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गंगा कटान से वर्ष 2010 मे इतिहास बन गया था भसावली गांव
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कासगंज के बरौना गांव में सडक को काटकर गांव की ओर प्रवेश करता बाढ़ का पानी ।
- फोटो : KASGANJ
कासगंज। गंगा के रौद्र रुप जिले के तटवर्ती इलाकों के लिए पहले भी खतरनाक साबित होता रहा है। भसावली गांव में वर्ष 2010 में गंगा ने ऐसी त्रासदी आई की गांव गंगा के कटान में समा गया। उस समय इस तबाही की गूंज शासन तक पहुंची। तत्कालीन सिंचाई मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने यहां का दो बार दौरा किया। पल पल मिटे भसावली गांव के अस्तित्व का दर्द आज भी लोगों के जेहन में है। अब 12 वर्ष के बाद ठीक वैसे ही हालात पटियाली तहसील के बरौना गांव में बने हैं।
उस समय भसावली गांव के कटान के दौरान अगस्त माह था और गंगा का किनारा भी दक्षिणी था। जहां तेजी से गंगा की धारा ने कटान किया और कुछ ही दिनों में पूरे गांव का अस्तित्व मिटा दिया। प्रशासन को नई जमीन पर यह गांव बसाना पड़ा, लेकिन इस त्रासदी के बाद शासन, प्रशासन ने सबक लिया। गंगा के सामान्य स्थिति में पहुंचने के बाद यहां ड्रेन बनाकर गंगा की धारा को ठीक किया गया। उसके बाद इस इलाके को कटान से निजात मिली।
भसावली गांव के साथ उस समय नगला दल और डेलासराय गांव को भी बड़ा खतरा था, लेकिन कटान रोधी कार्य कारगर होने से राहत मिली थी। नगला दल के पूर्व ग्राम प्रधान डिप्टी सिंह ने उस त्रासदी को याद करते हुए बताया कि भसावली गांव 150 वर्ष पुराना गांव था। जिसका अस्तित्व गंगा की धारा के कटान से मिट गया। ग्रामीणों की खेती की जमीन, घर सब गंगा की भेंट चढ़ गया। गांव का सरकारी स्कूल, बिजली के पोल सब कुछ कटान में समा गया।
पर इन कार्यों से भसावली का अस्तित्व नहीं बच पाया।
ठीक ऐसा ही मंजर बरौना गांव का है। इस समय भी अगस्त का महीना है और गंगा का निशाना भी दक्षिणी किनारा है। सिंचाई विभाग के प्रयास भी अभी तक कारगर नहीं हो पा रहे। ऐसे में बरौना गांव के अस्तित्व को बचाने के लिए ग्रामीण जुटे हुए हैं, प्रशासन भी जुटा है। मां गंगा से बचाव के लिए गांव की महिलाएं प्रार्थना कर रही है। कैसे भी गांव की रक्षा हो।
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उस समय भसावली गांव के कटान के दौरान अगस्त माह था और गंगा का किनारा भी दक्षिणी था। जहां तेजी से गंगा की धारा ने कटान किया और कुछ ही दिनों में पूरे गांव का अस्तित्व मिटा दिया। प्रशासन को नई जमीन पर यह गांव बसाना पड़ा, लेकिन इस त्रासदी के बाद शासन, प्रशासन ने सबक लिया। गंगा के सामान्य स्थिति में पहुंचने के बाद यहां ड्रेन बनाकर गंगा की धारा को ठीक किया गया। उसके बाद इस इलाके को कटान से निजात मिली।
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भसावली गांव के साथ उस समय नगला दल और डेलासराय गांव को भी बड़ा खतरा था, लेकिन कटान रोधी कार्य कारगर होने से राहत मिली थी। नगला दल के पूर्व ग्राम प्रधान डिप्टी सिंह ने उस त्रासदी को याद करते हुए बताया कि भसावली गांव 150 वर्ष पुराना गांव था। जिसका अस्तित्व गंगा की धारा के कटान से मिट गया। ग्रामीणों की खेती की जमीन, घर सब गंगा की भेंट चढ़ गया। गांव का सरकारी स्कूल, बिजली के पोल सब कुछ कटान में समा गया।
पर इन कार्यों से भसावली का अस्तित्व नहीं बच पाया।
ठीक ऐसा ही मंजर बरौना गांव का है। इस समय भी अगस्त का महीना है और गंगा का निशाना भी दक्षिणी किनारा है। सिंचाई विभाग के प्रयास भी अभी तक कारगर नहीं हो पा रहे। ऐसे में बरौना गांव के अस्तित्व को बचाने के लिए ग्रामीण जुटे हुए हैं, प्रशासन भी जुटा है। मां गंगा से बचाव के लिए गांव की महिलाएं प्रार्थना कर रही है। कैसे भी गांव की रक्षा हो।