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Prayagraj: सहमति से साथ रहने वाले वयस्क अपराधी नहीं, हाईकोर्ट ने रद्द की अपहरण की एफआईआर
अमर उजाला नेटवर्क, प्रयागराज
Published by: विजय पुंडीर
Updated Tue, 08 Aug 2023 11:41 AM IST
सार
यह आदेश न्यायमूर्ति विवेक कुमार बिरला और न्यायमूर्ति राजेंद्र कुमार चतुर्थ की खंडपीठ में याची सत्यम और एक अन्य द्वारा अपहरण के मामले में दर्ज एफआईआर को चुनौती देने वाली याचिका पर अधिवक्ता आशुतोष गुप्ता को सुनकर दिया।
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प्रतीकात्मक तस्वीर
- फोटो : सोशल मीडिया
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विस्तार
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि सहमति से साथ रहने वाले वयस्क अपराधी नहीं हैं। हर वयस्क अपनी मर्जी से अपना जीवन साथी चुनने के लिए स्वतंत्र है। कोर्ट ने लिव इन रिलेशनशिप में रह रहे जोड़े के खिलाफ दर्ज अपहरण की एफआईआर को रद कर दिया।
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यह आदेश न्यायमूर्ति विवेक कुमार बिरला और न्यायमूर्ति राजेंद्र कुमार चतुर्थ की खंडपीठ में याची सत्यम और एक अन्य द्वारा अपहरण के मामले में दर्ज एफआईआर को चुनौती देने वाली याचिका पर अधिवक्ता आशुतोष गुप्ता को सुनकर दिया।
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मामला मथुरा जिले के कोतवाली थाना क्षेत्र का है। पीड़िता अपर्णा के पिता ने याची के पर अपहरण का मुकदमा दर्ज कराया था। याची के अधिवक्ता का कहना था कि पीड़िता के पिता में एफआईआर में स्वीकार किया है कि अपर्णा की उम्र 25 वर्ष है। याची और अपर्णा अपनी मर्जी से साथ रह रहे हैं। दोनों वयस्क हैं, इसलिए इन्हें अपनी मर्जी से जीवन साथी चुनने के अधिकार है।
जबकि पीड़िता के पिता की ओर से पेश हुई अधिवक्ता छाया गुप्ता ने कोर्ट को बताया कि याची का अपराधिक इतिहास है। कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए पाया कि याची और पीड़िता दोनों ही वयस्क हैं और अपनी मर्जी से साथ रह रहे हैं। याची के विरुद्ध दर्ज अपहरण की एफआईआर कोर्ट ने रद्द करते हुए कहा कि दो वयस्क अपनी मर्जी से अपना जीवनसाथी चुन सकते हैं। ऐसे जोड़ो के विरुद्ध अपहरण का अपराध गठित नहीं होता।