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GRP सिपाही हत्याकांड: पूर्व सांसद उमाकांत ने ललकारा था, मारो एक भी बचकर न जाए...फिर शुरू हुई अंधाधुंध गोलीबारी
अमर उजाला नेटवर्क, जौनपुर
Published by: शाहरुख खान
Updated Sun, 07 Aug 2022 07:56 AM IST
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पेशी के दौरान पूर्व सांसद उमाकांत यादव
- फोटो : अमर उजाला
जौनपुर के मछलीशहर से बसपा के पूर्व सांसद उमाकांत यादव समेत सात लोगों को अपर सत्र न्यायाधीश तृतीय शरद कुमार तिवारी ने जीआरपी सिपाही हत्याकांड मामले में दोषी करार दिया है। घटना शाहगंज में 4 फरवरी 1995 को हुई थी। सजा के बिंदु पर आठ अगस्त को सुनवाई होगी। जीआरपी शाहगंज के तत्कालीन कांस्टेबल रघुनाथ सिंह ने घटना के संबंध में प्राथमिकी दर्ज कराई थी। जिसके मुताबिक चार फरवरी 1995 को जीआरपी सिपाही रघुनाथ सिंह शाहगंज स्टेशन पर मौजूद था। इस दौरान प्लेटफार्म नंबर एक पर बेंच पर बैठने को लेकर पूर्व सांसद उमाकांत यादव के कार चालक राजकुमार यादव का एक यात्री से विवाद हो गया था। समझाने पर उसने जीआरपी सिपाही को थप्पड़ मार दिया। उसने अन्य सिपाहियों को बुलाया और झगड़ा करने वाले दोनों लोगों को जीआरपी चौकी ले आए।
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उमाकांत यादव
- फोटो : अमर उजाला
तहरीर के अनुसार दिन में लगभग ढाई बजे रायफल, पिस्टल और रिवाल्वर जैसे असलहों से लैस होकर आरोपी पूर्व सांसद उमाकांत यादव अपने छह नामजद साथियों व अन्य लोगों के साथ आए और पुलिस लॉकअप में बंद चालक राजकुमार यादव को जबरन छुड़ाने लगे। इस दौरान हुई अंधाधुंध फायरिंग में सिपाही अजय सिंह की मौत हो गई थी। दिनदहाड़े हुई इस वारदात से इलाके में दहशत हो गई थी।
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umakant yaday
- फोटो : अमर उजाला
उमाकांत ने ललकारा था-मारो एक भी बचने न पाए
मामले में जीआरपी शाहगंज में तत्कालीन सिपाही रघुनाथ सिंह ने मुकदमा दर्ज कराया था। अभियोजन के मुताबिक 4 फरवरी 1995 को दिन 2:30 बजे वह शाहगंज स्टेशन मास्टर कार्यालय के सामने खड़ा था। प्लेटफार्म नंबर एक पर बेंच पर बैठने की बात को लेकर कुछ लोग झगड़ा कर रहे थे।
मामले में जीआरपी शाहगंज में तत्कालीन सिपाही रघुनाथ सिंह ने मुकदमा दर्ज कराया था। अभियोजन के मुताबिक 4 फरवरी 1995 को दिन 2:30 बजे वह शाहगंज स्टेशन मास्टर कार्यालय के सामने खड़ा था। प्लेटफार्म नंबर एक पर बेंच पर बैठने की बात को लेकर कुछ लोग झगड़ा कर रहे थे।
पेशी के दौरान पूर्व सांसद उमाकांत यादव
- फोटो : अमर उजाला
जब वह वहां पहुंचा तो राजकुमार यादव ने खुद को तत्कालीन विधायक उमाकांत यादव का कार ड्राइवर बताया था। समझाने पर उसने वादी को थप्पड़ मार दिया। वादी ने अन्य सिपाहियों को बुलाया। झगड़ा करने वाले दोनों लोगों को जीआरपी चौकी लाया गया। आरोपी राजकुमार के साथियों ने उमाकांत यादव को घटना की सूचना दी।
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फाइल फोटो
- फोटो : amar ujala
थोड़ी देर में उमाकांत यादव रिवाल्वर के साथ, गनर बच्चू लाल कारबाइन, आरोपी सूबेदार, धर्मराज, महेंद्र व सभाजीत राइफल लेकर अन्य आरोपियों के साथ बंदूक व देसी तमंचा लेकर पहुंचे। उमाकांत ने ललकारा मारो एक भी बचने न पाए और सभी अंधाधुंध फायरिंग करने लगे। प्लेटफार्म पर भगदड़ मच गई थी। 27 साल पहले हुई इस घटना की चर्चा हर किसी की जुबान पर है।
