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सन्नाटे में सनिगंवा: हर आंख नम…हर जुबां पर खौफनाक मंजर , कोई था आंखों का तारा…कोई जिगर का टुकड़ा, देखें Photos

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, कानपुर Published by: हिमांशु अवस्थी Updated Tue, 15 Oct 2024 06:09 AM IST
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Kanpur Accident, Sanigawa in silence, Every eye is wet, every tongue talks about the horrifying scene
kanpur accident - फोटो : amar ujala

कानपुर की घटना में एक ही मोहल्ले के पांच लोगों को मौत ने सनिगंवा क्षेत्र में सुबह से ही सनसनी मचा रखी थी। जिसने सुना, वही अपने जानने वाले छात्रों और चालक के घरों की ओर दौड़ पड़ा। सुबह से हर एक के दरवाजे पर भीड़ थी जबकि अधिकांश परिजन सूचना पाकर हैलट जा चुके थे। दोपहर बाद जब छात्रों के शव उनके घरों पर पहुंचने शुरू हुए तो भीड़ भी बढ़ती चली गई।

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kanpur accident - फोटो : amar ujala

शाम को पार्षद भवानी शंकर ने डीप फ्रीजर मंगवाकर उनमें सभी के शव रखवाए। सभी शवों का अंतिम संस्कार मंगलवार को होगा। साथ ही बवाल की आशंका व सुरक्षा के लिहाज से कई पुलिस थानों के पुलिस बल जमा रहा। शाम 3.55 बजे सबसे पहले प्रतीक का शव घर पहुंचा। इसके दो घंटे बाद 5.55 बजे आयुषी पटेल और चालक विजय साहू का शव अलग अलग एम्बुलेंस से पहुंचे।

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kanpur accident - फोटो : amar ujala

फिर 6.15 बजे सतीश पाल का शव पहुंचा। आखिर में गरिमा त्रिपाठी का शव लगभग साढ़े छह बजे पहुंचा। कार चालक से लेकर चारों स्टूडेंट्स एक ही मोहल्ले के हैं। जिनमें छात्र प्रतीक सिंह, गरिमा त्रिपाठी और आयुषी पटेल का घर एक ही गली में है। वहीं, कार चालक विजय साहू का घर प्रतीक सिंह के घर पीछे ही गली में है। वहीं, चौथे मृतक छात्र सतीश कुमार का घर उन तीनों के घर से करीब दो सौ मीटर आगे है।

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kanpur accident - फोटो : amar ujala

एक हादसा पांच परिवारों को दे गया जिंदगी भर का गम
भौंती एलिवेटेड हाईवे पर हुए हादसे ने पांच परिवारों का जीवन भर का जख्म दे दिया। हादसे में किसी ने होनहार बेटी खोई तो किसी के परिवार का इकलौता चिराग हमेशा के लिए बुझ गया। माता-पिता के साथ भाई-बहनों ने जो सपने देखे थे, वे सभी एक पल में ही चकनाचूर हो गए। इस हादसे ने किसी परिवार के अरमानों को चकनाचूर कर दिया तो किसी को ऐसा गम दिया जो जीवन भर नहीं भुलाया जा सकता है। मॉच्यूरी से पोस्टमार्टम तक केवल चीखें ही सुनाई दे रहीं थी।

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kanpur accident - फोटो : अमर उजाला

ममेरी बहन आयुषी का शव देख कांप गए हाथ-पैर
हादसे में जान गंवाने वाली आयुषी पटेल के पिता रमाशंकर पटेल हमीरपुर में फार्मासिस्ट हैं। परिवार में मां समता और एक भाई आयुष है, जो ग्यारहवीं का छात्र है। परिवार सनिगवां में केआर एजुकेशन सेंटर के पास रहता है। आयुषी कंप्यूटर साइंस फर्स्ट ईयर की छात्रा थी। पिता की दुलारी आयुषी की मौत ने पूरे परिवार की खुशियां छीन ली। दीपावली पर परिवार आयुषी संग खुशियां मनाने की सोच रहा था, मगर हादसे ने सबकुछ खत्म कर दिया। आयुषी की ममेरी बहन शालिनी उमराव सबसे पहले हैलट पहुंचीं। शव देख उनके हाथ पैर कांपने लगे। बोलीं कि विश्वास नही हो रहा, कल ही तो शालिनी से बात हुई थी।

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