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Delhi Blast: सवा महीने कानपुर में पढ़ाई करने के बाद अलीगढ़ आ गया था यासिर, है एएमयू के जेएन मेडिकल छात्र

अमर उजाला नेटवर्क, अलीगढ़ Published by: चमन शर्मा Updated Sat, 15 Nov 2025 03:56 PM IST
सार

जेएन मेडिकल कॉलेज के कॉर्डियोलॉजी विभाग में सिर्फ चार सीटें हैं। जिसमें यासिर नाम का छात्र पंजीकृत है। हालांकि अभी तक एजेंसियों के स्तर से हमसे कोई जानकारी नहीं मांगी गई है।

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Dr. Yasir Hussain JN Medical College AMU Student
एएमयू - फोटो : फाइल फोटो
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विस्तार
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दिल्ली विस्फोट मामले में कानपुर से हिरासत में लिए गए डॉ. आरिफ मीर का करीबी डा.यासिर हुसैन अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के जेएन मेडिकल कॉलेज का छात्र है। यासिर ने ही आरिफ को कानपुर के अशोकनगर में किराये पर कमरा दिलाया। खुद सवा महीने कानपुर रुकने के बाद जेएन मेडिकल कॉलेज आ गया। इस खुलासे के बाद एजेंसियां अब यासिर का विवरण जुटाने में लगी हैं। बता दें कि आरिफ मीर को दिल्ली धमाके में आतंकी उमर का सहपाठी होने के चलते हिरासत में लिया गया है।

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कानपुर में आरिफ मीर के साथियों से एजेंसियों ने पूछताछ में जो जानकारी जुटाई हैं। उनके अनुसार डॉ. यासिर हुसैन को नीट-सुपर स्पेशियलिटी की पहली काउंसिलिंग में कानपुर की एलपीएस कार्डियोलॉजी इंस्टीट्यूट में प्रवेश मिला था, लेकिन दूसरी काउंसिलिंग में उसने अलीगढ़ विकल्प दे दिया। कार्डियोलॉजी से मिली जानकारी के मुताबिक डॉ. यासिर कार्डियोलॉजी में एक-सवा महीना ही रहा है। फ्लैट में आरिफ के साथ रहने वाले डॉ. अभिषेक ने बताया कि डॉ. यासिर ने ही अशोकनगर के फ्लैट में डॉ. आरिफ को कमरा दिलाने के लिए कहा था। खुफिया एजेंसियां डॉ. यासिर का भी ब्योरा जुटा रही हैं। कार्डियोलॉजी में उसके उपलब्ध ब्योरे को सुरक्षित कर लिया गया है। इस जानकारी के बाद टीमें अलीगढ़ भी पहुंचने की योजना बना रही हैं। साथ में यासिर के विषय में जानकारी जुटाई जा रही है।

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जेएन मेडिकल कॉलेज के कॉर्डियोलॉजी विभाग में सिर्फ चार सीटें हैं। जिसमें यासिर नाम का छात्र पंजीकृत है। हालांकि अभी तक एजेंसियों के स्तर से हमसे कोई जानकारी नहीं मांगी गई है। अगर कुछ पूछा जाएगा तो जानकारी दी जाएगी। बाकी हम अपने स्तर से जानकारी भी जुटा रहे हैं।-प्रो.वसीम अली प्रॉक्टर एएमयू

यासिर समेत अलीगढ़ में एक-एक कश्मीरी का तैयार होगा रिकार्ड

दिल्ली विस्फोट में आतंकी उमर के सहपाठी आरिफ के करीबी यासिर नाम के युवक का जेएन मेडिकल कॉलेज में दाखिला लेने का खुलासा हुआ है। इसके बाद खुफिया टीमों ने यासिर के साथ-साथ अलीगढ़ में एक-एक कश्मीरी का विवरण जुटाने का काम तेज कर दिया है। यहां रहने वाले सभी कश्मीरियों की एजेंसियां बारीकी से जांच कर रही हैं। उनकी आवाजाही से लेकर उनके संपर्कों व गतिविधियों तक का विवरण जुटाया जा रहा है। कहीं किसी के तार इस मॉड्यूल से जुड़े तो नहीं।

दिल्ली की घटना के बाद यूपी में ऐसे कश्मीरियों की धरपकड़ से लेकर उनके आने जाने के इनपुट लगातार मिल रहे हैं, जिनके तार इस माड्यूल से जुड़े हैं। इसी कड़ी में कानपुर से एक यासिर नाम के युवक के जेएन मेडिकल में दाखिला लेने का खुलासा हुआ है। कानपुर के डा.आरिफ मीर को दिल्ली ब्लास्ट के बाद हिरासत में लिया गया। इसी आरिफ के साथी अभिषेक ने यह बताया कि डा.यासिर नाम के कार्डियोलॉजी छात्र ने आरिफ को कमरा किराये पर दिलाया। इसके बाद खुद यासिर ने कानपुर छोडकऱ जेएन मेडिकल कॉलेज में दाखिला ले लिया। इस जानकारी के आने के बाद यासिर का विवरण जुटाने के साथ-साथ अलीगढ़ में रह रहे अन्य तमाम कश्मीरियों के विषय में भी जानकारी जुटाई जा रही है। यह जानने का प्रयास किया जा रहा है कि कितने कश्मीरी अलीगढ़ में किस किस क्षेत्र में हैं। चाहे एएमयू हो या मेडिकल कॉलेज या फिर शहर के अन्य हिस्सों में कहां कहां कश्मीरी किस दृष्टि से रह रहे हैं। एजेंसियों ने कानपुर से खुलासे के बाद अपनी जांच तेज कर दी है। इस विषय में एसएसपी नीरज जादौन इतना ही बताते हैं कि एजेंसियां अपना काम कर रही हैं। जहां हमसे जो मदद मांगी जाएगी वह दी जाएगी।

एएमयू का छात्र था मुठभेड़ में मारा गया कश्मीरी छात्र मन्नान वानी
यह पहला मौका नहीं, जब अलीगढ़ में कश्मीरियों को खोजा जा रहा हो। इससे पहले आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन से जुड़े अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) के पूर्व कश्मीरी छात्र मन्नान वानी ने आतंकी राह पकड़ी थी। यहां पढ़ाई के दौरान वह इस संगठन से जुड़ा। वह नेट कालिंग के माध्यम से दो वर्ष से उनके संपर्क में था। बाद में 2018 में अचानक गायब हो गया। इसके बाद अचानक से फेसबुक पर हाथ में एके 56 रायफल लिए एक तस्वीर वायरल हुई। इसके बाद हिजबुल मुजाहिदीन के प्रवक्ता ने भी मन्नान के संगठन में शामिल होने की पुष्टि करते हुए बयान जारी किया। मन्नान के आतंकी कनेक्शन जाहिर होने के बाद प्रदेश और केंद्र की सुरक्षा और जांच एजेंसियों ने अलीगढ़ में डेरा डाल दिया था। बाद में मन्नान वानी को कश्मीर में ही मुठभेड़ में मार गिराया गया था।

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