एनएसजी कमांडो हत्याकांड: 12 साल बाद आया फैसला, एक चश्मदीद की गवाही से हुई सजा, सात दोषियों को उम्रकैद
इस मामले में कुल 13 गवाह हुए। वादी चश्मदीद श्यामवीर ने गवाही दी। दूसरे चश्मदीद गवाह घायल हुए कुलदीप को भी बुलाया गया था। हालांकि, उसने किन्हीं कारणों से आत्महत्या कर ली। यह तथ्य रखा गया कि वह दबंग आरोपियों के दबाव में डिप्रेशन में था। इसलिए उसने आत्महत्या कर ली।
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अलीगढ़ के गोंडा के मुरवार इंटर कॉलेज में बोर्ड परीक्षा में नकल के विवाद में 12 वर्ष पहले हुए एनएसजी कमांडो तेजवीर सिंह हत्याकांड के सात दोषियों को उम्रकैद से दंडित किया गया है। एक आरोपी को सिर्फ हथियार रखने का दोषी करार देकर सजा सुनाई है। यह निर्णय एडीजे चार रवीश कुमार अत्री की अदालत ने सुनाया है। हत्याकांड के मुख्य आरोपी रामप्रकाश प्रधान की ट्रायल के बीच मौत हो गई थी।
अभियोजन पक्ष के अनुसार ये घटना 12 मार्च 2013 की शाम की है। मुरवार के श्यामवीर सिंह ने रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि गांव के इंटर कॉलेज में शाम की पाली में बोर्ड परीक्षा चल रही थी। इसमें पड़ोसी गांव रजावल के रामप्रकाश प्रधान का लड़का परीक्षा दे रहा था। वहीं श्यामवीर के छोटे भाई एनएसजी कमांडो तेजवीर का साला परीक्षा दे रहा था। रामप्रकाश अपने बेटे को नकल करा रहा था। विरोध करने पर गांव में छुट्टी पर आए कमांडो तेजवीर व गांव के ही कुलदीप से रामप्रकाश का झगड़ा हो गया। रामप्रकाश ने फोन करके गांव से अपने बेटे सोनू, बंटू उर्फ कोमल को लाइसेंसी रायफल व तमंचे लेकर बुला लिया।
साढ़े पांच बजे परीक्षा छूटने के बाद रामप्रकाश, सोनू, बंटू व देवेंद्र यह कहते हुए गाली देने लगे कि अब बताओ कौन नकल कराने से रोकेगा। इस पर तेजवीर व कुलदीप ने गाली देने से मना किया तो उन्होंने फायरिंग कर दी। इस फायरिंग में तेजवीर व कुलदीप घायल हो गए। जेएन मेडिकल कॉलेज में तेजवीर की मौत हो गई। पुलिस ने रामप्रकाश, सोनू, कोमल उर्फ बंटू, देवेंद्र के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की।
विवेचना में रजावल के हरिओम, राजेंद्र, मुरवार के गुड्डू, राजकुमार व कैमथल निवासी मानवेंद्र उर्फ माना के नाम शामिल करते हुए चार्जशीट लगाई। सत्र परीक्षण के दौरान रामप्रकाश की मौत हो गई। अब न्यायालय ने सोनू, कोमल, हरिओम, राजेंद्र, देवेंद्र, गुड्डू व राजकुमार को आजीवन कारावास व तीस-तीस हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई गई है। सोनू व कोमल पर आर्म्स एक्ट में पांच हजार का अतिरिक्त जुर्माना लगाया है। वहीं, मानवेंद्र को सिर्फ आयुध अधिनियम में दोषी मानते हुए दो साल की सजा सुनाई है। हत्या में बरी किया गया है।
एक चश्मदीद की गवाही से सजा, एक की हुई मौत
अभियोजन अधिवक्ता एडीजीसी सुधांशु अग्रवाल के अनुसार इस मामले में कुल 13 गवाह हुए। वादी चश्मदीद श्यामवीर ने गवाही दी। दूसरे चश्मदीद गवाह घायल हुए कुलदीप को भी बुलाया गया था। हालांकि, उसने किन्हीं कारणों से आत्महत्या कर ली। यह तथ्य रखा गया कि वह दबंग आरोपियों के दबाव में डिप्रेशन में था। इसलिए उसने आत्महत्या कर ली। इसके अलावा पुलिस द्वारा संकलित किए गए साक्ष्य, फॉरेंसिक जांच रिपोर्ट, अभियुक्तों से बरामद असलहों, मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर सजा सुनाई गई है।
कमांडो की पत्नी के भाई बने एसएसपी, आज भी बांधती है राखी
कमांडो तेजवीर की हत्या के विरोध में अगले दिन मुरवार पर कई घंटे जाम लगा था। भीड़ ने कार्रवाई को लेकर डीएम एसएसपी को बुलाने की मांग रखी। तत्कालीन एसएसपी वर्तमान में डीआईजी देवीपाटन अमित पाठक वहां पहुंचे। उन्होंने कमांडो के भाई श्यामवीर व पत्नी पिंकी से बात की। पिंकी को उन्होंने यूपी पुलिस के अधिकारी व खुद एक भाई के रूप में समझाया कि कठोर कार्रवाई होगी।
इस पर उसी समय भीड़ में पिंकी ने अमित पाठक को धागा बांधकर अपना भाई बनाया। साथ में यह भरोसा लिया कि आप व आपकी पुलिस हमेशा उसके परिवार के साथ रहेगी। इसके बाद से अमित पाठक को आज तक पिंकी प्रतिवर्ष राखी बांधने जाती हैं। पिंकी ने अमित पाठक का न्याय मिलने पर आभार जताया है। वर्तमान में पिंकी अपने पति की जगह एसएसबी में जॉब कर रही हैं। दो बच्चों को लेकर लखनऊ में रहती हैं। वहीं निर्णय पर अब तक मुकदमा लड़ते आए भाई श्यामवीर ने भी अदालत व पुलिस का आभार जताते हुए कहा है कि लंबे समय बाद न्याय मिला है।
