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बिकरू कांड में बड़ी कार्रवाई : विकास और उसके गुर्गों को पनाह देने वालों पर एफआईआर, 10 मददगारों पर रिपोर्ट दर्ज
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, कानपुर
Published by: शिखा पांडेय
Updated Thu, 18 Mar 2021 11:13 AM IST
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विकास दुबे (फाइल फोटो)
- फोटो : अमर उजाला
दहशतगर्द विकास दुबे और उसके गुर्गों को शरण देने और फरार करने में मदद करने वालों पर बुधवार को पनकी थाने में एफआईआर दर्ज की गई। एसटीएफ ने जिन छह मददगारों को जेल भेजा था, उनके अलावा चार और को आरोपी बनाया है। ये अभी फरार हैं। पुलिस की लापरवाही से एफआईआर 17 दिन देरी से दर्ज हुई है। इससे पुलिस की कार्यशैली पर सवालिया निशान है। आखिर मददगारों की गिरफ्तारी के तुरंत बाद केस दर्ज क्यों नहीं किया।
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कानपुर एनकाउंटर
- फोटो : अमर उजाला
एसटीएफ ने एक मार्च को सात लोगों को असलहों के साथ गिरफ्तार किया था। इसमें विष्णु कश्यप, अमन शुक्ला, रामजी उर्फ राधे, अभिनव तिवारी, संजय परिहार, शुभम पाल और मनीष यादव शामिल थे। सभी जेल में हैं। एसटीएफ की तफ्तीश में पता चला था कि मनीष यादव की भूमिका असलहों की खरीदारी में थी, बाकी छह आरोपियों ने विकास दुबे, अमर दुबे और प्रभात मिश्र को वारदात के बाद से लेकर तीन दिन तक शरण दी थी।
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कानपुर एनकाउंटर
- फोटो : amar ujala
इसके अलावा अभिषेक, अर्पित मिश्रा, विक्की यादव और मोहन अवस्थी ने भी मदद की थी। इनकी तलाश की जा रही है। डीआईजी डॉ. प्रीतिंदर सिंह ने बताया कि इन सभी के खिलाफ धारा 216 के तहत केस दर्ज किया गया। जांच की जाएगी कि इसमें और कोई शामिल है या नहीं।
कानपुर एनकाउंटर
- फोटो : अमर उजाला
पुलिस का दावा, इसलिए हुई देरी
पुलिस अफसरों ने एक मार्च को ही कहा था कि मामले में मददगारों के खिलाफ आर्म्स एक्ट के तहत दर्ज केस के अलावा भी कार्रवाई की जाएगी। कार्रवाई में दो सप्ताह से अधिक का समय लगा दिया। पुलिस अफसरों का कहना है कि दरअसल इसमें संशय था कि इन सभी के नाम बिकरू कांड के केस में बढ़ाए जाएं या अलग से केस दर्ज किया जाए। इसको लेकर विधिक राय मांगी गई थी जिसमें तय हुआ कि अलग से एफआईआर दर्ज की जाएगी। राय लेने में समय लगा, इसलिए देर से एफआईआर हो सकी।
पुलिस अफसरों ने एक मार्च को ही कहा था कि मामले में मददगारों के खिलाफ आर्म्स एक्ट के तहत दर्ज केस के अलावा भी कार्रवाई की जाएगी। कार्रवाई में दो सप्ताह से अधिक का समय लगा दिया। पुलिस अफसरों का कहना है कि दरअसल इसमें संशय था कि इन सभी के नाम बिकरू कांड के केस में बढ़ाए जाएं या अलग से केस दर्ज किया जाए। इसको लेकर विधिक राय मांगी गई थी जिसमें तय हुआ कि अलग से एफआईआर दर्ज की जाएगी। राय लेने में समय लगा, इसलिए देर से एफआईआर हो सकी।
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कानपुर एनकाउंटर
- फोटो : अमर उजाला
असलहों के मामलों की जांच अर्मापुर इंस्पेक्टर को
एसटीएफ ने असलहों की बरामदगी कर सात आरोपियों को गिरफ्तार किया था। इस मामले में पनकी थाने में सात एफआईआर दर्ज हैं। डीआईजी ने बताया कि इन सभी केसों की जांच इंस्पेक्टर अर्मापुर राजेश पाठक को दी गई है।
एसटीएफ ने असलहों की बरामदगी कर सात आरोपियों को गिरफ्तार किया था। इस मामले में पनकी थाने में सात एफआईआर दर्ज हैं। डीआईजी ने बताया कि इन सभी केसों की जांच इंस्पेक्टर अर्मापुर राजेश पाठक को दी गई है।
