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जनजाति गौरव दिवस के रूप में मनाई गई बिरसा मुंडा की जयंती
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बलरामपुर। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की तरफ से भगवान बिरसा मुंडा की जयंती पर जनजाति गौरव दिवस के रूप में मनाया गया। थारू जनजाति बाहुल्य गांव फोगई में आयोजित गोष्ठी में बिरसा मुंडा के जीवन वृत्त पर प्रकाश डाला गया। गोष्ठी के बाद बिरसा मुंडा के आदर्शों पर चलने का संकल्प भी लिया गया।
गोष्ठी को संबोधित करते हुए मुुख्य अतिथि क्षेत्रीय विधायक शैलेश कुमार सिंह शैलू ने कहा कि भारत के स्वतंत्रता संग्राम में जनजातीय समुदाय का उल्लेखनीय योगदान रहा है जिसमें प्रमुख रूप से भगवान बिरसा मुंडा का नाम सर्वप्रथम आता है।
15 नवंबर 1875 को जन्मे भगवान बिरसा मुंडा एक ऐसे जननायक थे जिन्होंने भारत के झारखंड में अपने क्रांतिकारी चिंतन से आदिवासी समाज की दशा और दिशा बदलकर नवीन सामाजिक और राजनीतिक युग का सूत्रपात किया। बिरसा मुंडा की गिनती महान देशभक्तों में की जाती है।
जिला प्रमुख डॉ. एम पी तिवारी ने कहा कि 19वीं सदी में बिरसा मुंडा ने ब्रिटिश राज की तरफ से थोपी गई सामंती व्यवस्था के खिलाफ आंदोलन का नेतृत्व किया था। ब्रिटिश सरकार के समय शोषण और दमन की नीतियों से आदिवासी समुदाय बुरी तरह जूझ रहा था।
इनकी जमीनें छीनीं जा रही थीं और आवाज उठाने पर बुरा सुलूक किया जा रहा था। अंग्रेजों का अत्याचारों के खिलाफ और लगान माफी के लिए इन्होंने 1 अक्टूबर 1894 को समुदाय के साथ मिलकर आंदोलन किया।
1895 में इन्हें गिरफ्तार किया गया और हजारीबाग केंद्रीय कारागार में दो साल कारावास की सजा दी गई। कार्यक्रम को विभाग सह प्रमुख डॉ. केके सिंह, पूर्व जिला प्रमुख डॉ. नितिन शर्मा, प्रांत सह मंत्री अभिषेक सिंह, विभाग संगठन मंत्री आयुष्मान, विभाग सह संयोजक जयशंकर मिश्रा, जिला संयोजक कुशाग्र सिंह, जिला सह संयोजक गौरव द्विवेदी एवं अमन गुप्ता आदि ने भी संबोधित किया।
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गोष्ठी को संबोधित करते हुए मुुख्य अतिथि क्षेत्रीय विधायक शैलेश कुमार सिंह शैलू ने कहा कि भारत के स्वतंत्रता संग्राम में जनजातीय समुदाय का उल्लेखनीय योगदान रहा है जिसमें प्रमुख रूप से भगवान बिरसा मुंडा का नाम सर्वप्रथम आता है।
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15 नवंबर 1875 को जन्मे भगवान बिरसा मुंडा एक ऐसे जननायक थे जिन्होंने भारत के झारखंड में अपने क्रांतिकारी चिंतन से आदिवासी समाज की दशा और दिशा बदलकर नवीन सामाजिक और राजनीतिक युग का सूत्रपात किया। बिरसा मुंडा की गिनती महान देशभक्तों में की जाती है।
जिला प्रमुख डॉ. एम पी तिवारी ने कहा कि 19वीं सदी में बिरसा मुंडा ने ब्रिटिश राज की तरफ से थोपी गई सामंती व्यवस्था के खिलाफ आंदोलन का नेतृत्व किया था। ब्रिटिश सरकार के समय शोषण और दमन की नीतियों से आदिवासी समुदाय बुरी तरह जूझ रहा था।
इनकी जमीनें छीनीं जा रही थीं और आवाज उठाने पर बुरा सुलूक किया जा रहा था। अंग्रेजों का अत्याचारों के खिलाफ और लगान माफी के लिए इन्होंने 1 अक्टूबर 1894 को समुदाय के साथ मिलकर आंदोलन किया।
1895 में इन्हें गिरफ्तार किया गया और हजारीबाग केंद्रीय कारागार में दो साल कारावास की सजा दी गई। कार्यक्रम को विभाग सह प्रमुख डॉ. केके सिंह, पूर्व जिला प्रमुख डॉ. नितिन शर्मा, प्रांत सह मंत्री अभिषेक सिंह, विभाग संगठन मंत्री आयुष्मान, विभाग सह संयोजक जयशंकर मिश्रा, जिला संयोजक कुशाग्र सिंह, जिला सह संयोजक गौरव द्विवेदी एवं अमन गुप्ता आदि ने भी संबोधित किया।