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और मोहलत नहीं मिली तो आरपार की लड़ाई
और मोहलत नहीं मिली तो आरपार की लड़ाई
Updated Thu, 21 Apr 2016 01:47 AM IST
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और मोहलत नहीं मिली तो आरपार की लड़ाई
- फोटो : अमर उजाला ब्यूरो
सिक्स लेन प्रोजेक्ट के तहत सिकंदरा बाजार तोड़ने की उल्टी गिनती शुरू हो गई हैं। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने बाजार में लाल निशान लगा दिए हैं। तकरीबन 500 दुकान और कुछ घरों के जमींदोज होने का खतरा मंडरा रहा है। सिकंदरा बाजार संघर्ष समिति के पदाधिकारियों का कहना है कि एनएचएआई और जिला प्रशासन का रुख ठीक नहीं है। रोजी-रोटी छीनने को प्रशासन तैयार है मगर मुआवजे के नाम पर हीलाहवाली की जा रही है। अगर मोहलत नहीं मिली तो आरपार का संघर्ष किया जाएगा।
बता दें, सिटी मजिस्ट्रेट ने सोमवार को सात दिन में दुकानें खाली करने का अल्टीमेटम दिया है। इसके विरोध में कुछ दुकानदार हाईकोर्ट जाने पर विचार कर रहे हैं। सिकंदरा बाजार संघर्ष समिति के अध्यक्ष महंत दिलीप गिरि ने बताया कि सिटी मजिस्ट्रेट ने तहसील से मुआवजा लेने की बात कही थी। बुधवार को जब दुकानदार तहसील सदर में पहुंचे तो तहसीलकर्मियों ने बताया कि अभी मुआवजा नहीं बना है। उन्होंने कहा कि मुआवजा मिलने के बाद ही दुकान खाली की जाएंगी। प्रशासन गैर कानूनी हथकंडे अपनाकर बाजार उजाड़ना चाहता है। गुरुवार को जिलाधिकारी से मुलाकात के बाद अगला निर्णय किया जाएगा।
मुआवजा ऊंट के मुंह में जीरा
दुकानदारों का कहना है कि एक मीटर जगह का 13 हजार रुपये मुआवजा ऊंट के मुंह में जीरे के समान है। ये राशि भी एनएचएआई ने दस साल पहले तय की थी। दस साल में कीमतें दोगुनी से अधिक हो गई हैं। ये मुआवजा लेने के बाद भी ढाई हजार से अधिक लोग बेरोजगार हो जाएंगे। कई लोग बेघर हो जाएंगे।
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बता दें, सिटी मजिस्ट्रेट ने सोमवार को सात दिन में दुकानें खाली करने का अल्टीमेटम दिया है। इसके विरोध में कुछ दुकानदार हाईकोर्ट जाने पर विचार कर रहे हैं। सिकंदरा बाजार संघर्ष समिति के अध्यक्ष महंत दिलीप गिरि ने बताया कि सिटी मजिस्ट्रेट ने तहसील से मुआवजा लेने की बात कही थी। बुधवार को जब दुकानदार तहसील सदर में पहुंचे तो तहसीलकर्मियों ने बताया कि अभी मुआवजा नहीं बना है। उन्होंने कहा कि मुआवजा मिलने के बाद ही दुकान खाली की जाएंगी। प्रशासन गैर कानूनी हथकंडे अपनाकर बाजार उजाड़ना चाहता है। गुरुवार को जिलाधिकारी से मुलाकात के बाद अगला निर्णय किया जाएगा।
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मुआवजा ऊंट के मुंह में जीरा
दुकानदारों का कहना है कि एक मीटर जगह का 13 हजार रुपये मुआवजा ऊंट के मुंह में जीरे के समान है। ये राशि भी एनएचएआई ने दस साल पहले तय की थी। दस साल में कीमतें दोगुनी से अधिक हो गई हैं। ये मुआवजा लेने के बाद भी ढाई हजार से अधिक लोग बेरोजगार हो जाएंगे। कई लोग बेघर हो जाएंगे।