High Court : अवैध निर्माण पर हाईकोर्ट सख्त, कहा-कानून तोड़ने वालों के लिए नहीं है अदालत
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने न्यू कटरा क्षेत्र में किए गए अवैध निर्माण के मामले में कहा, जो व्यक्ति स्वयं शपथपत्र देकर यह स्वीकार कर चुका हो कि वह स्वीकृत मानचित्र से हटकर किए गए निर्माण को गिरा देगा।
विस्तार
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने न्यू कटरा क्षेत्र में किए गए अवैध निर्माण के मामले में कहा, जो व्यक्ति स्वयं शपथपत्र देकर यह स्वीकार कर चुका हो कि वह स्वीकृत मानचित्र से हटकर किए गए निर्माण को गिरा देगा। वह बाद में विकास प्राधिकरण से यह अपेक्षा नहीं कर सकता कि उससे कंपाउंडिंग के लिए संपर्क किया जाए। कानून का उल्लंघन करने वाला इस तरह की किसी राहत का अधिकार नहीं है। यह आदेश न्यायमूर्ति सरल श्रीवास्तव और न्यायमूर्ति सुधांशु चौहान की खंडपीठ ने न्यू कटरा क्षेत्र निवासी की याचिका पर दिया।
याची का कहना था कि पड़ोसी प्लॉट पर हो रहे अवैध निर्माण में न तो आवश्यक सेटबैक छोड़ा गया और न ही भवन नियमों का पालन किया गया। इससे उनके पुराने मकान की नींव को खतरा पैदा हो गया है। प्रयागराज विकास प्राधिकरण (पीडीए) ने तीन मई 2025 को संबंधित परिसर को सील करने का आदेश दिया था। इसके बाद प्रतिवादी ने बेसमेंट में जलभराव की आशंका जताते हुए डी-सीलिंग के लिए आवेदन किया और शपथपत्र में अवैध निर्माण गिराने की बात कही। इसी आधार पर परिसर डी-सील कर दिया गया। हालांकि, अदालत ने पाया कि डी-सीलिंग का आदेश देने का अधिकार सचिव के पास नहीं था। खासकर तब जब निर्माण कंपाउंडिंग की सीमा से कहीं अधिक था। कोर्ट ने यह भी पाया कि डी-सीलिंग के बाद अवैध निर्माण जारी रहा।
कोर्ट ने कहा कि यह चौंकाने वाला है कि विकास प्राधिकरण ने क्षेत्र के निवासियों की सुरक्षा और अधिकारों के प्रति कोई संवेदनशीलता नहीं दिखाई। स्वीकृत सीमा से अधिक बेसमेंट निर्माण से न केवल याची के मकान की नींव को नुकसान पहुंच सकता है, बल्कि इससे मानव जीवन को भी खतरा उत्पन्न हो सकता है। पीडीए ने परिसर को दोबारा तब सील किया, जब हाईकोर्ट ने मामले का संज्ञान लिया। इस पर कोर्ट ने प्राधिकरण के रवैये पर नाराजगी जताई। प्राधिकरण के उपाध्यक्ष को तलब किया गया, जिन्होंने स्वीकार किया कि निर्माण कंपाउंडिंग की सीमा से बाहर था। इसके बावजूद प्रतिवादियों को मानचित्र कंपाउंड कराने का एक और अवसर दिया गया।
जब प्रतिवादियों के अधिवक्ता ने ध्वस्तीकरण आदेश को अलग से चुनौती देने की बात कही तो अदालत ने इस रवैये पर कड़ी नाराजगी जताते हुए कहा कि न्यायालय कानून का पालन करने वाले नागरिकों के लिए होते हैं। न कि उन लोगों के लिए जो कानून में विश्वास नहीं रखते और बेखौफ होकर उसका उल्लंघन करते हैं।
कोर्ट ने अंतिम अवसर देते हुए निर्देश दिया कि कंपाउंडिंग की सीमा से बाहर के अवैध निर्माण को तत्काल गिराया जाए। वहीं, शेष निर्माण को नियमों के अनुरूप कंपाउंड कराया जाए। साथ ही सख्त चेतावनी दी कि यदि अगली तारीख तक कार्रवाई नहीं हुई तो वर्तमान और पूर्व उपाध्यक्ष-जिनके आदेश से डी-सीलिंग हुई दोनों से स्पष्टीकरण तलब किया जाएगा। इसके साथ ही वर्तमान उपाध्यक्ष को 18 दिसंबर को व्यक्तिगत रूप से अदालत में उपस्थित होने का आदेश दिया है।
