Tree: प्रदूषण का वार, पेड़ हुए बीमार, पेड़ों की पत्तियां बदल रहीं रंग, समय से पहले न आ जाए पतझड़
प्रदूषण से पत्तियों का हरा रंग (क्लोरोफिल) नष्ट होने लगता है और वह पीली पड़ने लगती हैं । पत्तियों के ऊपरी हिस्से पर छोटे, गहरे या हल्के रंग के धब्बे बन जाते हैं। पत्ती के ऊतक मर जाते हैं। भूरे या काले रंग के धब्बे दिखाई देते हैं।
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लगातार जहरीली हो रही हवा मनुष्य ही नहीं पेड़ों को भी बीमार कर रही है। अलीगढ़ शहर में विभिन्न स्थानों पर लगे अशोक, अमलताश, सेमलगद्दा, पिलखुन, पापड़ी, गुलमोहर, शीशम, नीम, फायकस जैसे पेड़ों की पत्तियां कहीं पीली तो कहीं पर काली पड़ गई हैं। इसका कारण हवा में मौजूद स्मॉग पत्तियों की कोशिकाओं को क्षतिग्रस्त कर रहा है, जिससे वह बीमार पड़ रही हैं।
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) के वनस्पति विभाग के वैज्ञानिकों की मानें तो यदि जहरीली हवा की स्थिति अगले एक महीने तक भी बनी रही, तो इसका सीधा असर प्रकृति पर पड़ेगा और वर्ष 2026 में पतझड़ का मौसम फरवरी के अंत की जगह जनवरी के अंत में आ सकता है।
14 दिसंबर को वायु गुणवत्ता सूचकांक 497 तक पहुंच गया। यह बेहद खतरनाक स्तर है। एएमयू कृषि विज्ञान विभाग के डीन प्रो. आरयू खान कहते हैं कि हवा की खराब स्थिति स्मॉग में ओज़ोन, नाइट्रोजन ऑक्साइड, और सल्फर डाई ऑक्साइड और डस्ट पार्टिकल्स (कण) का मिश्रण होता है। ओजोन पत्तियों को सबसे ज़्यादा नुकसान पहुंचाता है। यह पत्तियों में मौजूद छोटे-छोटे छिद्रों, जिन्हें स्टोमेटा कहते हैं, के माध्यम से प्रवेश कर पत्तियों की कोशिकाओं को क्षतिग्रस्त कर देता है।
पत्तियों का हरा रंग (क्लोरोफिल) नष्ट होने लगता है और वह पीली पड़ने लगती हैं । पत्तियों के ऊपरी हिस्से पर छोटे, गहरे या हल्के रंग के धब्बे बन जाते हैं। पत्ती के ऊतक मर जाते हैं। भूरे या काले रंग के धब्बे दिखाई देते हैं। पत्तियां प्रभावी ढंग से प्रकाश संश्लेषण नहीं कर पातीं, जिससे पौधे को भोजन बनाने में कठिनाई होती है और उसकी वृद्धि रुक जाती है।
पतझड़ का संबंध पेड़ की सेहत से
एएमयू वनस्पति विभाग के वरिष्ठ वैज्ञानिक प्रो. अनवर शहजाद कहते हैं कि समय पर पतझड़ होने पर पेड़ की सेहत पर कोई असर नहीं होता लेकिन असमय पतझड़ पेड़ की सेहत के लिए भी नुकसान दायक है। लंबे समय तक प्रदूषण का स्तर अधिक रहने, कोहरा छाए रहने और धूप न निकलने की स्थिति में पत्तियां बीमार पड़कर गिरने लगती हैं। क्योंकि उनमें प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया रुक जाती है। यही समय से पहले पतझड़ का कारण बनता है। प्रदूषण की मौजूदा स्थिति लंबे समय तक रही तो इस बार पतझड़ फरवरी के अंत के स्थान पर मध्य जनवरी के बाद तक आ सकता है।
अलीगढ़ में पिछले सात दिनों का एक्यूआई
10 दिसंबर - 223
11 दिसंबर - 308
12 दिसंबर- 377
13 दिसंबर- 408
14 दिसंबर- 497
15 दिसंबर - 462
16 दिसंबर - 352
