{"_id":"5dd439168ebc3e54fe124b5c","slug":"mahant-ashish-giri-panchayati-akhaara-parishad-allahabad-news-ald2606418151","type":"story","status":"publish","title_hn":"तीसरे दिन भी नहीं शुरू हुई महंत की मौत मामले की जांच","category":{"title":"City & states","title_hn":"शहर और राज्य","slug":"city-and-states"}}
तीसरे दिन भी नहीं शुरू हुई महंत की मौत मामले की जांच
विज्ञापन

दारागंज स्थित पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी के सचिव महंत आशीष गिरि (फाइल)।
- फोटो : CITY DESK
मौके से मिले दोनों मोबाइल का नहीं खुलवाया जा सका लॉक
आश्रम में रहने वाले साधु-संतों से भी नहीं की गई पूछताछ
प्रयागराज। दारागंज में निरंजनी अखाड़े के सचिव महंत आशीष गिरि की संदिग्ध हाल में मौत का राज तीसरे दिन भी कायम रहा। हाल यह है कि पुलिस तीन दिन बाद भी घटना की जांच शुरू नहीं कर सकी है। यहां तक कि मौके से मिले महंत के दोनों मोबाइल के लॉक भी अब तक नहीं खुलवाए जा सके हैं।
मूल रूप से पिथौरागढ़ के रहने वाले महंत आशीष गिरि की 17 नवंबर की सुबह संदिग्ध हाल में गोली लगने से मौत हो गई थी। वह अखाड़े के आश्रम में बने कमरे के बिस्तर पर मृत पड़े मिले थे। हथेली में फंसी पिस्टल व मौके से बरामद खोखे के आधार पर पुलिस ने इसे खुदकुशी बताया। अखाड़ा परिषद अध्यक्ष नरेंद्र गिरि भी ऐसा ही कहते रहे।
हालांकि घटनास्थल के हालात से खुदकुशी की थ्योरी पर सवाल भी उठे। मसलन मौके से दो खोखे बरामगदी, आश्रम के किसी व्यक्ति का गोली चलने की आवाज न सुनना, मौके से कोई सुसाइड नोट न मिलना समेत कई बातें ऐसी रहीं, जिनसे मामला संदिग्ध नजर आया। इसके बावजूद पुलिस अब तक मामले में एक कदम भी आगे नहीं बढ़ सकी है। हाल यह है कि घटना के तीसरे दिन भी मामले की जांच शुरू नहीं की गई। यहां तक कि मौके से मिले महंत के दो मोबाइलों की भी जांचपड़ताल अब तक नहीं की गई। पूछने पर पुलिस का कहना है कि दोनोें ही मोबाइल लॉक हैं। लेकिन जानकारों का कहना है कि पुलिस चाहती तो सॉफ्टवेयर विशेषज्ञ से संपर्क कर दोनों फोन के लॉक कुछ घंटों में खुलवा सकती थी। हालांकि उसने ऐसा नहीं किया। अब इसकी वजह क्या रही, यह दारागंज पुलिस ही बता सकती है।
जांच को लेकर गंभीर नहीं दिख रही पुलिस
इसे लापरवाही ही कहेंगे कि हाईप्रोफाइल मामला होने के बावजूद पुलिस इसकी जांच को लेकर गंभीर नहीं दिख रही। क्योंकि घटना के तीन दिन बीत जाने के बाद भी अब तक इस मामले में आश्रम के रहवासियों से पूछताछ नहीं की जा सकी है। सूत्रों का कहना है कि घटना के बाद मौके पर पहुंचकर पुलिस ने फौरी तौर पर ही साधु-संतों से जानकारी ली थी। जिसमें उसे कोई बहुत जानकारी नहीं दे पाया था। दरअसल उस वक्त माहौल भी ऐसा था कि कोई बहुत कुछ बता पाने की स्थिति में नहीं था। हालांकि हो सकता है कि अब पूछताछ होती तो शायद कोई जानकारी सामने आती। हालांकि घटना के बाद से अब तक पुलिस पूछताछ के लिए आश्रम में नहीं गई है। मामले में दारागंज एसओ आशुतोष तिवारी का कहना है कि फिलहाल मोबाइल का लॉक नहीं ख्ुालवाया जा सका है। उच्चाधिकारियों के आदेश के अनुसार आगे की कार्रवाई की जाएगी।
शरीर में नहीं मिला था तनिक भी अल्कोहल
मामले में एक और चौंकाने वाली बात यह है कि जिन आशीष गिरि की तबियत बिगड़ने का कारण शराब बताया जा रहा है। उनके शरीर में पोस्टमार्टम के दौरान एल्कोहल नहीं मिला। इस पर पुलिस अफसरों का कहना है कि घटनास्थल व शव की हालत से फिलहाल यही लग रहा है कि महंत ने खुद को गोली मारकर आत्महत्या की। जांच का विषय यह हो सकता है कि इसकी वजह क्या रही। वह वास्तव में बीमारी को लेकर परेशान थे या किसी बात को लेकर तनाव में थे। हालांकि फिलहाल अब तक किसी तरह की कोई शिकायत नहीं मिली है। इस तरह की बात सामने आती है तो जांच कराई जाएगी।
विज्ञापन

Trending Videos
आश्रम में रहने वाले साधु-संतों से भी नहीं की गई पूछताछ
प्रयागराज। दारागंज में निरंजनी अखाड़े के सचिव महंत आशीष गिरि की संदिग्ध हाल में मौत का राज तीसरे दिन भी कायम रहा। हाल यह है कि पुलिस तीन दिन बाद भी घटना की जांच शुरू नहीं कर सकी है। यहां तक कि मौके से मिले महंत के दोनों मोबाइल के लॉक भी अब तक नहीं खुलवाए जा सके हैं।
मूल रूप से पिथौरागढ़ के रहने वाले महंत आशीष गिरि की 17 नवंबर की सुबह संदिग्ध हाल में गोली लगने से मौत हो गई थी। वह अखाड़े के आश्रम में बने कमरे के बिस्तर पर मृत पड़े मिले थे। हथेली में फंसी पिस्टल व मौके से बरामद खोखे के आधार पर पुलिस ने इसे खुदकुशी बताया। अखाड़ा परिषद अध्यक्ष नरेंद्र गिरि भी ऐसा ही कहते रहे।
विज्ञापन
विज्ञापन
हालांकि घटनास्थल के हालात से खुदकुशी की थ्योरी पर सवाल भी उठे। मसलन मौके से दो खोखे बरामगदी, आश्रम के किसी व्यक्ति का गोली चलने की आवाज न सुनना, मौके से कोई सुसाइड नोट न मिलना समेत कई बातें ऐसी रहीं, जिनसे मामला संदिग्ध नजर आया। इसके बावजूद पुलिस अब तक मामले में एक कदम भी आगे नहीं बढ़ सकी है। हाल यह है कि घटना के तीसरे दिन भी मामले की जांच शुरू नहीं की गई। यहां तक कि मौके से मिले महंत के दो मोबाइलों की भी जांचपड़ताल अब तक नहीं की गई। पूछने पर पुलिस का कहना है कि दोनोें ही मोबाइल लॉक हैं। लेकिन जानकारों का कहना है कि पुलिस चाहती तो सॉफ्टवेयर विशेषज्ञ से संपर्क कर दोनों फोन के लॉक कुछ घंटों में खुलवा सकती थी। हालांकि उसने ऐसा नहीं किया। अब इसकी वजह क्या रही, यह दारागंज पुलिस ही बता सकती है।
जांच को लेकर गंभीर नहीं दिख रही पुलिस
इसे लापरवाही ही कहेंगे कि हाईप्रोफाइल मामला होने के बावजूद पुलिस इसकी जांच को लेकर गंभीर नहीं दिख रही। क्योंकि घटना के तीन दिन बीत जाने के बाद भी अब तक इस मामले में आश्रम के रहवासियों से पूछताछ नहीं की जा सकी है। सूत्रों का कहना है कि घटना के बाद मौके पर पहुंचकर पुलिस ने फौरी तौर पर ही साधु-संतों से जानकारी ली थी। जिसमें उसे कोई बहुत जानकारी नहीं दे पाया था। दरअसल उस वक्त माहौल भी ऐसा था कि कोई बहुत कुछ बता पाने की स्थिति में नहीं था। हालांकि हो सकता है कि अब पूछताछ होती तो शायद कोई जानकारी सामने आती। हालांकि घटना के बाद से अब तक पुलिस पूछताछ के लिए आश्रम में नहीं गई है। मामले में दारागंज एसओ आशुतोष तिवारी का कहना है कि फिलहाल मोबाइल का लॉक नहीं ख्ुालवाया जा सका है। उच्चाधिकारियों के आदेश के अनुसार आगे की कार्रवाई की जाएगी।
शरीर में नहीं मिला था तनिक भी अल्कोहल
मामले में एक और चौंकाने वाली बात यह है कि जिन आशीष गिरि की तबियत बिगड़ने का कारण शराब बताया जा रहा है। उनके शरीर में पोस्टमार्टम के दौरान एल्कोहल नहीं मिला। इस पर पुलिस अफसरों का कहना है कि घटनास्थल व शव की हालत से फिलहाल यही लग रहा है कि महंत ने खुद को गोली मारकर आत्महत्या की। जांच का विषय यह हो सकता है कि इसकी वजह क्या रही। वह वास्तव में बीमारी को लेकर परेशान थे या किसी बात को लेकर तनाव में थे। हालांकि फिलहाल अब तक किसी तरह की कोई शिकायत नहीं मिली है। इस तरह की बात सामने आती है तो जांच कराई जाएगी।
दारागंज स्थित पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी में रविवार को महंत महंत आशीष गिरि की मौत के बाद पहुंची - फोटो : CITY DESK