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तस्वीरें: ...जब मुलायम सिंह ने कहा था, इतिहास ऋषि-मुनियों का होता है PM-CM का नहीं, खास हैं यादें
अमर उजाला ब्यूरो, मुजफ्फरनगर
Published by: कपिल kapil
Updated Mon, 10 Oct 2022 08:00 PM IST
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मुजफ्फरनगर से जुड़ी मुलायम सिंह की यादें।
- फोटो : amar ujala
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सत्ता के गलियारों में सबसे अलग दिखने वाले मुलायम सिंह यादव को पौराणिक शुकतीर्थ से हमेशा लगाव रहा। 14 जुलाई 2006 को मुख्यमंत्री के रूप में मुलायम सिंह यादव यहां आए थे। अवसर था वीतराग स्वामी कल्याणदेव की दूसरी पुण्यतिथि। उस धार्मिक यात्रा को नेताजी अपना सौभाग्य मानते थे। उन्होंने कहा था कि इतिहास ऋषि-मुनियों का होता है, प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री का नहीं।
उस दौर में सूबे की सत्ता में मुलायम सिंह यादव शिखर पर थे। 2004 में कर्मयोगी संत ब्रह्मलीन हो गए।
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मुलायम सिंह की यादें
- फोटो : amar ujala
नेताजी शिक्षा ऋषि के अतुल्य जीवन से भलीभांति परिचित थे, उनके मन में शुकतीर्थ आने की बड़ी इच्छा थी। मुख्यमंत्री की व्यस्तता जगजाहिर होती है। शुकदेव आश्रम पीठाधीश्वर स्वामी ओमानंद लखनऊ में ठहरे थे। उनकी सरकार में कैबिनेट मंत्री वीरेंद्र सिंह ने सीएम से एनेक्सी में स्वामी जी की मुलाकात के लिए समय मांगा। मुलायम सिंह यादव को जब यह बताया गया कि शुकतीर्थ से स्वामी जी पधारे हैं, उन्होंने वीरेंद्र सिंह से कहा- एनेक्सी नहीं, बल्कि मुख्यमंत्री आवास लेकर आएं।
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मुलायम सिंह की यादें
- फोटो : amar ujala
फुर्सत के पल निकाल कर उन्होंने स्वामी ओमानंद से बातचीत की। शिक्षा ऋषि की यादें साझा कीं और अपने लिए बनाए गए खास लड्डू खिलाए। इसी भेंट में बनी सहृदयता सीएम यादव को शुकतीर्थ ले आई।
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मुलायम सिंह की यादें
- फोटो : amar ujala
वहीं 14 जुलाई 2006 को शुकदेव आश्रम में स्थित समाधि मंदिर में उन्होंने वीतराग संत की प्रतिमा का अनावरण किया था। डोंगरे सभागार में उनका संबोधन सुनकर तीर्थ के साधु-संत तक प्रसन्न हो गए। मुलायम सिंह बोले, इतिहास हमेशा ऋषि-मुनियों का रहा है, प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री का नहीं होता।
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मुलायम सिंह की यादें
- फोटो : amar ujala
गौतम बुद्ध राजा बन जाते तो हिंदुस्तानी खुद को ये कहकर गौरवान्वित न करते कि ये गौतम बुद्ध की धरती है। इतने बड़े संत के उत्तराधिकारी होकर भी स्वामी ओमानंद की सादगी और सहृदयता ने मन छू लिया। जब यह सीएम आवास आए, मैं इनके सद्व्यवहार से प्रभावित हुए बिना नहीं रह सका और आज शुकतीर्थ में आकर धन्य हो गया।
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