकर हत्या कर दी गई थी। हत्याकांड को अंजाम देने का आरोप लगा पूर्व सांसद कपिल मुनि करवरिया, उनके भाई पूर्व विधायक उदयभान और सूरज भान पर। परिवार के पांच सदस्य नामजद किए गए। उम्मीद तो थी कि इस चर्चित मामले में फैसला जल्द आ जाएगा मगर हुआ वही जो होता आया है। जांच एजेंसियां बदलती रहीं और विवेचकों को घटना की तह तक पहुंचने में करीब 20 साल लग गए। जवाहर हत्याकांड की फाइल से धूल तक छंटी जब सुप्रीमकोर्ट ने इसमें दखल दिया। सर्वोच्च अदालत के निर्देश पर पर मुकदमे का ट्रायल शुरू हुआ तो आरोपियों को जेल जाना पड़ा।
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- फोटो : प्रयागराज
बेगुनाही साबित करने को 156 गवाह
जवाहर हत्याकांड में करवरिया परिवार ने खुद को बेगुनाह साबित करने के लिए कुल 156 गवाहों के बयान कराए हैं जबकि, अभियोजन की ओर से 18 गवाह पेश किए गए हैं। वादी सुलाखी यादव की मौत के बाद मरहूम जवाहर यादव की पत्नी और पूर्व विधायक विजमा यादव वादी मुकदमा की भूमिका में सामने आई हैं।
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surajbhan karwariya
- फोटो : प्रयागराज
मुकदमा वापस लेना चाहती थी सरकार
जवाहर यादव हत्याकांड का मुकदमा वापस लेने की सरकार की ओर से भी कोशिश हुई मगर अदालत ने इसकी अनुमति नहीं दी। वादी पक्ष की ओर से भी मुकदमा वापसी का जोरदार विरोध हुआ। लिहाजा अभियुक्तों को ट्रायल से गुजरना पड़ा।
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