जिंदगी का सफर पूरा करने से ठीक पहले कन्नौज आए भारत रत्न पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम सोलर प्लांट की सौगात दे गए थे। उन्होंने सात जुलाई 2015 को तिर्वा तहसील के फकीराबाद में सोलर प्लांट की शुरुआत करते हुए इसे बदलते वक्त की जरूरत बताया था, वह अब 40 महीने से ठप है। फरवरी 2020 में आई खराबी को बजट के अभाव में अब तक दूर नहीं किया जा सका है।
APJ Abdul Kalam Death Anniversary: अंधेरे में है मिसाइल मैन की सौंपी विरासत, 40 महीने से ठप पड़ा है सोलर प्लांट
सोलर प्लांट से आत्म निर्भर हो गए थे दो गांव
सोलर प्लांट के शुरू होने से तिर्वा तहसील के दो गांव फकीरापुर और चंदुआहार रोशन हो उठे थे। दोनों गांव के 800 परिवार को सौर ऊर्जा से रोशन किया गया था। उससे पहले यहां बिजली नहीं थी। सोलर प्लांट शुरू होने से दोनों गांव के बाशिंदे बिजली के मामले में आत्मनिर्भर हो गए थे।
सोलर प्लांट से मुफ्त बिजली की सुविधा हुई थी शुरू
मुफ्त बिजली पाकर गांव के बाशिंदों की खुशी देखते ही बनती थी। गांव के लोगों को घरेलू कनेक्शन के अलावा दुकान व कारखाना के लिए कमर्शियल कनेक्शन भी मुफ्त दिया गया था। सिंचाई और रोजगार के लिए 12 टयूबवेल, चार आटा चक्की और दो पोल्ट्रीफार्म को भी सोलर प्लांट से मुफ्त बिजली की सुविधा शुरू की गई थी।
राजधानी तक दौड़ी फाइल, नतीजा सिफर
वर्ष 2020 के फरवरी महीना में सोलर प्लांट में आई खराबी को दूर करने के लिए नेडा ने शुरू में खूब सक्रियता दिखाई। नेडा के माध्यम से अफसरों ने शासन तक बात पहुंचाई गई। बैंगलूरु से इंजीनियरों के बुलाने की चर्चा हुई। फिर सोलर प्लांट को नेडा के बजाए यूपीपीसीएल के हवाले करने का खाका बना। नेडा के प्रभारी पीओ अनूप श्रीवास्तव बताते हैं कि इसे संचालित करने के लिए नए सिरे से तैयारी हो रही है।
मिसाइल मैन के हाथों शुरू सोलर प्लांट पर एक नजर
- 615 लाख की लागत से हुआ था प्लांट का निर्माण।
- 07 जलाई 2015 को हुई थी शुरुआत, 25 फरवरी 2020 से ठप है।
- 1000 सोलर पैनल लगे हैं 250 वाट के, 180 बैट्री है प्लांट में।
- 412 घरों को दी जा रही थी मुफ्त बिजली।
- 12 टयूबवेल, चार आटा चक्की, दो पोल्ट्रीफार्म को था कनेक्शन।