सब्सक्राइब करें
Hindi News ›   Uttar Pradesh ›   Agra News ›   Agra Smart City Taj Mahal Drain Project Fails: Rs 90 Lakh Spent Dirty Water Enters Homes, Project Shut

UP: आगरा में 27 लाख रुपये हो गए खर्च...फिर भी नहीं साफ हो सका पानी, AMU का प्रोजेक्ट हो गया फेल

अमर उजाला न्यूज नेटवर्क, आगरा Published by: धीरेन्द्र सिंह Updated Mon, 22 Sep 2025 08:45 AM IST
विज्ञापन
सार

ताजमहल के शहर आगरा का पानी  27 लाख खर्च होने के बाद भी साफ नहीं हो सका। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय को इसके लिए जिम्मा दिया गया था। प्रोजेक्ट विफल होने के बाद अब स्मार्ट सिटी लिमिटेड ने बकाया 63 लाख रुपये एएमयू से लौटाने के लिए कहा है। 

Agra Smart City Taj Mahal Drain Project Fails: Rs 90 Lakh Spent Dirty Water Enters Homes, Project Shut
मंडलायुक्त शैलेंद्र कुमार सिंह - फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
विज्ञापन

विस्तार
Follow Us

आगरा स्मार्ट सिटी क्षेत्र के तौर पर ताजमहल के आसपास के क्षेत्र को चुना गया था। इसी क्षेत्र में ताज के पूर्वी गेट से होकर सीधे यमुना में गिरने वाले नाले के पानी को फिल्टर करने के लिए बायोरेमेडिएशन व वेटलैंड ट्रीटमेंट प्रोजेक्ट तैयार किया गया। 90 लाख रुपये की लागत वाले इस प्रोजेक्ट को लागू करने का जिम्मा अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय एएमयू को दिया गया। प्रोजेक्ट शुरू हुआ लेकिन इसका लाभ होने की बजाय लोगों की परेशानी बढ़ गईं।
Trending Videos


बारिश के दौरान घरों में ही नाले का गंदा पानी घुसने लगा। यही नहीं, पानी का फ्लो ज्यादा होने की वजह से वेटलैंड एरिया में पौधे भी नहीं टिक पा रहे थे। इस समस्या से जूझते हुए प्रोजेक्ट के 90 लाख रुपये में से 27 लाख रुपये खर्च हो चुके थे। इसी साल फरवरी महीने में ताजगंज क्षेत्र के पार्षद ने लोगों के घरों में पानी भरने की समस्या के चलते प्रोजेक्ट पर सवाल उठाए। स्मार्ट सिटी के अधिकारियों ने इसपर एएमयू के डिपार्टमेंट ऑफ सिविल इंजीनियरिंग के साथ मंथन शुरू किया। चर्चा के बाद अब प्रोजेक्ट को बंद करने का फैसला लिया गया है।
विज्ञापन
विज्ञापन


मंडलायुक्त शैलेंद्र कुमार सिंह की अध्यक्षता में हुई स्मार्ट सिटी बोर्ड की बैठक में इस फैसले पर मुहर भी लग गई है। इस फैसले के साथ ही स्मार्ट सिटी ने एएमयू प्रशासन से बकाया 63 लाख रुपये लौटाने के लिए संपर्क साधा है। स्मार्ट सिटी के महाप्रबंधक अरुण कुमार ने बताया कि शुरू में तो पानी साफ हुआ, लेकिन प्रोजेक्ट के गेट पर गाद भरने की वजह से पानी बैक फ्लो होकर आसपास के घरों में जाने लगता था। साथ ही पिछले तीन साल से वहां बनाए गए वेटलैंड में पानी साफ करने वाले पौधे ही तेज बहाव के कारण बह जाते थे। ऐसे में इस दोहरी समस्या से निजात पाने के लिए ही प्रोजेक्ट को बंद करने का फैसला बोर्ड की बैठक में लिया गया है।

इसलिए एएमयू को दिया गया था जिम्मा
एएमयू के डिपार्टमेंट ऑफ सिविल इंजीनियरिंग के प्रो. (डॉ.) नदीम खलील खंदे पानी के प्रकृति आधारित समाधान के लिए विशेषज्ञ माने जाते हैं। डिपार्टमेंट के पास इस प्राकृतिक विधा का पेटेंट है और उन्होंने कानपुर और अलीगढ़ में इस तरह के प्रोजेक्ट लगाए हैं। चूंकि ताज के आसपास नए प्रोजेक्ट को लगाने में कई तरह की अनुमतियां और औपचारिकताएं आ सकती थी, इसलिए स्मार्ट सिटी ने एएमयू को प्रकृति आधारित समाधान के जरिये गंदे पानी को शोधित कर यमुना में छोड़ने का जिम्मा सौंपा।

2024 में बताई थी कई परेशानी
विभागाध्यक्ष प्रो. खलील ने वेटलैंड को लेकर जुलाई 2024 में स्मार्ट सिटी को पत्र लिखकर कई परेशानियां बताकर सुझाव सुझाए थे। हालांकि उनपर न तो चर्चा हुई और न ही कोई काम हुआ। इसी वजह से जब स्मार्ट सिटी के महाप्रबंधक (प्रोजेक्ट) ने प्रोजेक्ट बंद करने के संबंध में पत्र लिखा तो प्रो. खलील ने उनके फैसले का समर्थन कर दिया।
 
विज्ञापन
विज्ञापन

रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News App, iOS Hindi News App और Amarujala Hindi News APP अपने मोबाइल पे|
Get all India News in Hindi related to live update of politics, sports, entertainment, technology and education etc. Stay updated with us for all breaking news from India News and more news in Hindi.

विज्ञापन
विज्ञापन

एड फ्री अनुभव के लिए अमर उजाला प्रीमियम सब्सक्राइब करें

Next Article

एप में पढ़ें

Followed