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Agra University: पंजीकरण के तीन माैके दिए...फिर भी 72612 सीटें रह गईं खाली, छात्रों ने नहीं लिया प्रवेश
संवाद न्यूज एजेंसी, आगरा
Published by: अरुन पाराशर
Updated Thu, 23 Oct 2025 12:11 AM IST
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सार
डाॅ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय की ओर से प्रवेश के लिए कई बार पंजीकरण की तिथि बढ़ाने के बाद भी हजारों सीटें खाली रह गईं। अब विश्वविद्यालय की ओर से प्रवेश प्रक्रिया को बंद कर दिया गया है।

आगरा विश्वविद्यालय।
- फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
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विस्तार
डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय की ओर से तीन बार वेब पंजीकरण की अंतिम तिथि बढ़ाने के बावजूद हजारों सीटें खाली रह गईं। अधिक से अधिक छात्रों को प्रवेश का मौका देने के उद्देश्य से पंजीकरण की तिथियां तीन चरणों में बढ़ाई गईं, फिर भी 72,612 सीटों पर दाखिला नहीं हो सका। अब विश्वविद्यालय की प्रवेश प्रक्रिया पूरी तरह बंद कर दी गई है और समर्थ पोर्टल भी बंद कर दिया गया है। हालांकि कुछ महाविद्यालयों में मेरिट के आधार पर छात्र के रजिस्ट्रेशन के आधार पर दाखिला किया जा रहा है।
विवि के डीन अकादमिक प्रो. मनु प्रताप ने बताया कि आगरा मंडल में कुल 528 महाविद्यालय विवि से संबद्ध हैं। इनमें स्नातक और स्नातकोत्तर मिलाकर लगभग 2,00,612 सीटों के मुकाबले केवल 1,89,000 विद्यार्थियों ने ही वेब पंजीकरण कराया। प्रवेश की बात करें तो 1,28,000 के दाखिले अब तक किए जा चुके हैं। काफी संख्या में छात्रों ने प्रवेश की औपचारिकताएं पूरी नहीं कीं।

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विवि के डीन अकादमिक प्रो. मनु प्रताप ने बताया कि आगरा मंडल में कुल 528 महाविद्यालय विवि से संबद्ध हैं। इनमें स्नातक और स्नातकोत्तर मिलाकर लगभग 2,00,612 सीटों के मुकाबले केवल 1,89,000 विद्यार्थियों ने ही वेब पंजीकरण कराया। प्रवेश की बात करें तो 1,28,000 के दाखिले अब तक किए जा चुके हैं। काफी संख्या में छात्रों ने प्रवेश की औपचारिकताएं पूरी नहीं कीं।
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परिणामस्वरूप, 72,612 सीटें रिक्त रह गईं। इसके साथ ही इस साल 13 महाविद्यालय और खोले गए हैं। कॉलेज की संख्या बढ़ गई है। पूर्व में 515 महाविद्यालय थे जो बढ़कर अब 528 हो गए हैं।
विश्वविद्यालय प्रशासन ने शासन से 10% आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) श्रेणी की सीटें बढ़ाने का निर्णय लिया। महाविद्यालयों की मांग के बाद 33 प्रतिशत सीटें विवि ने स्वयं अपने स्तर से बढ़ाई। नतीजन शहर के प्रमुख महाविद्यालय में सीटें बढ़ीं और काफी छात्रों ने प्रवेश भी लिए। दूसरी ओर ग्रामीण इलाके और कम संसाधन वाले महाविद्यालय में संख्या काफी खाली रह गई।
क्यों खाली रह गईं हजारों सीटें
पंजीकरण के बाद कई छात्रों ने दस्तावेज सत्यापन या फीस जमा नहीं की। कई छात्रों ने प्रतियोगी परीक्षाओं या अन्य विश्वविद्यालयों का चयन कर लिया। कुछ पाठ्यक्रमों में छात्रों की रुचि अपेक्षाकृत कम रही।
पंजीकरण के बाद कई छात्रों ने दस्तावेज सत्यापन या फीस जमा नहीं की। कई छात्रों ने प्रतियोगी परीक्षाओं या अन्य विश्वविद्यालयों का चयन कर लिया। कुछ पाठ्यक्रमों में छात्रों की रुचि अपेक्षाकृत कम रही।