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पाकिस्तानी वकास यहां हर वीआईपी के मूवमेंट पर रखता है नजर, 12 फरवरी को छूटा था जेल से

मनीष निगम, अमर उजाला, कानपुर Published by: शिखा पांडेय Updated Sun, 28 Apr 2019 05:41 PM IST
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Special story of Pakistani soldier of Bithoor police station in Kanpur
वकास अहमद उर्फ इब्राहिम खान - फोटो : अमर उजाला
दस साल की सजा पूरी होने के बाद पाकिस्तानी नागरिक वकास अहमद उर्फ इब्राहिम खान बस कहने को बिठूर थाने में पुलिस की निगरानी में है। वह थाने के परिसर में बनी पुलिस बैरक के एक कमरे में रहता है। पुलिस वालों के साथ खाता-पीता है। जरूरत पर थाने का कामकाज संभालता है।


वायरलेस पर आने वाली सूचनाओं को सुनकर अफसरों को बताता है। यहां तक कि शहर आने वाले वीआईपी, पुलिस व प्रशासनिक अफसरों के मूवमेंट की जानकारी भी उसे रहती है। कब किस अफसर ने मातहत को क्या निर्देश दिए, किसे और क्यों फटकार मिली। यह भी वकास को मालूम रहता है। ऐसे में वकास से पुलिस कर्मी जैसा काम लेने से नेताओं व शहर की आंतरिक सुरक्षा को खतरा हो सकता है। 
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वकास अहमद उर्फ इब्राहिम खान - फोटो : अमर उजाला
ऐसी है दिनचर्या
पाकिस्तानी वकास की दिनचर्या भी पुलिस वालों की तरह है। वह सुबह छह बजे जागता है। परिसर में स्नान करता है। नमाज अता करने के बाद पुलिस कर्मियों के बीच चाय-नाश्ता करता है। इसके बाद थाने के दफ्तर पहुंचकर पुलिसकर्मियों द्वारा सौंपे गए काम निपटाता है। लिखापढ़ी करता है। दोपहर में थाने की मेस में पका खाना पुलिस कर्मियों के बीच खाता है। इसके बाद कमरे में कुछ देर आराम करके दफ्तर में पहुंचता है। रात का भोजन भी मेस में करता है। देर रात कमरे में सोने चला जाता है। 

यहां तो आजादी है
वकास ने बताया कि जेल की चहारदीवारी के बीच 10 साल गुजारे, लेकिन यहां (थाने) में आजादी है। दिन हो या रात यहां इधर-उधर जाने की छूट है। जेल में तो शाम ढलते ही बैरक में जाना पड़ता था। अब थाना घर और पुलिस वाले परिवार के सदस्य जैसे हो गए हैं। वे खाने-पीने से लेकर स्वास्थ्य तक का ध्यान रखते हैं। हर दिन अस्पताल में हेल्थ चेकअप के लिए ले जाया जाता है। ढाई महीने से बिठूर थाने में रह रहे वकास को थानेदार हो या चौकीदार सभी उसे पाकिस्तानी दोस्त कहकर पुकारते हैं। इस पर उसे कोई एतराज नहीं है।
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वकास अहमद उर्फ इब्राहिम खान - फोटो : अमर उजाला
पांच साल से नहीं हुई घरवालों से बात
वकास की पांच साल से अपने घरवालों से कोई बातचीत नहीं हुई। पुलिस अभिरक्षा में नवंबर-2013 में वह दिल्ली काउंसलिंग के लिए गया था। तब फोन पर उसकी परिजनों से बात हुई थी। जेल से छूटने के बाद पाकिस्तान से घरवालों का कोई पत्र भी नहीं आया। वकास ने बताया कि जो कुछ हुआ, उसके बारे में वह कोई कमेंट्स नहीं करेगा। कोर्ट का आदेश सर्वोपरि है। एक दशक तक जेल में सजा काटी।  अब तो जल्द से जल्द घर लौटना की इच्छा है। वहां पिता महमूद अहमद के साथ लाहौर में अटैची का व्यापार करूंगा। परिवार में मां, दो भाई और बहन हैं।

यह था मामला  
पाकिस्तान के लाहौर, रावी रोड निवासी वकास अहमद वर्ष 2005 में दिल्ली में भारत-पाकिस्तान का मैच देखने आया था। इसके बाद वह लापता हो गया था। इस दौरान उसने औरैया के कारोबारी की बहन से निकाह कर लिया था। मई 2009 में एटीएस के तत्कालीन इंस्पेक्टर तेज बहादुर सिंह ने टीम के साथ उसे मंधना में एक साइबर कैफे से गिरफ्तार किया था। एटीएस ने उसके पास से देश व शहर के महत्वपूर्ण स्थानों के नक्शे, फर्जी ड्राइविंग लाइसेंस, मतदाता पहचान पत्र व मोबाइल बरामद किया था। आईएसआई एजेंट वकास पर सेना की गोपनीय सूचनाएं पाकिस्तान को देने का आरोप लगा था। मामले में कोर्ट ने उसे 10 साल की सजा सुनाई थी। इसी साल 12 फरवरी को जेल से छूटने के बाद से वह बिठूर थाने में पुलिस की निगरानी में है।
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वकास अहमद उर्फ इब्राहिम खान - फोटो : अमर उजाला
यह है नियम 
वरिष्ठ अधिवक्ता विजय बख्शी का कहना है कि पाकिस्तानी नागरिक के बारे विदेश मंत्रालय का आदेश नहीं आता है। उसकी निगरानी जिम्मेदारी प्रदेश और स्थानीय अफसरों की है। एसएसपी के आदेश पर पुलिस निगरानी में पाकिस्तानी को कहीं भी रखा जा सकता है। शर्त यह है कि जिस स्थान पर उसे रखा जाए, वहां चौहद्दी जरूर तय होती है। यानी पाकिस्तानी कितने एरिया में घूम-फिर सकेगा। जैसे थाने में रखा जाए, तो वह एक या दो कमरे अथवा बरामदे तक आ-जा सकेगा। पूरे परिसर में उसे घूमने की आजादी नहीं होती है। 

बोले, जिम्मेदारे अफसर
वकास का प्रकरण गृह और विदेश मंत्रालय को भेजा जा चुका है। विदेश मंत्रालय ने ई-मेल के जरिए पाकिस्तान उच्चायोग को वकास के जेल से छूटने की जानकारी दे दी है। वहां से अभी कोई जवाब नहीं आया है। प्रदेश के गृह विभाग के आदेश पर बिठूर थाने में उसे रखा गया है। वकास की निगरानी में चार सिपाही तैनात हैं। एलआईयू के अफसर भी उस पर निगाह बनाए हैं। वकास के लिए एक स्थान तय किया गया है, जिसके भीतर ही वह रह और घूम सकता है। अगर वह थाने के भीतर व पूरे परिसर में घूमता है तो नियमानुसार गलत है। 
- विजय कुमार त्रिपाठी, सीओ एलआईयू
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वकास अहमद उर्फ इब्राहिम खान - फोटो : अमर उजाला
एसएसपी से दो टूक 

सवाल: वकास को बिठूर थाने में रखा गया है। वह पूरे परिसर में घूमता है। थाने के भीतर आता-जाता है। 
जवाब: थाना परिसर में वकास कहां जा सकता है और कहां नहीं। इसकी चौहद्दी पुलिस अफसरों ने तय कर रखी है। वकास इसके बाहर टलहता है तो गलत है। 
सवाल: थाने के भीतर और वायरलेस पर प्रसारित होने वाली सूचनाएं भी वह सुनता है। इससे आंतरिक सुरक्षा को खतरा हो सकता है। 
जवाब: वायरलेस पर ज्यादातर आम सूचनाएं और संदेश प्रसारित होते हैं। गंभीर मामलों में संबंधित थानेदार या अफसर से मोबाइल से बातचीत की जाती है। सूचनाएं भी दूसरे माध्यमों से आदान - प्रदान की जाती हैं। 
सवाल: वकास को वायरलेस से वीआईपी मूवमेंट की भी जानकारी मिल जाती है। इससे खतरा हो सकता है। 
जवाब: इसकी जांच कराई जाएगी। 
सवाल: आगे क्या होगा।
जवाब: यह सुनिश्चित कराया जाएगा कि वकास थाना परिसर में तय स्थान के बाहर चहल कदमी न कर सके। इस बारे में अफसरों को निर्देशित किया जाएगा।  

थाना परिसर में तय चौहद्दी के बाहर वकास नहीं टहल सकता है। थाने के भीतर जाना तो दूर की बात है। वायरलेस सुनता है तो आपत्तिजनक है। इस बारे में जांच कराकर कार्रवाई की जाएगी। - अनंत देव एसएसपी    
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