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UP: नाैसिखिए कर रहे अल्ट्रासाउंड, कमर में दर्द पर किडनी में पथरी की दे दी रिपोर्ट; इलाज प्रभावित

अमर उजाला नेटवर्क, बलिया। Published by: अमन विश्वकर्मा Updated Fri, 21 Nov 2025 05:42 AM IST
सार

Ballia News: उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में नियमों की अनदेखी कर अल्ट्रासाउंड सेंटर चलाए जा रहे हैं। महिलाओं ने नाम न छापने की शर्त पर यह भी बताया कि पुरुष कर्मचारी हमारा चेकअप करते हैं। 

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Novice ultrasound examiner reports kidney stones for back pain in ballia treatment affected
जिला अस्पताल के नए भवन स्थित एनआरसी सेंटर। - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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बिहार से सटे बैरिया तहसील में दो सीएचसी व 10 स्वास्थ्य केंद्रों पर तहसील क्षेत्र के चार लाख लोगों के स्वास्थ्य की जिम्मेदारी है। उसके बावजूद किसी भी सरकारी अस्पताल में अल्ट्रासाउंड जांच की सुविधा नहीं है। जबकि अस्पतालों के इर्द-गिर्द 21 से अधिक अल्ट्रासाउंड जांच केंद्र संचालित हो रहे हैं। 

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विभाग में दो का पंजीयन है। अधिकतर अवैध रूप से संचालित हो रहे हैं। सभी अल्ट्रासाउंड केंद्रों पर अप्रशिक्षित कर्मचारी मरीजों की जांच करते हैं। अल्ट्रासाउंड केंद्र रोगियों को जांच करने के बाद रिपोर्ट बिना सोनोलॉजिस्ट व रेडियोलॉजिस्ट के हस्ताक्षर के देते हैं। 
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कमर दर्द के मरीज को किडनी की शिकायत की रिपोर्ट थमा दे रहे हैं। स्वास्थ्य विभागीय की मिलीभगत कहे या लापरवाही जिम्मेदार सबकुछ देखने व जानने के बाद भी कार्रवाई नहीं करते हैं। यहीं कारण है कि क्षेत्र में मानक को दर किनार कर अल्ट्रासाउंड केंद्र धड़ल्ले से संचालित हो रहे हैं।

मरीजों-तीमारादों को परेशानी

पीसी-पीएनडीटी एक्ट के तहत अल्ट्रासाउंड सेंटर्स पर सख्त नियम हैं। हर रिपोर्ट पर रेडियोलॉजिस्ट या सोनोलाजिस्ट का नाम, पंजीयन संख्या, हस्ताक्षर और तारीख अनिवार्य है। लेकिन बैरिया तहसील के अधिकांश सेंटर्स इन नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं। किसी भी सेंटरों पर चिकित्सक व टेक्नीशियन नहीं हैं। सिर्फ फर्जी कागज से सेंटर खोल कर संचालक सेंटर चला रहे हैं। 

बैरिया कस्बा व रानीगंज में कई अल्ट्रासाउंड वाले अधिक पैसा लेकर लिंग की भी जांच खुलेआम करते हैं। सोनोलॉजिस्ट न होने के कारण गलत रिपोर्ट के कारण मरीज के इलाज प्रभावित होता है। कुछ सेंटर मरीजों को सादे कागज पर प्रिंट की गई अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट थमा दे रहे हैं। इसको लेकर स्थानीय लोगों में आक्रोश व्याप्त है।

कुछ मामले

केस 01 : सुरेमनपुर गांव निवासी रविन्द्र यादव ने बताया कि सीएचसी के पास संचालित एक अल्ट्रासाउंड से चिकित्सक की सलाह पर पेट की जांच कराई। रिर्पोट में पेट में पथरी की शिकायत आई। वाराणसी जाकर आपरेशन के पूर्व जांच कराई तो कुछ भी नहीं था।

केस 02 : उपाध्याय पुर गांव निवासी पूर्व प्रधान धर्मेद्र तिवारी ने बताया कि एक रिश्तेदार को कमर में दर्द होने पर चिकित्सक की सलाह पर बैरिया कस्बा स्थित अल्ट्रासाउंड जांच केंद्र पर जांच कराया तो किडनी में पथरी है। बीएचयू जाकर चेक हुआ तो सबकुछ ठीक था।

केस 03 : रेवती कस्बा निवासी मंजू देवी को पेट दर्द होने पर अल्ट्रासाउंड जांच कराई। जांच रिपोर्ट में स्टोन की शिकायत आई। परिजन ऑपरेशन के लिए जगदीशपुर स्थित निजी अस्पताल में दिखाया गया तो उन्होंने दुबारा अल्ट्रासाउंड जांच कराई जहां कोई स्टोन नहीं था। पेट में संक्रमण के कारण दर्द की शिकायत थी, दवा खाने के बाद आराम मिल गया।

केस 04 : जेपी नगर निवासी मनोज यादव की पत्नी को तीन माह की गर्भवती थी। अल्ट्रासाउंड जांच कराने पर गर्भ खराब होने की रिपोर्ट मिली। चिकित्सक ने सफाई की सलाह दी। परिजन जिला महिला अस्पताल लेकर पहुंचे, वहां चिकित्सक ने अल्ट्रासाउंड जांच कराई तो गर्भ ठीक था। उसके बाद वह महिला अस्पताल में दिखाने लगे।

सोनबरसा सीएचसी के प्रभारी राजेश कुमार ने बताया अल्ट्रासाउंड रेडियोलॉजिस्ट या सोनालॉजिस्ट कर सकते हैं। रिपोर्ट पर चिकित्सक का नाम, हस्ताक्षर, पंजीयन नंबर व तारीख अनिवार्य है। सादे कागज या फिर बिना चिकित्सक के नाम व हस्ताक्षर के अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट देना गलत है। नियम विरुद्ध संचालित अल्ट्रासाउंड के खिलाफ जांच कर कार्रवाई की जाएगी।

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