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सपा विधायकों पर कार्रवाई: 'पीडीए की जय हो... पूजा बन गईं अच्छे व्यवहार वाली बागी MLA'; इसलिए इन पर दिखाई नरमी
रवींद्र अग्रहरि, अमर उजाला, कौशांबी
Published by: शाहरुख खान
Updated Wed, 25 Jun 2025 04:03 PM IST
सार
सपा ने तीन बागी विधायकों पर कार्रवाई की है, लेकिन चायल की सपा विधायक पूजा पाल पर नरमी दिखाई है। पूजा पाल अच्छे व्यवहार वाली बागी बन गईं हैं।
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पूजा पाल फाइल फोटो
- फोटो : अमर उजाला।
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विस्तार
राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग करने वाले तीन बागी विधायकों पर सपा की कार्रवाई से राजनीतिक चौपालों में हलचल बढ़ गई है। चर्चा इस बात पर हो रही कि क्रॉस वोटिंग करने वाली चायल की सपा विधायक पूजा पाल पर नरमी क्यों।
सियासी पंडितों को कहना है कि पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक (पीडीए) फैक्टर बगावत पर भारी पड़ गया। पूजा पाल पिछड़ा वर्ग से हैं। पंचायत चुनाव नजदीक है। समाजवादी पार्टी कोई रिस्क नहीं लेना चाहती।
बीते साल राज्यसभा चुनाव में सपा के सात विधायकों ने बगावत कर क्रॉस वोटिंग की थी। जबकि, एक विधायक गैरहाजिर रहीं। क्रॉस वोटिंग करने वालों में कौशाम्बी जिले के चायल की विधायक पूजा पाल भी शामिल थीं।
चुनाव बाद से बागी विधायकों के पार्टी से निष्कासन को लेकर अटकलें लगने लगी थीं। लेकिन सियासी कारणों से मामला टलता रहा। सोमवार को पार्टी ने कार्रवाई भी की तो सिर्फ तीन विधायकों मनोज पांडे, राकेश प्रताप सिंह और अभय प्रताप सिंह के खिलाफ। बाकी को अच्छे व्यवहार के नाम पर मोहलत दे दी।
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सियासी पंडितों को कहना है कि पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक (पीडीए) फैक्टर बगावत पर भारी पड़ गया। पूजा पाल पिछड़ा वर्ग से हैं। पंचायत चुनाव नजदीक है। समाजवादी पार्टी कोई रिस्क नहीं लेना चाहती।
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बीते साल राज्यसभा चुनाव में सपा के सात विधायकों ने बगावत कर क्रॉस वोटिंग की थी। जबकि, एक विधायक गैरहाजिर रहीं। क्रॉस वोटिंग करने वालों में कौशाम्बी जिले के चायल की विधायक पूजा पाल भी शामिल थीं।
चुनाव बाद से बागी विधायकों के पार्टी से निष्कासन को लेकर अटकलें लगने लगी थीं। लेकिन सियासी कारणों से मामला टलता रहा। सोमवार को पार्टी ने कार्रवाई भी की तो सिर्फ तीन विधायकों मनोज पांडे, राकेश प्रताप सिंह और अभय प्रताप सिंह के खिलाफ। बाकी को अच्छे व्यवहार के नाम पर मोहलत दे दी।
पूजा पाल ने भाजपा के लिए कीं बैठकें
पिछड़ा, दलित और अल्पंसख्यकों पर आधारित राजनीति के हिसाब से कौशाम्बी महत्वपूर्ण है। यह सच है कि बगावत के बाद पूजा पाल ने सपा या सपा नेतृत्व के खिलाफ कोई बयानबाजी नहीं की। लेकिन इस बात से इन्कार नहीं किया जा सकता कि वह पार्टी लाइन से हटकर लगातार भाजपा का समर्थन करती रहीं। पिछले लोकसभा चुनावों में उन्होंने भाजपा के लिए बैठकें भी कीं।
पिछड़ा, दलित और अल्पंसख्यकों पर आधारित राजनीति के हिसाब से कौशाम्बी महत्वपूर्ण है। यह सच है कि बगावत के बाद पूजा पाल ने सपा या सपा नेतृत्व के खिलाफ कोई बयानबाजी नहीं की। लेकिन इस बात से इन्कार नहीं किया जा सकता कि वह पार्टी लाइन से हटकर लगातार भाजपा का समर्थन करती रहीं। पिछले लोकसभा चुनावों में उन्होंने भाजपा के लिए बैठकें भी कीं।
सत्ताधारी दल भाजपा को लेकर नाराजगी दिखी
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि सपा मुखिया इन दिनों पीडीए को साधने की कोशिश कर रहे हैं। इसके अलावा हाल ही में हुई सैनी कोतवाली के लोहंदा गांव में आठ वर्षीय बालिका के साथ कथित दुष्कर्म की घटना है। जिसको लेकर पूरे प्रदेश में पिछड़ा वर्ग खासतौर से पाल बिरादरी में सत्ताधारी दल भाजपा को लेकर नाराजगी दिखी है। इससे भी चायल विधायक पर नरमी बरतने के कयास लगाए जा रहे हैं।
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि सपा मुखिया इन दिनों पीडीए को साधने की कोशिश कर रहे हैं। इसके अलावा हाल ही में हुई सैनी कोतवाली के लोहंदा गांव में आठ वर्षीय बालिका के साथ कथित दुष्कर्म की घटना है। जिसको लेकर पूरे प्रदेश में पिछड़ा वर्ग खासतौर से पाल बिरादरी में सत्ताधारी दल भाजपा को लेकर नाराजगी दिखी है। इससे भी चायल विधायक पर नरमी बरतने के कयास लगाए जा रहे हैं।
जिले में पाल बिरादरी की बात करें तो प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में इनके 20 से 25 हजार वोटर हैं। ये 2014 से 2019 तक के चुनावों में अधिसंख्य भाजपा के साथ थे। सपा से पूजा पाल की उम्मीदवारी के कारण वर्ष 2022 के विधानसभा और 2024 के लोकसभा चुनाव में पालों का काफी हिस्सा भाजपा से खिसक गया था। इस वोट को दोनों दल साधने की कोशिश कर रहे हैं।
डिप्टी सीएम के साथ मंच साझा कर रहीं पूजा
राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग के बाद से विधायक पूजा पाल लगातार भाजपा से करीबी बढ़ाती दिख रही हैं। अक्सर उन्हें डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के साथ मंच साझा करते भी देखा जाता है। लोहंदा कांड में भी पूजा ने एक लाख रुपये की आर्थिक मदद कर यह संदेश देने का प्रयास किया कि सरकार पीड़ित परिवार के साथ खड़ी है।
राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग के बाद से विधायक पूजा पाल लगातार भाजपा से करीबी बढ़ाती दिख रही हैं। अक्सर उन्हें डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के साथ मंच साझा करते भी देखा जाता है। लोहंदा कांड में भी पूजा ने एक लाख रुपये की आर्थिक मदद कर यह संदेश देने का प्रयास किया कि सरकार पीड़ित परिवार के साथ खड़ी है।
सपा महासचिव बोले-बागी तो और भी हैं...
सपा के राष्ट्रीय महासचिव व मंझनपुर विधायक इंद्रजीत सरोज बताते हैं कि राज्यसभा चुनाव में क्राॅस वोटिंग भले ही 7 विधायकों ने की थी, लेकिन बगावत करने वाले विधायकों की संख्या 10 थी। इनमें जिले के दो विधायक सिराथू की पल्लवी पटेल और चायल की पूजा पाल भी शामिल थीं।
सपा के राष्ट्रीय महासचिव व मंझनपुर विधायक इंद्रजीत सरोज बताते हैं कि राज्यसभा चुनाव में क्राॅस वोटिंग भले ही 7 विधायकों ने की थी, लेकिन बगावत करने वाले विधायकों की संख्या 10 थी। इनमें जिले के दो विधायक सिराथू की पल्लवी पटेल और चायल की पूजा पाल भी शामिल थीं।
पल्लवी ने तो लोकसभा चुनाव में पार्टी से अलग होकर अपना उम्मीदवार भी मैदान में उतारा था। इसके बाद सिर्फ तीन विधायकों के निकाले जाने का फैसला राष्ट्रीय अध्यक्ष का है। बाकियों पर कार्रवाई क्यों नहीं हुई। इस मसले पर अधिक जानकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष के साथ बैठने के बाद ही पता चल पाएगी।