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UP: अखिलेश के हाथों से फिसल रहे यादव, अपने ही जाल में फंस गए सपा अध्यक्ष; ये फैसला न बिगाड़ दे बना बनाया खेल!

राजीव वर्मा, एटा Published by: धीरेन्द्र सिंह Updated Wed, 01 May 2024 03:22 PM IST
सार

लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण के मतदान का शोर है। ऐसे में अखिलेश यादव के लिए बड़ी मुसीबत एटा से है। यादव बाहुल्य इस सीट पर सपा ने शाक्य प्रत्याशी को चुनाव मैदान में उतारा है। ऐसे में कई यादव नेता अखिलेश यादव से नाराज हो गए हैं। 
 

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Lok Sabha Election 2024 SP chief Akhilesh Yadav embroiled in caste arithmetic with Etah
सपा प्रमुख अखिलेश यादव - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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एटा लोकसभा सीट पर नए जातिगत समीकरणों से सपा ने जीत के लिए जो जाल बुना था, उसमें खुद ही उलझती नजर आ रही है। टिकट के यादव दावेदारों को दरकिनार कर पार्टी ने शाक्य बिरादरी के देवेश शाक्य को चुनाव लड़ने के लिए उतारा है। ऐसे में शाक्य मतदाताओं को संभालने की कोशिश की जा रही है, लेकिन इस प्रयास में पार्टी के बेस वोटर यादव फिसलते जा रहे हैं। अब पार्टी उस पायदान पर है, जहां से यादवों को संभाला तो पूरा सियासी गणित ही गड़बड़ा जाएगा।
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इस सीट पर पूर्व में सपा हमेशा ही यादव समाज के लोगों को टिकट देती रही है। यूं तो पार्टी के इस निर्णय पर अन्य वर्ग के लोग उंगलियां भी उठाते रहे, लेकिन यादव बाहुल्य सीट और सपा के यादव प्रेम के आगे सभी तर्क-वितर्क पीछे छूट जाते थे, लेकिन इस चुनाव में पार्टी ने अप्रत्याशित फैसला लेते हुए देवेश शाक्य को टिकट थमा दिया। ऐसा जातीय समीकरण बनाने की कोशिश की गई, जिसमें शाक्य मतदाताओं को रिझाया जाए। पार्टी का मानना था कि यादव मतदाता उसे छोड़कर कहीं नहीं जाएगा। जबकि शाक्य प्रत्याशी के नाम पर शाक्य मतदाताओं के आने से पलड़ा भारी हो जाएगा।
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एक ओर जहां पार्टी के इस फैसले से तमाम स्थानीय नेता क्षुब्ध थे, तो प्रत्याशी ने भी आकर पार्टी का इशारा समझते हुए सबसे पहले सजातीय शाक्य मतदाताओं को ही साधने का काम शुरू किया। ऐसे में इस वर्ग के मतदाताओं में बंटवारा होता हुआ नजर आ रहा है, लेकिन दूसरी ओर यादव छिटकते दिख रहे हैं। कासगंज में देवेंद्र सिंह यादव, एटा में पूर्व ब्लॉक प्रमुख वजीर सिंह यादव सहित कई अन्य यादव नेता और उनके समर्थकों ने सपा छोड़ भाजपा का दामन थाम लिया है। लगातार सपा के विरोध और भाजपा के समर्थन में प्रचार में जुटे हैं। ऐसे में यादव मतदाताओं को सहेजकर रखना सपा के लिए बड़ी चुनौती हो गई है। 

ये है जातीय गणित
दरअसल, एटा लोकसभा सीट पर जहां सर्वाधिक मतदाता लोधी समाज के हैं। इसके बाद यादव तो शाक्य भी बहुतायत में हैं। भाजपा सवर्ण, लोधी और शाक्य मतदाताओं के समीकरण पर यहां चुनाव लड़ती है, तो सपा यादव, मुस्लिम का मेल बैठाती थी। इस बार शाक्य प्रत्याशी को लाकर यादव, मुस्लिम और शाक्य समीकरण बनाया गया है। सपा जहां शाक्य मतदाताओं की बढ़त अपने पाले में जता रही है, तो भाजपा यादव वोट उनके खेमे में आने का प्रचार कर रही है। किसे फायदा हुआ और किसे नुकसान, यह चुनाव परिणाम ही बताएगा।
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