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Balrampur News: 30 नामजद आरोपियों की गिरफ्तारी से फंसा ठिकाने का पेंच
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बलरामपुर। जिले में ग्यारह करोड़ से अधिक के मध्याह्न भोजन (एमडीएम) घोटाले में आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं हो पा रही है। मामले के खुलासे के बाद पुलिस अब नामजद 45 आरोपियों में से उन 30 लोगों की तलाश में जुट गई है जिनका केवल नाम एफआईआर में दर्ज है, लेकिन ठिकाना और विस्तृत पहचान उपलब्ध नहीं है।
कोतवाली नगर पुलिस ने जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी से सभी 30 आरोपियों का पूरा ब्योरा मांगा है, जिसमें पता, पदनाम, तैनाती, सेवा विवरण और मोबाइल नंबर सहित जानकारी देने को कहा है, ताकिउनकी गिरफ्तारी की प्रक्रिया तेज हो सके। इसके साथ ही घोटाले की जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है, वैसे-वैसे और गंभीर तथ्य सामने आ रहे हैं। पता चला कि सीमावर्ती क्षेत्रों के 25 मदरसों को भी एमडीएम का बजट जारी किया गया था, जबकि कई मदरसे राज्य सरकार से अनुदानित हैं और इनके छात्र विद्यालय सूची में पंजीकृत नहीं पाए गए। गोपनीय जांच में यह भी उजागर हुआ है कि कुछ मदरसों में बच्चों की संख्या बढ़ा-चढ़ाकर दिखाई गई, जबकि वास्तविक उपस्थिति काफी कम थी।
इससे संदेह गहरा गया है कि एमडीएम घोटाले की रकम का एक हिस्सा फर्जी छात्र संख्या के नाम पर इन मदरसों के माध्यम से भी निकाला गया हो सकता है। जांच टीम ने तीन मदरसों में गड़बड़ी की पुष्टि की है और इनके प्रधानों एवं प्रबंध समिति पदाधिकारियों से पूछताछ की तैयारी चल रही है।
24 घंटे के अंदर मांगा गया ब्योरा
कोतवाली नगर के प्रभारी निरीक्षक के अनुसार एफआईआर में दर्ज 45 नामों में से 30 व्यक्तियों का केवल नाम दर्ज हैं, पता नहीं। पुलिस ने बीएसए कार्यालय से 24 घंटे के भीतर सभी का ब्योरा मांगा है ताकि खोजबीन के बाद गिरफ्तारी हो सके। पुलिस और शिक्षा विभाग दोनों ही स्वतंत्र रूप से वित्तीय रिकॉर्ड, बैंक लेन-देन, उपस्थिति रजिस्टर, एमडीएम स्टॉक रजिस्टर और पीएफएमएस पोर्टल के लॉग का मिलान कर रहे हैं। जांच टीम ने स्पष्ट संकेत दिए हैं कि आगे कई और लोगों पर शिकंजा कस सकता है, जिनमें स्कूल स्टाफ, ग्राम प्रधान, समिति सदस्य और मदरसों से जुड़े पदाधिकारी शामिल हो सकते हैं।
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कोतवाली नगर पुलिस ने जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी से सभी 30 आरोपियों का पूरा ब्योरा मांगा है, जिसमें पता, पदनाम, तैनाती, सेवा विवरण और मोबाइल नंबर सहित जानकारी देने को कहा है, ताकिउनकी गिरफ्तारी की प्रक्रिया तेज हो सके। इसके साथ ही घोटाले की जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है, वैसे-वैसे और गंभीर तथ्य सामने आ रहे हैं। पता चला कि सीमावर्ती क्षेत्रों के 25 मदरसों को भी एमडीएम का बजट जारी किया गया था, जबकि कई मदरसे राज्य सरकार से अनुदानित हैं और इनके छात्र विद्यालय सूची में पंजीकृत नहीं पाए गए। गोपनीय जांच में यह भी उजागर हुआ है कि कुछ मदरसों में बच्चों की संख्या बढ़ा-चढ़ाकर दिखाई गई, जबकि वास्तविक उपस्थिति काफी कम थी।
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इससे संदेह गहरा गया है कि एमडीएम घोटाले की रकम का एक हिस्सा फर्जी छात्र संख्या के नाम पर इन मदरसों के माध्यम से भी निकाला गया हो सकता है। जांच टीम ने तीन मदरसों में गड़बड़ी की पुष्टि की है और इनके प्रधानों एवं प्रबंध समिति पदाधिकारियों से पूछताछ की तैयारी चल रही है।
24 घंटे के अंदर मांगा गया ब्योरा
कोतवाली नगर के प्रभारी निरीक्षक के अनुसार एफआईआर में दर्ज 45 नामों में से 30 व्यक्तियों का केवल नाम दर्ज हैं, पता नहीं। पुलिस ने बीएसए कार्यालय से 24 घंटे के भीतर सभी का ब्योरा मांगा है ताकि खोजबीन के बाद गिरफ्तारी हो सके। पुलिस और शिक्षा विभाग दोनों ही स्वतंत्र रूप से वित्तीय रिकॉर्ड, बैंक लेन-देन, उपस्थिति रजिस्टर, एमडीएम स्टॉक रजिस्टर और पीएफएमएस पोर्टल के लॉग का मिलान कर रहे हैं। जांच टीम ने स्पष्ट संकेत दिए हैं कि आगे कई और लोगों पर शिकंजा कस सकता है, जिनमें स्कूल स्टाफ, ग्राम प्रधान, समिति सदस्य और मदरसों से जुड़े पदाधिकारी शामिल हो सकते हैं।