घना कोहरा: अंधेरे में हाईवे, सुविधाएं गोल..वसूला जा रहा भारी भरकम टोल, महीनों से लाइटें भी हैं डांवाडोल
17 दिसंबर रात अमर उजाला ने जब इस पूरे हिस्से को देखा तो हालात कुछ ऐसे ही मिले। पेश है हाईवे की सुरक्षा और सुविधा पर अभिषेक शर्मा की रिपोर्ट...
विस्तार
इस घने कोहरे में अगर आप जिले में सबसे लंबे दिल्ली-कानपुर नेशनल हाईवे पर भारी भरकम टोल देकर सफर कर रहे हैं तो सुरक्षा-सुविधाएं गोल मिलेंगी। हालात ये हैं कि 55 किमी दूरी पर बसे गभाना-अकराबाद टोल के बीच आधे से अधिक हिस्से में अंधेरा रहता है। किसी आपात स्थिति में एंबुलेंस-क्रेन सुविधा बुलावे पर कितनी देर में पहुंचेगी, ये भी पता नहीं? बुधवार रात अमर उजाला ने जब इस पूरे हिस्से को देखा तो हालात कुछ ऐसे ही मिले। पेश है हाईवे की सुरक्षा और सुविधा पर अभिषेक शर्मा की रिपोर्ट...
पहले जानिए इस हाईवे के विषय में
दिल्ली से कानपुर जाने वाला यह हाईवे पुराना जीटी रोड कहा जाता है। अलीगढ़ जिले की सीमा में बुलंदशहर बॉर्डर से शुरू होकर हाथरस सीमा तक करीब 70 किमी के इस हाईवे पर दो टोल गभाना व अकराबाद पर हैं। जिनके बीच की दूरी करीब 55 किमी है। दोनों टोल के बीच छह ब्लैक स्पॉट क्रमश: गोपी, पनेठी, नानऊ, खेरेश्वर, चूहरपुर व बरौली मोड़ शामिल हैं। वहीं लधौआ, विजयगढ़ मोड़, दौरऊ मोड़, बरौली मोड़, सोमना मोड़, भरतरी किलर प्वाइंट हैं। इसके अलावा हाईवे पर पडऩे वाले बड़े ओवरब्रिज पर ध्यान दें तो 12 ओवरब्रिज हैं। इसके अलावा संपर्क मार्गों को जोडऩे वाले कटों की संख्या अनगिनत है।
ये मिले रात को हालात
रात में जब एक बजे से तड़के चार बजे तक हालात देखे तो सबसे पहले अकराबाद टोल पर सुविधाएं गोल मिलीं। यहां रोशनी तो थी, मगर रिफ्लेक्टर लाइटों के अभाव में ये समझ नहीं आ रहा था कि हम टोल पर पहुंच रहे हैं। न टोल पर कोहरे के प्रति जागरूक करने के लिए कोई उद्घोषणा हो रही थी। न ट्रकों व अन्य वाहनों के खड़े होने के लिए पार्किंग की सुविधा थी। टोल के दोनों ओर ट्रक अंधेरे में यूं ही खड़े थे। जिन्हें पुलिसकर्मी बेवजह यहां खड़े न होने व आगे चलने का इशारा कर रहे थे। अकराबाद टोल से चलकर अकराबाद कस्बा, नानऊ मोड़, जसरथपुर व पनैठी के ओवरब्रिज अंधेरे में डूबे हुए थे। उनके जेनरेटर भी काम नहीं कर रहे थे। इसके बाद शहरी सीमा में आगरा चेंजर व मथुरा पुल से आगे वाला ओवर ब्रिज अंधेरे में डूबे थे।
यही स्थिति खेरेश्वर से आगे एक ओवरब्रिज पर थी। कुल मिलाकर पूरे हाईवे पर 12 में से आधे ओवरब्रिज, कट व दुर्घटना प्वाइंट अंधेरे में डूबे थे। हां, संकेतक जरूर हर जगह थे। मगर कोहरा व अंधेरे के कारण दूर से दिख नहीं रहे थे। गभाना टोल पर कोहरे को लेकर उद्घोषणा जरूर हो रही थी। मगर वाहनों को वहां भी खड़ा नहीं होने दिया जा रहा था। ऐसे में वाहन होटल-ढाबों के सहारे या तो खड़े थे। या फिर एक साथ कतार में 20 से 30 किमी प्रति घंटा की गति से सफर तय कर रहे थे।
90 किमी के बीच एक एंबुलेंस-एक क्रेन
इन दोनों टोलों के बीच सीमा बंधी हुई है। गभाना टोल की सीमा बुलंदशहर बॉर्डर से शुरू होकर अलीगढ़ में बोरना तक रहती है। 70 किमी के बीच के इस हिस्से में दो एंबुलेंस व दो क्रेन रहती हैं। जो इधर से उधर घूमती हैं। रात में इस बीच न तो कहीं एंबुलेंस दिखी न क्रेन दिखी। हां हाईवे पेट्रोलिंग गाड़ी जरूर टोल पर खड़ी थी। बोरना से अकराबाद, सिकंदराराऊ होते हुए मलावन एटा में पडऩे वाले टोल तक 90 किमी की दूरी की सीमा अकराबाद टोल स्टाफ के पास है। इस टोल के पास एक एंबुलेंस व एक क्रेन है। मतलब दुर्घटना अलीगढ़ में हुई है। उस समय क्रेन व एंबुलेंस मलावन के आसपास है तो वहां से कोहरे में दो घंटे में आने के बाद ही मदद मिलेगी।
इधर, बात अगर प्रदेश सरकार के निर्देश पर चार संयुक्त विभागों की टीम द्वारा हाईवे की 24 घंटे निगरानी की व्यवस्था की करें तो वह भी रात में गायब थी। दोनों टोलों में से किसी टोल पर वाहनों में रिफ्लेक्टर लगाने का काम भी नहीं होता मिला।
हमारी टीम 24 घंटे हाईवे पेट्रोलिंग करती है। सभी लाइटें चालू हैं, किस पुल पर किस वजह से रात में लाइटें बंद थीं। ये देखने का विषय है। इसकी जांच कराई जाएगी। बाकी लोगों को लगातार जागरूक करने के लिए उद्घोषणा भी की जा रही है।-अजीत यादव, पीडी, एनएचएआई
ये भी जानें
- 12 से 15 हजार वाहन प्रतिदिन अकराबाद टोल से गुजरते
- 22 से 25 हजार वाहन प्रतिदिन गभाना टोल से गुजरते हैं
