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हाईवे की रफ्तार बनी 'काल': सड़क हादसों में यूपी नंबर-1, हर 7 में से एक की मौत; ये आंकड़े जानकर रह जाएंगे हैरान
अमर उजाला न्यूज नेटवर्क, आगरा
Published by: धीरेन्द्र सिंह
Updated Fri, 12 Dec 2025 08:33 AM IST
सार
सड़क हादसों में सबसे ज्यादा जनहानि यूपी में हुई हैं। पूरे देश में जहां 4,87,705 सड़क हादसे हुए हैं। हेलमेट,ओवरलोडिंग और ओवरस्पीड मुख्य वजह रही।
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सड़क हादसा
- फोटो : सोशल मीडिया
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विस्तार
लगातार बन रहे हाईवे जहां देश की तस्वीर बदल रहे हैं तो वहीं वाहन चलाते समय लापरवाही हादसों का सबब बन रही है। चिंता का विषय यह है कि हादसों में मौतों के मामलों में उत्तर प्रदेश देश में नंबर वन है। वरिष्ठ अधिवक्ता व रोड सेफ्टी एक्टिविस्ट केसी. जैन ने इस पर चिंता जताई है। ताजा आंकड़ों के अनुसार 2024 में सड़कों पर 1,77,177 लोगों ने जान गंवाई है और इनमें से 24,118 मौतें उत्तर प्रदेश में हुईं जो कि कुल मौतों का 13.61 प्रतिशत है। कहा जा सकता है कि देश में सड़क दुर्घटना से मरने वाले 7 लोगों में से 1 व्यक्ति उत्तर प्रदेश का है। पूरे देश में जहां 4,87,705 सड़क हादसे हुए हैं। वहीं सिर्फ उत्तर प्रदेश में 46,052 हादसे हुए जो कि कुल हादसों का 9.44 प्रतिशत है,जो चिंताजनक है।
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केसी जैन ने बताया कि 2020 से 2024 के बीच उत्तर प्रदेश में सड़क दुर्घटनाएं लगातार बढ़ी हैं। प्रदेश में 2023 में 34,243 दुर्घटनाओं से बढ़कर 2024 में 46,052 दुर्घटनाएं और 19,149 मौतों से बढ़कर 24,118 मौतें यह बता रही हैं कि राज्य सड़क सुरक्षा के मामले में पिछड़ रहा है। चिंताजनक बात यह है कि केवल कुल मौतों में ही नहीं बल्कि मौतें टाली जा सकने वाले प्रमुख कारणों में भी हम पीछे हैं।
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दुर्घटनाओंं के मामले में उत्तर प्रदेश देश के शीर्ष राज्यों में पहुंच गया है। कुल सड़क हादसों में मृत्यु ,ओवरलोडिंग से होने वाली दुर्घटनाओं और मौतों में,सीट बेल्ट न पहनने से होने वाली मौतों में उत्तर प्रदेश प्रथम स्थान पर है,जबकि ओवरस्पीडिंग से मौतों और बिना ड्राइविंग लाइसेंस वाहन चलाने की दुर्घटनाओं में दूसरे स्थान पर है। हेलमेट न पहनने से मौतों में प्रदेश चौथे स्थान पर है।
आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2024 में ओवरस्पीडिंग की वजह से प्रदेश में 12,010 मौतें हुईं, जबकि वर्ष 2023 में 8726 मौतें हुई थीं। बढ़ते हुए एक्सप्रेस-वे का बढ़़ता हुआ नेटवर्क और बेतहाशा गति से दौड़ते हुए वाहनों के कारण इन मौतों में प्रदेश का बड़ा हिस्सा होगा। एक्सप्रेस-वे पर स्पीड़ पर कंट्रोल नहीं किया गया तो यह संख्या और अधिक बढ़ सकती है।
वर्ष 2024 में ओवरलोडिंग के कारण हुए 6340 सड़क हादसों में 3294 मौतें हुईं। वर्ष 2023 में 3714 मौतें हुई। कार चलाते समय सीट बेल्ट न पहनने से सबसे अधिक 2816 मौते हुईं। वर्ष 2023 में 3476 मौतें सीट बेल्ट न पहनने से हुई थीं। ड्राइविंग लाइसेंस के बिना वाहन चलाने वालों से पूरे देश में 32,603 हादसे हुए, जिसमें से उत्तर प्रदेश में 5,122 थे। दोपहिया वाहन चालक व सवारियाें के हेलमेट न पहनने के कारण वर्ष 2024 में 54,493 लोगों की मौत हुई।
सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई
प्रदेश में यातायात नियमों का सख्ती से पालन हो और चालानों को ना छोड़ा जाए इसको लेकर अधिवक्ता जैन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की हुई है, जिसमें परिवहन व न्याय सचिव को अपना शपथ पत्र प्रस्तुत करने के आदेश न्यायालय ने 22 नवंबर को दिए थे और अब इसकी सुनवाई 22 जनवरी को नियत है।
प्रदेश में यातायात नियमों का सख्ती से पालन हो और चालानों को ना छोड़ा जाए इसको लेकर अधिवक्ता जैन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की हुई है, जिसमें परिवहन व न्याय सचिव को अपना शपथ पत्र प्रस्तुत करने के आदेश न्यायालय ने 22 नवंबर को दिए थे और अब इसकी सुनवाई 22 जनवरी को नियत है।
वरिष्ठ अधिवक्ता व रोड सेफ्टी एक्टिविस्ट केसी जैन ने बताया कि उत्तर प्रदेश में सड़क सुरक्षा की स्थिति अत्यंत गंभीर है। अत्यधिक गति, हेलमेट व सीट बेल्ट का पालन न करना, तथा बिना लाइसेंस वाहन चलाना सभी कारणों से होने वाली मौतों में प्रदेश देश में सबसे ऊपर है। सरकार को प्रवर्तन, सड़क इंजीनियरिंग में सुधार, ब्लैक स्पॉट सुधार, और आपात चिकित्सा सेवाओं को मजबूत करने की दिशा में निर्णायक कदम उठाने चाहिए।