UP: जगन्नाथपुरी की तर्ज पर निकली रथयात्रा, महावीरी झंडा जुलूस, दो हजार युवाओं ने दिखाई भक्ति; सुरक्षा दुरुस्त
Ballia News: झंडा जुलूस में हर झांकी अपनी अलग सजावट, धार्मिक संदेश और शौर्य प्रदर्शन के कारण लोगों के आकर्षण का केंद्र बनी रही। इस दौरान युवाओं ने पारंपरिक अस्त्र-शस्त्र कलाओं जैसे लाठी चलाना, अग्नि क्रीड़ा और अन्य शौर्य नृत्यों के माध्यम से दर्शकों का भरपूर मनोरंजन किया।
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Mahaviri Jhanda 2025: उड़ीसा के जगन्नाथपुरी की रथ यात्रा की तर्ज पर कस्बे में शुक्रवार को देर शाम रथ यात्रा और महावीरी झंडा जुलूस चतुर्भुज नाथ मंदिर से परंपरागत तौर पर निकाली गई। जिसमें 12 अखाड़ों ने अपने दो हजार से अधिक युवाओं के साथ भाग लिया।
जुलूस में शामिल करीब 10 हजार से अधिक श्रद्धालुओं ने माहौल को भक्तिमय बना दिया। जुलूस में विभिन्न देवी-देवताओं की करीब 36 झांकियां शामिल रहीं, जो लोगों के आकर्षण का केंद्र रही। इन झांकियों में कस्बा के बाहर से आएं करीब 60 अधिक कलाकारों ने अपनी कला का प्रदर्शन किया।
जुलूस के दौरान पूरा कस्बा भक्ति, उमंग और उत्सव के रंग में सराबोर नजर आया। जुलूस में मैनापुर, रहिलापाली, भिखपुरा, बढ्ढा, चकखान, महाबीर स्थान, जलालीपुर, बस स्टेशन, बाजार चौक और अन्य जगहों के अखाड़ों की झांकियों देर शाम को अपने-अपने स्थान से निकलकर परंपरागत मार्गों से होते हुए जलपा चौक पहुंच कर चतुर्भुज नाथ मंदिर रथ के पीछे लग गई।
कस्बे में भक्तिमय माहौल
संपूर्ण कस्बा इस अवसर पर केसरिया ध्वजों, भगवा बैनरों, रंगीन लाइटों और धार्मिक नारों बैनर पोस्टर आदि से सजाया गया था। गली-गली में भक्ति गीतों की गूंज थी। महिलाएं, बच्चे, युवा और बुजुर्ग सभी ने किसी न किसी रूप में आयोजन में सक्रिय भागीदारी निभाई। मिल्की मोहल्ला का जुलूस अपने पारंपरिक मार्गों से होकर डाकखाना, जलपा चौक, बस स्टेशन चौराहा होते हुए वापस अपने स्थान पर सबसे पहले समाप्त हुआ, जबकि अन्य अखाड़ों के जुलूस रथ के साथ चलते हुए रशीदिया मस्जिद, गंधी मोहल्ला, भीखपुरा, डोमनपुरा होते हुए देर रात चतुर्भुज नाथ मंदिर पर पहुंच संपन्न हुआ।
अंत तक जमे रहे डीएम-एसपी
जुलूस को शांतिपूर्वक संपन्न कराने के लिए प्रशासन पूरी तरह सतर्क और सक्रिय नजर आया। जिलाधिकारी मंगला प्रसाद सिंह और पुलिस अधीक्षक ओमवीर सिंह अति संवेदनशील रसीदिया मस्जिद पर अंत समय तक मौजूद रहे और पूरे कार्यक्रम पर नजर बनाएं रहे।
सुरक्षा के लिए बने थे सात जोन
संवेदनशील इलाकों में ड्रोन कैमरों से निगरानी और चौक क्षेत्र को बैरिकेडिंग कर सील किया गया था। सुरक्षा बलों में 4 कंपनियां पीएससी, 3 अपर पुलिस अधीक्षक, 12 उपजिलाधिकारी, 8 क्षेत्राधिकारी के साथ-साथ 200 इंस्पेक्टर व सब इंस्पेक्टर, 950 सिपाही, 50 महिला सिपाही, 500 होमगार्ड, क्यूआरटी, फायर ब्रिगेड व मेडिकल टीमें तैनात थीं। वहीं, एलआईयू व इंटेलिजेंस व खुफिया विभाग की भी टीम भी चारों तरफ तैनात की गई थी।
स्वागत शिविर में श्रद्धालुओं का किया स्वागत
नगर पंचायत सिकंदरपुर और स्वयंसेवी संस्थाओं की ओर से शरबत, महाप्रसाद, फल वितरण की व्यवस्था विभिन्न प्रमुख स्थानों पर की गई थी। स्थानीय निवासियों ने स्वागत शिविरों और जलपान केंद्रों के माध्यम से श्रद्धालुओं का आदरपूर्वक स्वागत किया। छोटे बच्चों ने शरबत पिलाकर अतिथि सत्कार परंपरा को जीवंत किया। रात्रिकालीन व्यवस्था के अंतर्गत अतिरिक्त जनरेटर, लाइटिंग व्यवस्था और साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखा गया।
सियासतदानों की रही भागीदारी
इस ऐतिहासिक आयोजन में सभी राजनीतिक दलों की एकजुट भागीदारी भी देखने को मिली। विधायक मोहम्मद जियाउद्दीन रिजवी, पूर्व मंत्री राजधारी सिंह, पूर्व विधायक भगवान पाठक, भाजपा नेता विजय रंजन, नगर पंचायत अध्यक्ष प्रतिनिधि संजय जयसवाल, समाजसेवी प्रयाग चौहान, डॉ. उमेश चंद, आकाश तिवारी, प्रमोद गुप्ता, आशुतोष गुप्ता, ओंकार चंद सोनी, गणेश सोनी, गणेश वर्मा, सतीश जायसवाल, अनूप जायसवाल, राकेश सिंह, राकेश यादव, सरतेज यादव, लाल बच्चन प्रजापति आदि मौजूद रहे।
मुस्लिमों ने पहली गोल शनिवार को निकालने का लिया था निर्णय
सिकंदरपुर कस्बे के मुस्लिम समुदाय के लोगों ने चांद दिखने के बाद भी ऐतिहासिक रथ यात्रा व महावीर झंडा जुलूस को देखते हुए अपने पहली का गोल शुक्रवार की जगह शनिवार को सर्व सम्मति से निकालने का निर्णय लिया, जिसको लेकर दोनों समुदाय के लोगों के साथ-साथ पुलिस प्रशासन ने भी राहत की सांस ली।
शोभायात्रा में सजाई झांकी
ठाकुर मंदिर के पुजारी रामजी दास नागा बाबा के नेतृत्व में शुक्रवार को शोभायात्रा निकाली गई। शोभायात्रा में भगवान जगन्नाथ, भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा की झांकी सजाई गई। झांकी का दर्शन और पूजन-अर्चन के लिए लोगों की भीड़ रही। ठाकुर मंदिर से गाजे-बाजे के साथ प्रारंभ होकर शोभायात्रा रेलवे चौराहा, मुख्य मार्ग, त्रिमुहानी, बस स्टेशन आदि स्थानों का भ्रमण कर गंतव्य पर समाप्त हुई। इस दौरान भक्ति गीत-संगीत की धूम रही।