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UP: लंबे कान, छोटी पूंछ, मजबूत खुर... वैष्णो देवी की चढ़ाई में माहिर 'श्याम-मोहन', बिके 800 घोड़े और 250 खच्चर

संवाद न्यूज एजेंसी, आगरा Published by: अरुन पाराशर Updated Fri, 24 Oct 2025 12:24 PM IST
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सार

उत्तर प्रदेश के आगरा में बटेश्वर मेला का आयोजन किया गया है। इसमें तरह-तहर की नस्ल के घोड़े और खच्चर आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। अब तक एक हजार से अधिक घोड़े और खच्चर की बिक्री हो चुकी है। 

Bateshwar cattle Fair organised in Bah in Agra, mules and horses became centre of attraction
खच्चर श्याम और मोहन की जोड़ी। - फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
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विस्तार
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आगरा के बटेश्वर के घोड़ा और खच्चर मेले से जिला पंचायत ने बुधवार तक 5.55 लाख रुपये पशु रजिस्ट्रेशन से कमाए हैं। घोड़ा का रजिस्ट्रेशन शुल्क 600 रुपये एवं गधा व खच्चर का 300 रुपये प्रति पशु है। जिला पंचायत के अधिकारियों ने बताया कि घोड़े के मेले से 4.80 लाख रुपये की आमदनी हुई है। बुधवार तक मेला में 800 घोड़े बिके हैं। खच्चर के मेले से 75 हजार रुपये की आमदनी हुई है, मेले में 250 खच्चर बिके हैं।
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बता दें कि खच्चर का मेला देर से आबाद हुआ। खच्चर लेकर व्यापारी अभी भी मेले में आ रहे हैं। सबलगढ़ मुरैना के मूलचंद्र 20 खच्चर लेकर बृहस्पतिवार को बटेश्वर मेला पहुंचे। जालौन के किशन 20 खच्चर लेकर आए हैं, जिनमें से 4 बिके हैं। उन्होंने बताया कि खच्चर नंदू और नंदनी की जोड़ी की कीमत बिजनौर के व्यापारी अली खां ने एक लाख रुपये लगाई है। वह 1.50 लाख रुपये में बेचना चाहते हैं।
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पहाड़ों की चढ़ाई में माहिर 
लंबे कान, छाेटी पूंछ और मजबूत खुर वाले खच्चरों से आबाद हुए बटेश्वर मेले में पहाड़ों की चढ़ाई में माहिर खच्चर श्याम एवं मोहन की खूबी पर खरीदार रीझ रहे हैं। डोंगरपुर धौलपुर के नेमीचंद्र खच्चर की जोड़ी लेकर मेले में पहुंचे हैं। उन्होंने अंबर नस्ल के खच्चर श्याम की कीमत 2.50 लाख रुपये, मोहन की कीमत 3.50 लाख रुपये रखी है। 

 

उन्होंने बताया कि केदारनाथ के खरीदार जगमोहन ने जोड़ी के दाम 4.50 लाख रुपये लगाए हैं। बताया कि वैष्णो देवी की 2 क्विंटल वजन के साथ चढ़ाई में दोनों खच्चर माहिर हैं। दोनों की चाल भी तेज है। खुराक में घास और चना दिए जाते हैं। चरते समय आंखों से ओझल होने पर आवाज लगाते ही दौड़ कर पास चले आते हैं। 

 

भट्ठों पर 10 हजार ईंट की बुग्गी को खींचने की क्षमता रखने वाले खच्चर की जोड़ी की घोड़े जैसी दौड़ की खूबी पर पारखी लट्टू हो रहे हैं। नेमीचंद्र ने बताया कि गढ़ मुक्तेश्वर, हवेली, पुष्कर, बटेश्वर आदि मेलों में खच्चर खरीदने, बेचने के लिए जाते हैं।

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