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Amroha News: रकम लेने के बाद भी नहीं दी पिस्टल, अब कोलकाता की फैक्टरी को ब्याज समेत लौटाने होंगे 71 हजार
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अमरोहा। शस्त्र लाइसेंस के लिए रकम लेने के बाद भी कोलकाता की फैक्टरी के अफसरों ने गजरौला के कारोबारी को पिस्टल नहीं दी और न ही रुपये लौटाए। इस बीच लाइसेंस धारक का निधन हो गया। करीब 15 साल बाद उपभोक्ता फोरम ने फैक्टरी के जनरल मैनेजर को नौ प्रतिशत ब्याज के साथ 71,599 रुपये लौटाने के निर्देश दिए हैं। आर्थिक और मानसिक पीड़ा और वाद व्यय के रूप में 25 हजार रुपये का जमाना भी लगाया है। पूरी रकम फैक्टरी के अफसरों को एक माह में अदा करनी होगी।
गजरौला राम कुटीर में मुनीश कुमार अग्रवाल का परिवार रहता है। उनका शस्त्र लाइसेंस है। मुनीश ने कोलकाता की शस्त्र फैक्टरी से पिटस्ल और एक अतिरिक्त मैगजीन खरीदने के लिए आवेदन किया था। आवेदन के साथ छह हजार रुपये का ड्राफ्ट भी भेजा था। इसके बाद फैक्टरी के जनरल मैनेजर ने आवेदन को स्वीकार करते हुए पिस्टल बुकिंग कर लिया था। यह पिस्टल अतिरिक्त मैगजीन सहित 77,599 का तय हुआ था।
पांच मार्च 2010 को फैक्टरी के जनरल मैनेजर ने पूरा भुगतान होने के बाद पिस्टल ले जाने के लिए कॉल लेटर भेजने का दावा किया था। लिहाजा 20 मई 2011 को मुनीश ने 71,599 का ड्राफ्ट फैक्टरी को भेज दिया। इसके बाद मुनीश फैक्टरी के कॉल लेटर की प्रतीक्षा करते रहे। कुछ समय बाद मुनीश बीमार रहने लगे। लिहाजा, उन्होंने 20 मार्च 2017 को पिस्तौल खरीदने का आर्डर निरस्त करते हुए फैक्टरी से अपनी राशि वापस करने की मांग की लेकिन पांच जुलाई 2018 को मुनीश का निधन हो गया।
इसके बाद भी फैक्टरी ने राशि वापस नहीं की और तीन फरवरी 2020 को रुपये वापस करने से साफ इन्कार कर दिया। इसके बाद मुनीश की पत्नी शीला अग्रवाल, बेटे विवेक अग्रवाल और बेटी शिवानी गर्ग ने फैक्टरी को अपने वकील के माध्यम से नोटिस जारी कराया लेकिन नोटिस की समय अवधि बीतने के बाद भी फैक्टरी ने रकम वापस नहीं की। लिहाजा, तीनों ने जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग की शरण ली।
- एक माह में अदा करनी होगी रकम
उपभोक्ता फोरम के अध्यक्ष रमाशंकर सिंह और महिला सदस्य अंजू रानी दीक्षित ने भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय में सचिव, शस्त्र फैक्टरी के जनरल मैनेजर और जिलाधिकारी को तलब कर लिया। सभी पक्षों को सुनने के बाद उपभोक्ता फोरम ने शस्त्र फैक्टरी के जनरल मैनेजर को सेवा में कमी का दोषी पाया। साथ ही स्पष्ट कहा कि कंपनी के बुकिंग रुपये छह हजार रुपये थे। इसलिए फैक्टरी को पीड़ित की बकाया रकम वापस कर देनी चाहिए थी। फैक्टरी को पूरी धनराशि जब्त करने का कोई अधिकार नहीं है। लिहाजा, आयोग के अध्यक्ष ने फैक्टरी के जनरल मैनेजर को 71,599 रुपये नौ प्रतिशत ब्याज समेत लौटाने के निर्देश दिए हैं। साथ ही आर्थिक और मानसिक पीड़ा के लिए 15 हजार और वाद व्यय के रूप में खर्च 10 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है।
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गजरौला राम कुटीर में मुनीश कुमार अग्रवाल का परिवार रहता है। उनका शस्त्र लाइसेंस है। मुनीश ने कोलकाता की शस्त्र फैक्टरी से पिटस्ल और एक अतिरिक्त मैगजीन खरीदने के लिए आवेदन किया था। आवेदन के साथ छह हजार रुपये का ड्राफ्ट भी भेजा था। इसके बाद फैक्टरी के जनरल मैनेजर ने आवेदन को स्वीकार करते हुए पिस्टल बुकिंग कर लिया था। यह पिस्टल अतिरिक्त मैगजीन सहित 77,599 का तय हुआ था।
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पांच मार्च 2010 को फैक्टरी के जनरल मैनेजर ने पूरा भुगतान होने के बाद पिस्टल ले जाने के लिए कॉल लेटर भेजने का दावा किया था। लिहाजा 20 मई 2011 को मुनीश ने 71,599 का ड्राफ्ट फैक्टरी को भेज दिया। इसके बाद मुनीश फैक्टरी के कॉल लेटर की प्रतीक्षा करते रहे। कुछ समय बाद मुनीश बीमार रहने लगे। लिहाजा, उन्होंने 20 मार्च 2017 को पिस्तौल खरीदने का आर्डर निरस्त करते हुए फैक्टरी से अपनी राशि वापस करने की मांग की लेकिन पांच जुलाई 2018 को मुनीश का निधन हो गया।
इसके बाद भी फैक्टरी ने राशि वापस नहीं की और तीन फरवरी 2020 को रुपये वापस करने से साफ इन्कार कर दिया। इसके बाद मुनीश की पत्नी शीला अग्रवाल, बेटे विवेक अग्रवाल और बेटी शिवानी गर्ग ने फैक्टरी को अपने वकील के माध्यम से नोटिस जारी कराया लेकिन नोटिस की समय अवधि बीतने के बाद भी फैक्टरी ने रकम वापस नहीं की। लिहाजा, तीनों ने जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग की शरण ली।
- एक माह में अदा करनी होगी रकम
उपभोक्ता फोरम के अध्यक्ष रमाशंकर सिंह और महिला सदस्य अंजू रानी दीक्षित ने भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय में सचिव, शस्त्र फैक्टरी के जनरल मैनेजर और जिलाधिकारी को तलब कर लिया। सभी पक्षों को सुनने के बाद उपभोक्ता फोरम ने शस्त्र फैक्टरी के जनरल मैनेजर को सेवा में कमी का दोषी पाया। साथ ही स्पष्ट कहा कि कंपनी के बुकिंग रुपये छह हजार रुपये थे। इसलिए फैक्टरी को पीड़ित की बकाया रकम वापस कर देनी चाहिए थी। फैक्टरी को पूरी धनराशि जब्त करने का कोई अधिकार नहीं है। लिहाजा, आयोग के अध्यक्ष ने फैक्टरी के जनरल मैनेजर को 71,599 रुपये नौ प्रतिशत ब्याज समेत लौटाने के निर्देश दिए हैं। साथ ही आर्थिक और मानसिक पीड़ा के लिए 15 हजार और वाद व्यय के रूप में खर्च 10 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है।