दिल्ली में पकड़े गिरोह से पूछताछ में खुलासा: अलीगढ़ में बसाए गए रोहिंग्या और बांग्लादेशी, जांच में जुटीं एजेंस
एजेंसियों को पूछताछ में पता चला है कि चांद मियां द्वारा अलीगढ़ में बसाए गए बांग्लादेशियों के दस्तावेज भी बनवाए गए हैं। उसके अलीगढ़ में कई दफा आने के साक्ष्य भी एजेंसियों को मिले हैं। उसने यहां आधार कार्ड, राशन कार्ड तक इन लोगों के बनवाए हैं।

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दिल्ली पुलिस ने बांग्लादेशियों को भारत लाकर बसाने व उनके अवैध दस्तावेज बनवाने वाले गिरोह के सरगना सहित कई लोग पकड़े हैं। इस सरगना के विषय में इनपुट मिल रहा है कि इसने अलीगढ़ में भी काफी रोहिंग्या व बांग्लादेशी बसाए हैं, उनके दस्तावेज तक बनवाए। 2022 में कुछ रोहिंग्या के पकड़े जाने के बाद एटीएस के समक्ष इसका नाम सामने आया था। अब एटीएस दिल्ली जाकर इससे पूछताछ करेगी।

दिल्ली पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए गिरोह के सरगना चांद मियां ने बांग्लादेशियों और रोहिंग्याओं को लेकर कई बड़े खुलासे किए हैं। एजेंसियों को पूछताछ में पता चला है कि चांद मियां द्वारा अलीगढ़ में बसाए गए बांग्लादेशियों के दस्तावेज भी बनवाए गए हैं। उसके अलीगढ़ में कई दफा आने के साक्ष्य भी एजेंसियों को मिले हैं। उसने यहां आधार कार्ड, राशन कार्ड तक इन लोगों के बनवाए हैं।
जून 2022 में रफीक व अमीन नाम के दो रोहिंग्या अलीगढ़ में एटीएस ने पकड़े थे। उनसे पूछताछ में उजागर हुआ था कि उन्हें बांग्लादेश के हसन व बिलाल नाम के लोगों ने यहां बसाया। उनके जरिये वे सोना तस्करी तक में जुड़े। उनसे पूछताछ में चांद का नाम भी सामने आया था। उसी के जरिये मेरठ से आधार कार्ड आदि बनने की बात सामने आई थी। अब इस गिरोह का खुलासा होने के बाद अलीगढ़ में भी नेटवर्क तलाशा जा रहा है।
अचानक गायब हो गए 150 रोहिंग्या
वर्ष 2022 में जब एटीएस और दूसरी एजेंसियों ने अलीगढ़ में जांच पड़ताल शुरू की थी तब 150 रोहिंग्या अचानक गायब हो गए थे। पहले सूचना मिली थी कि यह दिल्ली में पहुंच गए हैं। दिल्ली में भी एटीएस ने कई जगह पड़ताल की लेकिन कोई हाथ नहीं लगा था। बताया जाता है कि दिल्ली में पकड़े गए गिरोह ने फर्जी दस्तावेज तैयार कराकर इन लोगों को अलग अलग शहरों में बसाया है।
एजेंसियां कर रही हैं अपना काम
अलीगढ़ एसएसपी संजीव सुमन का कहना है कि इस विषय में एजेंसियां अपना काम कर रही हैं। लगातार पड़ताल की जा रही है। जो भी इनपुट मिलता है उस पर काम किया जाता है। हमसे जो भी मदद मांगी जाएगी दी जाएगी। अभी 22 करीब रोहिंग्या वर्क परमिट पर यहां रह रहे हैं।