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AMU: किताबों को कुतरने वाले कीड़ों का काल बनेगी लेमन ग्रास, एएमयू प्रोफेसर ने बनाया हर्बल फॉर्मूला

अमर उजाला नेटवर्क, अलीगढ़ Published by: चमन शर्मा Updated Fri, 19 Dec 2025 02:30 PM IST
सार

दुर्लभ किताबों को सदियों तक सुरक्षित रखने के लिए अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) के म्यूजियोलॉजी डिपार्टमेंट के चेयरमैन, प्रोफेसर के. अब्दुर्रहीम ने एक हर्बल समाधान खोजा है।

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Herbal formula for book-gnawing insects
एएमयू के म्यूजियोलॉजी डिपार्टमेंट चेयरमैन प्रोफेसर के. अब्दुर्रहीम - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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अक्सर कहा जाता है कि किताबें इतिहास की गवाह होती हैं, लेकिन समय के साथ किताबों में लगने वाले कीड़े और नमी इन बेशकीमती धरोहरों को नष्ट कर देते हैं। अब इन दुर्लभ किताबों को सदियों तक सुरक्षित रखने के लिए अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) के म्यूजियोलॉजी डिपार्टमेंट के चेयरमैन, प्रोफेसर के. अब्दुर्रहीम ने एक हर्बल समाधान खोजा है। इसमें लौंग, काली मिर्च, दाल चीनी आदि का प्रयोग कर किताबों को केमिकल रहित तरीके से लंबे समय तक सुरक्षित रखा जा सकता है। 

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यह मिश्रण न केवल किताबों के पन्नों को गलने से बचाता है, बल्कि उन्हें दीमक और सिल्वर फिश जैसे खतरनाक कीड़ों से भी मुक्त रखता है। यह रिसर्च इसलिए खास है क्योंकि यह बाजार में मिलने वाले कीटनाशकों का विकल्प प्रदान करती है। पहले किताबों को बचाने के लिए पैराडाईक्लोरोबेंजीन और एथलीन ऑक्साइड जैसे रसायनों का उपयोग होता था, जो अब स्वास्थ्य और पर्यावरण कारणों से प्रतिबंधित हो चुके हैं। इन पर लगे प्रतिबंध के बाद ही इनका हर्बल उपाय खोजने का रास्ता खुला।
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यह है मिश्रण की सामग्री
दालचीनी,नीम,लौंग और लेमनग्रास को मिलाकर तेल तैयार किया जाता है। इसको पाउडर बनाकर भी प्रयोग कर सकते हैं। तरल धूनी को हर 15 दिन में एक बार लाइब्रेरी या किताबों वाले वातावरण में छोड़ा जाता है। जड़ी-बूटियों के पाउडर को किताबों की शेल्फ में रखा जाता है। इसकी महक से कीड़े भाग जाते हैं। इस पाउडर को साल में केवल एक बार बदलने की आवश्यकता होती है।

तैयार करने से पहले अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रिसर्च और सर्वे

प्रोफेसर अब्दुर्रहीम ने व्यापक स्तर पर शोध किया। उन्होंने न केवल भारत की प्रमुख लाइब्रेरियों का दौरा किया, बल्कि नेपाल, भूटान और श्रीलंका जैसे उष्णकटिबंधीय देशों का भी सर्वे किया। इन देशों में अधिक नमी के कारण किताबों में कीड़े लगना एक गंभीर समस्या थी। इसी समस्या को जड़ से खत्म करने के लिए उन्होंने हर्बल फ्यूमिगेशन'' (धूनी) और पाउडर तकनीक विकसित की।

देशभर की लाइब्रेरियों में बढ़ी मांग
इस तकनीक की सफलता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि देश की कई प्रमुख लाइब्रेरियों ने इस किताब और तकनीक को अपनाना शुरू कर दिया है।

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