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UP: ये आठ बेहद शातिर...दुबई से ली स्पेशल ट्रेंनिग, ऐसे करते थे करोड़ों की कमाई, कारनामे सुन रह जाएंगे सन्न
अमर उजाला न्यूज नेटवर्क, आगरा
Published by: धीरेन्द्र सिंह
Updated Wed, 26 Nov 2025 08:33 AM IST
सार
आगरा पुलिस ने थाना ताजगंज क्षेत्र के होटल में ठहरे ऐसे आठ शातिरों को गिरफ्तार किया है, जो विदेशी साइबर ठगों के लिए 75 लाख से 10 करोड़ की लिमिट के म्यूल एकाउंट खुलवाते थे।
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शातिर गिरफ्तार
- फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
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विस्तार
विदेश में बैठे साइबर ठगों के लिए भोले-भाले लोगों को जाल में फंसाकर उनके 75 लाख से 10 करोड़ तक की लिमिट के खाते खुलवाने वाले गिरोह के आठ आरोपियों को मंगलवार को साइबर सेल की टीम ने थाना ताजगंज के एक होटल से गिरफ्तार किया। खातों में ठगी की रकम आने पर साइबर ठग चीनी डिवाइस और एप की मदद से मिनटों में क्रिप्टोकरेंसी और डाॅलर में बदलकर अपने 40 से 50 म्यूल एकाउंट में ट्रांसफर कर लेते हैं। एक आरोपी देवेंद्र दुबई से प्रशिक्षण लेकर आया है। खाते खुलवाने पर साइबर ठग एजेंटों को दो प्रतिशत कमीशन देते थे।
अपर पुलिस उपायुक्त आदित्य सिंह ने बताया कि साइबर सेल की टीम को सूचना मिली थी कुछ लोग थाना ताजगंज क्षेत्र के होटल में ठहरे हुए हैं। वह म्यूल एकाउंट के माध्यम से साइबर ठगी करने वाले हैं। इस सूचना पर टीम ने कार्रवाई की। ताजगंज के फतेहाबाद रोड स्थित होटल जिम्मी में सोमवार रात 1 बजे दबिश देकर आठ लोगों को पकड़ लिया। पुलिस के पहुंचने से पहले चार लोग भाग गए। दो आरोपियों पर पहले से साइबर अपराध की प्राथमिकी दर्ज है। आरोपियों से पूछताछ में पता चला कि आरोपी कंबोडिया, म्यांमार आदि देशों में बैठे साइबर ठगों के लिए काम करते हैं।
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अपर पुलिस उपायुक्त आदित्य सिंह ने बताया कि साइबर सेल की टीम को सूचना मिली थी कुछ लोग थाना ताजगंज क्षेत्र के होटल में ठहरे हुए हैं। वह म्यूल एकाउंट के माध्यम से साइबर ठगी करने वाले हैं। इस सूचना पर टीम ने कार्रवाई की। ताजगंज के फतेहाबाद रोड स्थित होटल जिम्मी में सोमवार रात 1 बजे दबिश देकर आठ लोगों को पकड़ लिया। पुलिस के पहुंचने से पहले चार लोग भाग गए। दो आरोपियों पर पहले से साइबर अपराध की प्राथमिकी दर्ज है। आरोपियों से पूछताछ में पता चला कि आरोपी कंबोडिया, म्यांमार आदि देशों में बैठे साइबर ठगों के लिए काम करते हैं।
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आरोपी लोगों को लालच देकर उनके दस्तावेज की मदद से म्यूल एकाउंट खुलवाते हैं। इन एकाउंट की जानकारी, डेबिट कार्ड और चेक बुक सरगना के पास भेज देते थे। साइबर ठगी की रकम इन खातों में जमा कराई जाती थी। इसके बदले में आरोपियों को दो प्रतिशत का कमीशन हर लेन-देन पर मिलता था। जिन लोगों के खाते खुलवाए जाते थे, उनको एक से दो हजार ही देते थे। आरोपियों के मोबाइल में व्हाट्सएप चैट में खातों की जानकारी मिली है। इन खातों की शिकायत दर्ज है, जिनमें साइबर ठगी की रकम आई थी।
अपर पुलिस उपायुक्त के मुताबिक, मोबाइल में एक डिवाइस का वीडियो मिला। इसके बारे में पूछने पर आरोपियों ने बताया कि साइबर ठग एक डिवाइस की मदद से रकम को 40 से 50 तक म्यूल एकाउंट में ट्रांसफर करते हैं। लोगों को फंसाकर जो खाते खुलवाए जाते हैं, उनकी लिमिट 75 लाख से 10 करोड़ तक रखी जाती है। एक साथ रकम आने पर एक ही खाते में ट्रांसफर नहीं की जा सकती। कई बार पुलिस इन खातों को फ्रीज भी करा देती है।
इससे बचने के लिए विदेशी साइबर ठग चीनी डिवाइस का प्रयोग कर रहे हैं। इस डिवाइस में सिर्फ खाता नंबर, डेबिट कार्ड का नंबर, मोबाइल नंबर, नेट बैंकिंग का पिन डालना होता है। यह डिवाइस करेंट एकाउंट से लिंक रहती है। इसके बाद खाते से रकम मिनटों में दूसरे एकाउंट में ट्रांसफर होने लगती है। इसे क्रिप्टोकरेंसी और डाॅलर में बदलकर विदेशी खातों की मदद से निकाल लिया जाता है। यह डिवाइस किस तरह से बैंक खातों से कनेक्ट है, इसके बारे में पुलिस जानकारी जुटा रही है। फरार आरोपियों की तलाश में दबिश दी जा रही है।
इनकी हुई गिरफ्तारी
पुलिस ने रनवीर भार्गव (निवासी कैलाशपुरी, पालम गांव दक्षिण, पश्चिमी दिल्ली), साैरभ चाैधरी (निवासी नागल खुर्द, अलीगढ़), अनुज (निवासी 305, भगत कतरा, औरैया), राहुल कुमार (निवासी कावेरी कुंज, आगरा), देवेंद्र प्रताप सिंह (निवासी सर्वोदय नगर अल्लापुर, प्रयागराज), अजय कुमार (निवासी प्रताप नगर, जगदीशपुरा, आगरा), ध्रुवनाथ प्रताप सिंह (निवासी बल्लीपुर, फिरोजाबाद) और चिरंजीवी शर्मा (निवासी फुलट्टी बाजार, एमएम गेट आगरा) को गिरफ्तार किया है। वहीं भीलवाड़ा के एक व्यक्ति सहित वरुण, राहुल और जय के नाम भी आरोपियों से पूछताछ में सामने आए हैं। वह भी आरोपियों के साथ आए थे मगर पुलिस के पहुंचने से पहले भाग गए।
पुलिस ने रनवीर भार्गव (निवासी कैलाशपुरी, पालम गांव दक्षिण, पश्चिमी दिल्ली), साैरभ चाैधरी (निवासी नागल खुर्द, अलीगढ़), अनुज (निवासी 305, भगत कतरा, औरैया), राहुल कुमार (निवासी कावेरी कुंज, आगरा), देवेंद्र प्रताप सिंह (निवासी सर्वोदय नगर अल्लापुर, प्रयागराज), अजय कुमार (निवासी प्रताप नगर, जगदीशपुरा, आगरा), ध्रुवनाथ प्रताप सिंह (निवासी बल्लीपुर, फिरोजाबाद) और चिरंजीवी शर्मा (निवासी फुलट्टी बाजार, एमएम गेट आगरा) को गिरफ्तार किया है। वहीं भीलवाड़ा के एक व्यक्ति सहित वरुण, राहुल और जय के नाम भी आरोपियों से पूछताछ में सामने आए हैं। वह भी आरोपियों के साथ आए थे मगर पुलिस के पहुंचने से पहले भाग गए।
यह हुई बरामदगी
पुलिस ने आरोपियों से नेपाली मुद्रा के रूप में 215 रुपये, भारतीय मुद्रा के 3,412 रुपये, 9 मोबाइल, फोन, 42 डेबिट कार्ड, 11 चेकबुक और 1 गाड़ी बरामद की है। मोबाइल में डिवाइस के वीडियो मिले हैं, जिसकी मदद से रकम अन्य खातों में ट्रांसफर की जाती थी। विदेशी लोगों की आईडी भी मिली है।
पुलिस ने आरोपियों से नेपाली मुद्रा के रूप में 215 रुपये, भारतीय मुद्रा के 3,412 रुपये, 9 मोबाइल, फोन, 42 डेबिट कार्ड, 11 चेकबुक और 1 गाड़ी बरामद की है। मोबाइल में डिवाइस के वीडियो मिले हैं, जिसकी मदद से रकम अन्य खातों में ट्रांसफर की जाती थी। विदेशी लोगों की आईडी भी मिली है।
गिरफ्तारी की, रकम की बमरादगी नहीं
पुलिस के मुताबिक, आरोपी पिछले 3 से 4 साल से खाते खुलवाने का काम कर रहे थे। अब तक सैकड़ों लोगों के खाते खुलवाए हैं। इनमें करोड़ों की रकम को साइबर ठगों ने जमा कराने के बाद विभिन्न खातों की मदद से निकाल लिया है मगर पुलिस रकम बरामदगी नहीं कर सकी है। यह भी पता नहीं चला है कि कितने लोगों के खाते खुलवाए हैं। इस तरह के गिरोह पुलिस पहले भी पकड़े जा चुके हैं।
पुलिस के मुताबिक, आरोपी पिछले 3 से 4 साल से खाते खुलवाने का काम कर रहे थे। अब तक सैकड़ों लोगों के खाते खुलवाए हैं। इनमें करोड़ों की रकम को साइबर ठगों ने जमा कराने के बाद विभिन्न खातों की मदद से निकाल लिया है मगर पुलिस रकम बरामदगी नहीं कर सकी है। यह भी पता नहीं चला है कि कितने लोगों के खाते खुलवाए हैं। इस तरह के गिरोह पुलिस पहले भी पकड़े जा चुके हैं।
क्या है म्यूल अकाउंट
एडीसीपी आदित्य सिंह के मुताबिक म्यूल अकाउंट ऐसे बैंक खाते जिनका उपयोग साइबर ठग अवैध धन को छिपाने और स्थानांतरित करने के लिए करते हैं। इन खातों के असली मालिक झांसे में आकर धोखेबाजों के मददगार बन जाते हैं। म्यूल अकाउंट के कारण पुलिस के लिए पैसे के वास्तविक स्रोत का पता लगाना मुश्किल हो जाता है।
एडीसीपी आदित्य सिंह के मुताबिक म्यूल अकाउंट ऐसे बैंक खाते जिनका उपयोग साइबर ठग अवैध धन को छिपाने और स्थानांतरित करने के लिए करते हैं। इन खातों के असली मालिक झांसे में आकर धोखेबाजों के मददगार बन जाते हैं। म्यूल अकाउंट के कारण पुलिस के लिए पैसे के वास्तविक स्रोत का पता लगाना मुश्किल हो जाता है।