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Bareilly News: शुभम शर्मा की पहचान ओढ़कर मोबाइल फोन के बिना आठ साल छिपता रहा सुमित
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सार
बरेली के शातिर अपराधी सुमित चौधरी ने आठ साल तक शुभम शर्मा नाम से पुलिस को चकमा दिया और मोबाइल फोन का इस्तेमाल नहीं किया। पुलिस सर्विलांस विफल रहा, लेकिन मुखबिरों की मदद से उसे गिरफ्तार किया गया।
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विस्तार
बरेली। शातिर अपराधी सुमित चौधरी, शुभम शर्मा नाम की पहचान ओढ़कर आठ साल तक छिपता रहा। इस दौरान उसने मोबाइल फोन का इस्तेमाल नहीं किया। इस वजह से सुरक्षा एजेंसियां उसका सुराग नहीं जुटा सकीं। यह प्रकरण इस बात का भी प्रमाण है कि किस हद तक पुलिस सर्विलांस पर निर्भर हो चुकी है। मुखबिर तंत्र पूरी तरह निष्क्रिय हो गया है।
सुमित के परिवार के कई सदस्य पुलिस विभाग में हैं। इसलिए उसे पुलिस के कामकाज के बारे में काफी जानकारी है। इसीलिए वह किसी भी परिजन से मोबाइल के जरिये बात नहीं करता था। सोशल मीडिया पर भी किसी से संपर्क नहीं रखता था। वह साल में एकाध बार किसी राह चलते शख्स से मोबाइल फोन मांगकर पड़ोसियों को कॉल कर परिजनों से बात करता था। एसटीएफ को कई बार इसकी भनक लगी, पर टीम सिर्फ उस शख्स तक पहुंच सकी, जिसके नंबर से सुमित ने बता की थी। थक हारकर एसटीएफ ने मुखबिरों का सहारा लिया तो सुमित को पकड़ने में कामयाबी मिली।
पैर छूकर ठोक दी थी चार गोलियां
बताते हैं कि वर्ष 2013 में मुरादाबाद क्षेत्र के सिविल लाइंस इलाके में सुमित के भाई रिंकू चौधरी की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। शार्प शूटर के तौर पर रिंकू की पहचान थी। रिंकू पहले ब्लॉक प्रमुख योगेंद्र का दाहिना हाथ था, पर बाद में दोनों में अनबन हो गई थी। तब रिंकू हत्याकांड में योगेंद्र को नामजद कराया गया था। सुमित ने भाई की हत्या का बदला लेने की कसम ली थी। योजना के तहत उसने योगेंद्र उर्फ भूरा से फिर करीबी बढ़ाई। वर्ष 2015 में जब रिंकू हत्याकांड में योगेंद्र जेल से कोर्ट में पेश होने आया तो सुमित अपने साथियों के संग वहां था। पुलिस अभिरक्षा में जा रहे योगेंद्र को उसने राम-राम चाचा कहा और उसके पैर छूने के लिए झुका। पलक झपकते ही सुमित ने ताबड़तोड़ चार गोलियां योगेंद्र के सीने में उतार दी थी। अपर पुलिस अधीक्षक अब्दुल कादिर के नेतृत्व में दरोगा धूम सिंह, अमित कुमार, हेड कांस्टेबल हरिओम सिंह व कुलदीप कुमार, चालक मनोज कुमार अवस्थी को दो लाख रुपये का इनाम दिया जाएगा।
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सुमित के परिवार के कई सदस्य पुलिस विभाग में हैं। इसलिए उसे पुलिस के कामकाज के बारे में काफी जानकारी है। इसीलिए वह किसी भी परिजन से मोबाइल के जरिये बात नहीं करता था। सोशल मीडिया पर भी किसी से संपर्क नहीं रखता था। वह साल में एकाध बार किसी राह चलते शख्स से मोबाइल फोन मांगकर पड़ोसियों को कॉल कर परिजनों से बात करता था। एसटीएफ को कई बार इसकी भनक लगी, पर टीम सिर्फ उस शख्स तक पहुंच सकी, जिसके नंबर से सुमित ने बता की थी। थक हारकर एसटीएफ ने मुखबिरों का सहारा लिया तो सुमित को पकड़ने में कामयाबी मिली।
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पैर छूकर ठोक दी थी चार गोलियां
बताते हैं कि वर्ष 2013 में मुरादाबाद क्षेत्र के सिविल लाइंस इलाके में सुमित के भाई रिंकू चौधरी की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। शार्प शूटर के तौर पर रिंकू की पहचान थी। रिंकू पहले ब्लॉक प्रमुख योगेंद्र का दाहिना हाथ था, पर बाद में दोनों में अनबन हो गई थी। तब रिंकू हत्याकांड में योगेंद्र को नामजद कराया गया था। सुमित ने भाई की हत्या का बदला लेने की कसम ली थी। योजना के तहत उसने योगेंद्र उर्फ भूरा से फिर करीबी बढ़ाई। वर्ष 2015 में जब रिंकू हत्याकांड में योगेंद्र जेल से कोर्ट में पेश होने आया तो सुमित अपने साथियों के संग वहां था। पुलिस अभिरक्षा में जा रहे योगेंद्र को उसने राम-राम चाचा कहा और उसके पैर छूने के लिए झुका। पलक झपकते ही सुमित ने ताबड़तोड़ चार गोलियां योगेंद्र के सीने में उतार दी थी। अपर पुलिस अधीक्षक अब्दुल कादिर के नेतृत्व में दरोगा धूम सिंह, अमित कुमार, हेड कांस्टेबल हरिओम सिंह व कुलदीप कुमार, चालक मनोज कुमार अवस्थी को दो लाख रुपये का इनाम दिया जाएगा।
