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UP: महंत सुरेंद्र दास का निधन...जिस आश्रम का किया निर्माण, उसमें शव नहीं जाने दिया; अनुयायियों में फैला आक्रोश

संवाद न्यूज एजेंसी, मैनपुरी Published by: धीरेन्द्र सिंह Updated Sat, 07 Jun 2025 01:28 PM IST
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सार

मैनपुरी के किशनी के रामजानकी आश्रम के महंत सुरेंद्र दास की मौत हो गई। उनकी मौत के बाद शव को आश्रम में लाने पर विवाद फैल गया। जानें क्या है पूरा मामला...
 

Mahant Surendra Das passed away dead body was not allowed to be brought inside ashram anger grew
आश्रम - फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी

विस्तार
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मैनपुरी के किशनी क्षेत्र के जटपुरा चौराहे के पास स्थित रामजानकी आश्रम के महंत 80 वर्षीय सुरेंद्र दास का बृहस्पतिवार रात निधन हो गया। वह नगला अहिर, थाना एलाऊ के रहने वाले थे। उनकी मौत के बाद आश्रम परिसर में तनाव का माहौल बन गया। दरअसल, अनुयायी महंत के शव को आश्रम में ले जाने पहुंचे, तो आश्रम में ताला लगा मिला और अंदर मौजूद लोगों ने शव को भीतर लाने से मना कर दिया। इस घटना के बाद, पोस्टमार्टम कराकर लौटे अनुयायी आश्रम के बाहर ही धरने पर बैठ गए।
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महंत सुरेंद्र दास का निधन बृहस्पतिवार रात को एक भागवत कथा कार्यक्रम में हुआ था। शुक्रवार सुबह जब उनके अनुयायी शव लेकर रामजानकी मंदिर पहुंचे, तो गेट पर ताला लगा था और अंदर मौजूद लोगों ने शव को प्रवेश नहीं करने दिया। शिष्यों ने तुरंत पुलिस को सूचना दी, जिसके बाद तहसीलदार मौके पर पहुंचे।
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Mahant Surendra Das passed away dead body was not allowed to be brought inside ashram anger grew
आश्रम के बाहर लगी भीड़ - फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
महंत के शिष्यों ने आरोप लगाया है कि आश्रम और उससे लगी 18 बीघा भूमि पर कब्जे की साजिश के चलते ही महंत ने प्राण त्यागे हैं। उन्होंने यह भी बताया कि बाबा के भेष में औरैया जनपद के अछल्दा थाना क्षेत्र का एक हिस्ट्रीशीटर भी आश्रम में मौजूद है, जिसके खिलाफ कई शिकायतें होने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई। इन आरोपों के बाद, महंत के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया था। पोस्टमार्टम के बाद अनुयायी शव को लेकर फिर से आश्रम पर पहुंचे और उसे बाहर ही रख दिया। सूचना मिलने पर एसडीएम गोपाल शर्मा और सीओ भोगांव सत्यप्रकाश शर्मा भी मौके पर पहुंच गए।

 

रामजानकी मंदिर के अध्यक्ष तहसीलदार घासीराम ने विवादित जमीन का हवाला देते हुए अंतिम संस्कार आश्रम के अंदर करने से मना कर दिया। एसडीएम ने एक फर्द में मृतक सुरेंद्र दास का नाम होने के कारण उन्हें मंदिर से बाहर, जमीन पर अंत्येष्टि करने की अनुमति दी, लेकिन शिष्य इस पर राजी नहीं हुए। उनकी मांग थी कि आश्रम के अंदर रह रहे अन्य साधु को पहले बाहर निकाला जाए। इस पर एसडीएम ने तीन दिन का समय मांगा है, लेकिन अनुयायी अपनी मांग पर अड़े रहे और आश्रम के बाहर धरने पर बैठे रहे।

 

महंत ने किया था आश्रम का नवनिर्माण
दिवंगत महंत सुरेंद्र दास के अनुयायियों के अनुसार, महंत ने वर्ष 1960 में तपस्वी जीवन अपनाकर इस जर्जर प्राचीन आश्रम में प्रवेश किया था। तभी से उन्होंने इसका संरक्षण शुरू किया और आश्रम का नवनिर्माण कराया था। आश्रम की करीब 18 बीघा भूमि पर लगातार कुछ अराजक तत्वों द्वारा कब्जे की कोशिश की जा रही है।
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