AMU: रक्त समूह के हिसाब से सैयद और शेख आपस में सबसे ज्यादा करीबी, आईं ये दिलचस्प जानकारी
सैयद और शेख आपस में सबसे ज्यादा करीब हैं। फिर पठान, उसके बाद अंसारी और सबसे पुराने कुरैशी समुदाय अलग माने गए हैं।
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अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) के प्राणी विज्ञान विभाग में उत्तर भारत के छह बड़े मुस्लिम समुदाय सैयद, शेख, पठान, अंसारी, कुरैशी और सैफी पर हुए अध्ययन में दिलचस्प जानकारी सामने आई है। इन समूहों में आनुवंशिक (जीन संबंधी) अंतर मौजूद हैं। रक्त समूह के हिसाब से सैयद और शेख आपस में सबसे ज्यादा करीबी हैं, जबकि सैयद और अंसारी में सबसे ज्यादा अंतर मिले हैं।
प्रो. मोहम्मद अफजल की देखरेख में रुकैया हुसैन, अहसाना शाह, मोहम्मद फरीद ने यह अध्ययन किया है और यह ऑनलाइन जर्नल आर्थोपोलॉजी में छपा है। शोध में चार तरह के जीन मार्कर (एक डीएनए अनुक्रम) के जरिये एबीओ रक्त समूह, आरबी (डी), स्वाद पहचान क्षमता और रंग दृष्टि दोष ब्लड ग्रुप के जरिये सैयद, शेख, पठान, अंसारी, कुरैशी, सैफी के आपस में नजदीक और दूर होने के गणित को समझ सकते हैं।
अध्ययन किया। एक साल तक अलीगढ़ नगर के विभिन्न क्षेत्रों से इन छह समुदायों के स्वस्थ व असंबंधित व्यक्तियों से नमूने एकत्र किए गए थे, जिनके परिणामों से पता चला है कि सैयद और अंसारी समूह में एबीओ रक्त समूह के हिसाब से सबसे ज्यादा अंतर मिले, जबकि बाकी समुदायों में अंतर बहुत कम था। पीटीसी स्वाद पहचान क्षमता लगभग सभी में समान पाई गई, सिर्फ पठान समुदाय में थोड़ी भिन्नता दिखी।
सैयद और शेख आपस में सबसे ज्यादा करीब हैं। फिर पठान, उसके बाद अंसारी और सबसे पुराने कुरैशी समुदाय अलग माने गए हैं। अध्ययन के अनुसार सबसे अधिक पाया जाने वाला रक्त समूह ओ (30.05 फीसदी) था। इसके बाद अन्य रक्त समूह थे। सैयद और अंसारी समूहों में एबीओ मार्कर में महत्वपूर्ण अंतर पाया गया। इस अध्ययन में चार आनुवांशिक मार्कर का विश्लेषण किया गया। इनमें ए-1 ए-2 बीओ रक्त समूह प्रणाली, आरएच (डी) फैक्टर, पीटीसी स्वाद ग्रहण क्षमता, लाल-हरा रंगांधता शामिल रहे।
यह अध्ययन उत्तर भारतीय मुस्लिम आबादी की आनुवांशिक बुनावट, उनकी उत्पत्ति, प्रवास और विविधता को समझने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।-प्रो. मोहम्मद अफजाल, सुपरवाइजर
मुख्य बातें
- सैफी समुदाय में आरएच-निगेटिव व्यक्तियों की संख्या सर्वाधिक 18 फीसदी पाई गई।
- लाल-हरा रंगांधता की सबसे अधिक दर भी सैफी समुदाय आठ फीसदी दर्ज हुई।
- पठान समुदाय में पीटीसी स्वादकर्ताओं की संख्या सबसे अधिक (60.62 फीसदी) मिली।
- सैफी समुदाय में गैर-स्वादकर्ता प्रतिशत सर्वाधिक पाया गया।