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कारगिल युद्ध की सूचना पर बोले थे जुबैर अहमद... फौजी हूं... जंग में घर बैठ गया तो खुद को माफ नहीं कर पाऊंगा

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, मेरठ Published by: कपिल kapil Updated Fri, 24 Jul 2020 12:42 PM IST
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Kargil Vijay Diwas: Zubeer Ahmed of Meerut was martyred in Kargil war 21 years ago
शहीद जुबैर अहमद का फाइल फोटो - फोटो : अमर उजाला

21 साल पहले मेरठ के जिस वीर जुबैर अहमद ने कारगिल युद्ध में शहादत दी, अब उनकी बेटी सना परवीन कामयाब होकर पिता का सपना पूरा करेंगी। वीर नारी इमराना ने अपनी दोनों बेटियों को तालीम दिलाने में कोई कमी नहीं छोड़ी। वहीं, प्रशासनिक अमला उनको 21 साल से जमीन और पेंशन के लिए चक्कर कटवा रहा है।

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Kargil Vijay Diwas: Zubeer Ahmed of Meerut was martyred in Kargil war 21 years ago
कारगिल शहीद जुबैर अहमद की वीरांगना इमराना अपने परिवार के साथ। - फोटो : अमर उजाला

कारगिल युद्ध के बारे में जिक्र करते ही वीर नारी इमराना उर्फ रानी अतीत में खो जाती हैं। बताती हैं कि आज भी वो पल मेरी आंखों के सामने है। जून 1999 की बात है। जुबैर अहमद का हैदराबाद से जम्मू के लिए तबादला हो गया था। वहां परिवार को साथ नहीं रख सकते थे। ऐसे में वे मुझे, दो बेटी और बेटे को घर छोड़ने के लिए छुट्टी लेकर मेरठ आ गए थे। 

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Kargil Vijay Diwas: Zubeer Ahmed of Meerut was martyred in Kargil war 21 years ago
कारगिल शहीद जुबैर अहमद और परिवार के सदस्य - फोटो : अमर उजाला

इसी दौरान कारगिल की जंग शुरू हो गई। रेडियो पर खबर आई थी। वे घर आए और अपना बैग लगाने लगे। इमराना बताती हैं कि मैंने पूछा तो उन्होंने बताया कि कारगिल में दुश्मन ने हमारे सैनिकों पर हमला बोल दिया है। मुझे भी जाना होगा। इमराना ने कहा कि अभी तो 20 दिन की छुट्टी बची है। लेकिन वे नहीं माने। कहने लगे कि सेना में जिस तरह से मेरे दादा सरफतउल्ला खां ने देश के लिए कई लड़ाई लड़ीं, मुझे भी वैसे ही लड़ना है। मैंने कहा रुक जाओ तो कहने लगे कि फौजी हूं... जंग में घर बैठ गया तो जिंदगी भर खुद को माफ नहीं कर पाऊंगा। यही तो मौका है देश के लिए कुछ कर दिखाने का। तीन जुलाई को जुबैर हिंद पहाड़ी पर लड़ते-लड़ते शहीद हो गए। भावुक इमराना बताती हैं कि उनको 40 गोलियां लगीं थीं। 

Kargil Vijay Diwas: Zubeer Ahmed of Meerut was martyred in Kargil war 21 years ago
कारगिल शहीद जुबैर अहमद और परिवार के सदस्य - फोटो : अमर उजाला

बेटियों को बनाया कामयाब 
मेरठ के थाना परीक्षितगढ़ के गांव ललियाना निवासी जुबैर अहमद की 22 ग्रेनेडियर हैदराबाद में तैनाती थी। वर्तमान में उनकी पत्नी इमराना, दोनों बेटियां और एक बेटा नौचंदी थाना क्षेत्र के जैदी फार्म गली नंबर दो में रहते हैं। वीर नारी इमराना बताती हैं कि वे बेटियों को पढ़ाना चाहते थे। उनकी इच्छा थी कि बेटी उच्च शिक्षा लेकर सरकारी सेवा में जाए। ऐसे में उन्होंने इस पर शुरू से ही ध्यान दिया। बड़ी बेटी सना परवीन अंग्रेजी से एमए कर चुकी हैं। छोटी बेटी निशा परवीन ने बीबीए कर लिया है। अब वह एमबीए करेंगी। बेटा खालिद जुबैर अपना काम कर रहा है। इमराना बताती हैं कि मेरी इच्छा बेटी को सेना में भेजने की थी। उसकी पढ़ाई के हिसाब से सेना में उसकी नियुक्ति होनी वाली है। हेड क्वार्टर से पत्र आने के बाद उसको ज्वॉइनिंग मिल जाएगी।

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Kargil Vijay Diwas: Zubeer Ahmed of Meerut was martyred in Kargil war 21 years ago
कारगिल युद्ध - फोटो : सोशल मीडिया

किसी ने नहीं सुना शहीद के परिवार का दर्द 
वीर नारी इमराना कहती हैं कि शहीद होने पर सारे अफसर-नेता तमाम आश्वासन देते हैं। लेकिन फिर सभी भूल जाते हैं। उनको सरकार ने जमीन देने की घोषणा की थी। उसका पत्र डीएम के दफ्तर में आज तक पड़ा हुआ है। सैकड़ों चक्कर काट चुकी हैं। लेकिन आज तक जमीन नहीं मिली। मवाना एसडीएम ने लिख दिया कि यहां जमीन नहीं हैं। अब कमिश्नर को फैसला लेना है। शहीद हो जाने पर परिवार का दर्द कोई नहीं समझता। उत्तर प्रदेश सरकार से पेंशन मिलनी थी। लेकिन साल 2004 से आज तक कुछ नहीं हुआ। लखनऊ चक्कर काट-काटकर थक गई हूं। अब तो घर बैठ गई हूं। तमाम सरकारें बदलीं। लेकिन किसी ने मदद नहीं की।

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