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High Court : मोनाड यूनिवर्सिटी के फर्जी डिग्री घोटाला मामले के आरोपी को नहीं मिली राहत, याचिका खारिज

अमर उजाला नेटवर्क, प्रयागराज Published by: विनोद सिंह Updated Fri, 26 Dec 2025 02:05 PM IST
सार

इलाहाबाद हाईकोर्ट से हापुड़ की मोनाड यूनिवर्सिटी के फर्जी डिग्री घोटाला मामले के आरोपी नितिन कुमार को राहत नहीं मिली। कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट की ओर से जारी रिमांड व गिरफ्तारी आदेश को रद्द करने की मांग में दायर याचिका खारिज कर दी।

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High Court accused in the Monad University fake degree scam case did not get any relief
इलाहाबाद हाईकोर्ट - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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इलाहाबाद हाईकोर्ट से हापुड़ की मोनाड यूनिवर्सिटी के फर्जी डिग्री घोटाला मामले के आरोपी नितिन कुमार को राहत नहीं मिली। कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट की ओर से जारी रिमांड व गिरफ्तारी आदेश को रद्द करने की मांग में दायर याचिका खारिज कर दी। कोर्ट ने कहा कि किसी अभियुक्त को गिरफ्तारी के कारणों की जानकारी रिकवरी मेमो के माध्यम से दे दी गई है तो केवल ‘अरेस्ट मेमो’ में उन आधारों का उल्लेख न होना पूरी गिरफ्तारी को अवैध नहीं बनाता। यह आदेश न्यायमूर्ति सलिल कुमार राय और न्यायमूर्ति प्रमोद कुमार श्रीवास्तव की खंडपीठ ने दिया है।

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यह मामला मोनाड यूनिवर्सिटी में नकली डिग्री और मार्कशीट बनाने वाले एक बड़े रैकेट से जुड़ा है। पुलिस और एसटीएफ ने छापेमारी कर भारी मात्रा में फर्जी दस्तावेज-इलेक्ट्रॉनिक उपकरण बरामद किए थे। याचिकाकर्ता नितिन कुमार सिंह को इस मामले में गिरफ्तार किया गया था और मजिस्ट्रेट की ओर से न्यायिक रिमांड पर भेज दिया गया था। इस फैसले को याची ने हाईकोर्ट में चुनौती दी।
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याची अधिवक्ता ने दलील दी कि गिरफ्तारी के समय ‘अरेस्ट मेमो’ में गिरफ्तारी के आधारों का लिखित उल्लेख नहीं है। यह सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का उल्लंघन है। गिरफ्तारी करने की प्रक्रिया में खामी होने पर रिमांड आदेश भी अवैध है। ऐसे में याची को तुरंत रिहा किया जाना चाहिए।

कोर्ट ने पक्षों को सुनने के बाद कर्नाटक राज्य बनाम श्री दर्शन (2025) के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि किसी दस्तावेज में चूक रिमांड को तब तक अवैध नहीं बनाती, जब तक कि अभियुक्त को वास्तव में गिरफ्तारी के कारणों की जानकारी न हो। इस मामले में गिरफ्तारी के समय रिकवरी मेमो तैयार किया गया था, जिस पर याची के हस्ताक्षर थे। इसमें बरामद वस्तुओं और संबंधित धाराओं का पूरा विवरण था। इसे कोर्ट ने गिरफ्तारी के आधारों की पर्याप्त लिखित सूचना मानी। कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि याची को नियमित जमानत के लिए सक्षम न्यायालय में आवेदन करना चाहिए। 

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