Aligarh: पहले दरोगा ने, अब न्यायिक अधिकारी ने दरोगा पर लगाए अभद्रता करने के आरोप, एसएसपी-सीजेएम को भेजी शिकायत
कल 17 सितंबर को दरोगा ने आरोप लगाया था कि 16 सितंबर को न्यायिक अधिकारी ने उनके साथ काफी अभद्र व्यवहार किया। इससे आहत होकर वह जान देने के लिए रेलवे ट्रैक पर पहुंच गया। थाना बन्ना देवी पुलिस ने वहां पहुंचकर दरोगा को बचाया।

विस्तार
अलीगढ़ के बन्नादेवी थाने में तैनात दरोगा के एक न्यायिक अधिकारी पर अभद्रता और मानसिक उत्पीड़न का आरोप लगाकर आत्महत्या करने रेलवे ट्रैक पर जाने के प्रकरण में दूसरे दिन बुधवार को इस घटनाक्रम में नया मोड़ आ गया। न्यायिक अधिकारी ने अपनी रिमांड रिपोर्ट में विधिक सवाल पूछे जाने पर दरोगा पर उल्टे अभद्रता करने और धमकी देकर न्यायालय परिसर से चले जाने का आरोप लगाया है। उन्होंने दरोगा के इस व्यवहार को न्यायालय की अवमानना माना है। उन्होंने विवेचक द्वारा किए गए दुराचार की सूचना अपने आदेश की प्रति के साथ एक-एक प्रति सीजेएम व एसएसपी भेजी है।

बन्नादेवी पुलिस ने पांच वाहन चोरों को गिरफ्तार कर आठ वाहन बरामद किए थे। पकड़े गए वाहन चोरों को बन्नादेवी थाने की रसलगंज चौकी के प्रभारी सचिन कुमार न्यायालय में रिमांड मजिस्ट्रेट के समक्ष पेशी के लिए लेकर पहुंचे। दरोगा ने आरोप लगाया कि उन्हें रात दस बजे तक रिमांड मजिस्ट्रेट न केवल रोके रखा बल्कि अपने कक्ष में बुलाकर न्यायिक अधिकारी द्वारा अभद्रता तक की गई और उन्हें धमकाया गया। न्यायिक अधिकारी ने रिमांड स्वीकृत नहीं किया गया और मर्यादा पार करते हुए उन्हें आत्महत्या करने का कदम उठाने के लिए मजबूर कर दिया। इसके बाद वह आत्महत्या करने दिल्ली-हावड़ा रेलवे ट्रैक पर पहुंच गया।
उधर, आज 18 सितंबर को नए घटनाक्रम के तहत रिमांड मजिस्ट्रेट के तौर पर मौजूद रहे न्यायिक अधिकारी ने अपनी रिमांड रिपोर्ट तैयार करते हुए उसे न्यायालय के जरिए सीजेएम व एसएसपी को भेज दिया। इस रिपोर्ट में साफ उल्लेख है कि रिमांड प्रक्रिया के दौरान प्रपत्र देखकर दरोगा से पूछा गया कि गिरफ्तारी सूचना मुल्जिमों के परिजनों को दे दी गई है या नहीं इसका पुलिस रिपोर्ट में कोई उल्लेख नहीं है। गिरफ्तारी में इस प्रकार की अनियमितता की सूचना एसएसपी को प्रेषित की जाए। आरोप है कि इस बात को सुनते ही दरोगा ने कहा कि यह सब फालतू काम पुलिस के नहीं हैं।
इस पर दरोगा को समझाने की दृष्टि से कहा कि न्यायालय में यह देखा जाना जरूरी है। इस पर दरोगा ने तर्क दिया कि आपका काम रिमांड करना है। कागजों की बारीकी न देखते हुए रिमांड करना आपकी मजबूरी है। इस पर दरोगा को इस तरह की भाषा का प्रयोग न करने की हिदायत दी गई तो वह धमकाते हुए बोला कि पुलिस ने अच्छे- अच्छे लोग सही किए हैं।
आपके खिलाफ रिपोर्ट लिख देंगे और यह कहते हुए केश डायरी व प्रपत्र फेंकते हुए कहा कि यह कागज आप रख लें। हम मुल्जिमों को ले जा रहे हैं और यह रिपोर्ट लिखवाएंगे कि आपने अपमानित कर आत्महत्या के लिए मजबूर किया है। इसके बाद दरोगा सचिन वहां से चले गए। ऐसा दरोगा ने इस आशय से किया कि वे उनके दबाव में आकर बिना प्रपत्रों की जांच पड़ताल किए ही रिमांड मंजूर कर लें। न्यायिक अधिकारी ने इसे न्यायालय की अवमानना की श्रेणी में माना है, क्योंकि यह डरा- धमकाकर न्यायिक आदेश प्राप्त करने का प्रयास है।
रिमांड मजिस्ट्रेट द्वारा भेजी गई रिमांड रिपोर्ट मिल गई है। इसकी जांच करायी जा रही है। पूरे प्रकरण की जानकारी जिला जज के संज्ञान में है। अपने वरिष्ठ अधिकारियों को भी इस मामले में अवगत करा दिया गया है। संपूर्ण जांच के बाद ही साफ होगा और जांच रिपोर्ट के आधार पर ही कार्रवाई तय की जाएगी। -संजीव सुमन, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक