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UP: ग्रामीण बच्चों के लिए कंप्यूटर तो आए, लेकिन...कागजों में दौड़ती डिजिटल शिक्षा की हैरान करने वाली तस्वीर
अमर उजाला न्यूज नेटवर्क, आगरा
Published by: धीरेन्द्र सिंह
Updated Thu, 13 Nov 2025 09:35 AM IST
सार
ग्रामीण बच्चों को तकनीकी शिक्षा से जोड़ने के लिए श्यामा प्रसाद रुर्बन मिशन के तहत बिचपुरी ब्लॉक के मिढ़ाकुर, नानपुर, लड़ामदा, बरारा, गढ़सानी आदि विद्यालयों में कंप्यूटर उपलब्ध कराए थे, लेकिन उनका उपयोग नहीं हो सका।
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कागजों में दौड़ती डिजिटल शिक्षा
- फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
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विस्तार
ग्रामीण बच्चों को तकनीकी शिक्षा से जोड़ने के लिए शासन ने वर्ष 2022 में श्यामा प्रसाद रुर्बन मिशन के तहत बिचपुरी ब्लॉक के मिढ़ाकुर, नानपुर, लड़ामदा, बरारा, गढ़सानी आदि विद्यालयों में कंप्यूटर उपलब्ध कराए थे। जमीनी तस्वीर कुछ और ही है। विद्यालयों में कंप्यूटर तीन साल से धूल खा रहे हैं।
उच्च प्राथमिक विद्यालय नानपुर की प्रधानाध्यापिका सरला यादव ने बताया कि विद्यालय में अलग से कंप्यूटर रूम बनाया गया था। कंप्यूटर रखने के बाद उन्हें चालू करके भी नहीं दिखाया गया। वहीं, अभी तक कोई प्रशिक्षित शिक्षक भी नहीं आया है। विद्यालयों में सिस्टम वर्षों से बंद पड़े हैं। इससे वे शोपीस बन गए हैं। वहीं, बरारा की इंचार्ज प्रधानाध्यापिका निधि गौतम का कहना है कि मिशन के तहत उपकरण तो दिए गए, लेकिन तकनीकी सहयोग, प्रशिक्षण और रखरखाव की कोई व्यवस्था नहीं की गई। सीलन से कंप्यूटर खराब हो गए हैं। विभाग को कई बार सूचना दी गई, पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है। वहीं, खंड शिक्षा अधिकारी बिचपुरी रंजन गुप्ता ने बताया है कि उन्हें इस संबंध में कोई जानकारी नहीं है।
योजना अच्छी, निगरानी कमजोर
ग्राम प्रधान नानपुर उदय सिंह ने कहा कि योजना अच्छी थी, पर निगरानी और जवाबदेही तय न होने से लाभ बच्चों तक नहीं पहुंच पाया। लाखों रुपये खर्च होने के बावजूद डिजिटल शिक्षा का सपना अधूरा रह गया।
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उच्च प्राथमिक विद्यालय नानपुर की प्रधानाध्यापिका सरला यादव ने बताया कि विद्यालय में अलग से कंप्यूटर रूम बनाया गया था। कंप्यूटर रखने के बाद उन्हें चालू करके भी नहीं दिखाया गया। वहीं, अभी तक कोई प्रशिक्षित शिक्षक भी नहीं आया है। विद्यालयों में सिस्टम वर्षों से बंद पड़े हैं। इससे वे शोपीस बन गए हैं। वहीं, बरारा की इंचार्ज प्रधानाध्यापिका निधि गौतम का कहना है कि मिशन के तहत उपकरण तो दिए गए, लेकिन तकनीकी सहयोग, प्रशिक्षण और रखरखाव की कोई व्यवस्था नहीं की गई। सीलन से कंप्यूटर खराब हो गए हैं। विभाग को कई बार सूचना दी गई, पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है। वहीं, खंड शिक्षा अधिकारी बिचपुरी रंजन गुप्ता ने बताया है कि उन्हें इस संबंध में कोई जानकारी नहीं है।
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योजना अच्छी, निगरानी कमजोर
ग्राम प्रधान नानपुर उदय सिंह ने कहा कि योजना अच्छी थी, पर निगरानी और जवाबदेही तय न होने से लाभ बच्चों तक नहीं पहुंच पाया। लाखों रुपये खर्च होने के बावजूद डिजिटल शिक्षा का सपना अधूरा रह गया।