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राजू पाल हत्याकांड : पूजा पाल ने पति के कातिलों को दिलाई सजा, हाईकोर्ट में अब भी तीन अर्जियां लंबित

अमर उजाला नेटवर्क, प्रयागराज Published by: विनोद सिंह Updated Sat, 30 Mar 2024 11:43 AM IST
सार

विधायक राजू पाल हत्याकांड में सीबीआई कोर्ट से हत्यारों को भले ही सजा मिल गई हो लेकिन पूजा पाल की ओर से हाईकोर्ट में दाखिल तीन अर्जियां अभी तक लंबित पड़ी हुई हैं। लखनऊ की सीबीआई कोर्ट ने राजू पाल के सात हत्यारों को सजा सुनाई। इसमें छह को आजीवन कारावास और एक को चार साल की सजा दी गई है।

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Raju Pal murder case: Pooja Pal gets husband's murderers punished,
पूजा पाल और राजू पाल। फाइल फोटो - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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19 बरस की कानूनी जंग में पति के कातिलों को सजा दिलाने वाली पूजा पाल ने माफिया और उसके गुर्गों के खिलाफ बेखौफ होकर लड़ाई लड़ी। हत्याकांड के 11 साल बाद अतीक की हाईकोर्ट से जमानत निरस्त कराकर उन्होंने पहली लड़ाई जीती थी। हालांकि, अतीक के भाई अशरफ और उसके दो गुर्गों दिनेश पासी व आबिद की जमानत का मामला तारीखों के फेर में ही उलझा रह गया। इस बीच, अशरफ की हत्या हो गई और शुक्रवार को आबिद को उम्रकैद।

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अतीक को जेल भिजवाया तो फिर निकल न पाया

विधायक राजू पाल की हत्या के आरोपी अतीक अहमद को इलाहाबाद हाईकोर्ट से 12 अप्रैल 2005 को ही जमानत मिल गई थी। 11 साल से इंसाफ की गुहार लगा रहीं पूजा पाल विधायक बन चुकी थीं। अबला से सबला बनीं पूजा ने अतीक की जमानत निरस्त कराने की ठानी और 7 नवंबर 2016 को हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल की। करीब छह माह बाद न्यायमूर्ति विपिन सिन्हा की अदालत ने 71 आपराधिक मामलों के इतिहास के आधार पर अतीक की जमानत 31 मई 2017 को निरस्त कर दी थी। पूजा पाल की यह पहली जीत थी। अतीक भी इस बार जेल गया तो फिर निकल नहीं पाया।

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मौत के बाद भी तारीख पर तारीख


पहली जीत से उत्साहित पूजा पाल ने अतीक के भाई अशरफ को 27 मार्च 2005 को मिली जमानत को चुनौती दी। 7 नवंबर 2016 को दाखिल याचिका की सुनवाई न्यायमूर्ति मोहम्मद ताहिर ने की, लेकिन सुनवाई से पहले ही कोर्ट ने इसे अन्य पीठ में सूचीबद्ध करने का आदेश दे दिया। इसके बाद न्यायमूर्ति विपिन सिन्हा की कोर्ट ने 29 मई 2017 को अशरफ को नोटिस भेजा। तब से बस तारीखें ही मिल रही हैं। 15 अप्रैल 2023 को अशरफ की पुलिस कस्टडी में हत्या के बाद यह अर्जी निरर्थक हो चुकी है। लेकिन, कोर्ट की अधिकारिक वेबसाइट पर यह अर्जी आज भी लंबित है। 16 फरवरी 2024 को भी यह केस सूचीबद्ध हुआ था।

जमानत निरस्त का मामला अटका, अपहरण में गुर्गा गया जेल

पूजा पाल ने अतीक के गुर्गे दिनेश पासी की जमानत निरस्त कराने के लिए तीसरी अर्जी 28 अक्टूबर 2017 को दाखिल की। दिनेश राजू पाल हत्याकांड में नामजद नहीं था। सीबीसीआईडी ने गवाह गोरे लाल के बयान के आधार पर उसका नाम शामिल किया था। गिरफ्तारी के बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 28 दिसंबर 2012 को उसे जमानत दे दी थी। पूजा की अर्जी पर कोर्ट ने 31 अक्टूबर 2017 को दिनेश पासी को नोटिस भेजा। फिर, तारीखें कई लगीं, लेकिन सुनवाई नहीं हुई। अप्रैल 2023 में उमेश पाल के अपहरण में दोषी मिलने के बाद से वह जेल में है। हालांकि, मामला अभी भी लंबित है। आखिरी बार यह केस 22 फरवरी-24 को सूचीबद्ध किया गया था।

हत्याकांड में सजा हो गई, जमानत पर निर्णय नहीं


राजू पाल हत्याकांड में आरोपी आबिद की जमानत निरस्त कराने के लिए भी पूजा पाल ने 28 अक्तूबर 2017 को अर्जी हाईकोर्ट में दाखिल की थी। इस मामले में दावे-प्रतिदावे 2023 और 2024 में दाखिल हुए। इस प्रकरण की सुुनवाई के लिए अभी तक 19 तारीखें पड़ीं, लेकिन जमानत अर्जी पर निस्तारण नहीं हो सका। हालांकि, शुक्रवार को सीबीआई लखनऊ की विशेष अदालत ने आबिद को दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुना दी है। पर, जमानत का प्रकरण जस का तस है।

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