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Budaun News: लापरवाही पर जिस संस्था का अक्तूबर में अनुबंध खत्म, अब दोबारा उसे देने की तैयारी
संवाद न्यूज एजेंसी, बदायूं
Updated Wed, 10 Dec 2025 12:03 AM IST
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बदायूं। मोतियाबिंद ऑपरेशन करने के लिए एनजीओ और संस्थाओं को रखा जा रहा है। स्वास्थ्य विभाग की ओर से अक्तूबर में पहले से चली आ रही दो संस्थाओं का जिला स्वास्थ्य समिति की ओर से अनुबंध खत्म कर दिया गया था। इसके बाद में दो नई संस्थाओं के चयन के साथ उन्हीं पुरानी दोनों संस्थाओं को भी रख लिया है। अब सवाल यह उठ रहा है कि जब लापरवाही पर संस्था को इस काम से हटाया गया है तो उसे दोबारा कैसे फिर से वहीं काम सौंपा जा रहा है।
जिले में अंधता निवारण कार्यक्रम के तहत निशुल्क मोतियाबिंद के ऑपरेशन कराए जाते हैं, जिले में काम करने वाली संस्था गंगा ज्योति नेत्र कल्याण सेवा समिति बरेली और गांधी नेत्र चिकित्सालय बदायूं के अनुबंध को खत्म कर दिया था। इसी बीच में नई संस्थाओं को रखने के लिए प्रक्रिया शुरू की गई, ताकि नियमित ऑपरेशन हो सकें और वित्तीय वर्ष में मिले लक्ष्य को पूरा कर सकें। लेकिन विभाग की ओर से दोनों पुरानी संस्थाओं को रख लिया गया है।
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दो हजार रुपये प्रति ऑपरेशन होता भुगतान
जिले में लोगों की आंखों के मोतियाबिंद के ऑपरेशन कराने के लिए शासन स्तर से स्वास्थ्य विभाग की तरफ से प्रति ऑपरेशन 2000 रुपये संबंधित संस्था को दिए जाते हैं। इस वित्तीय वर्ष में 30461 ऑपरेशन का लक्ष्य है। लेकिन अभी तक सिर्फ 18 प्रतिशत ही इसकी पूर्ति हो सकी है। इसी तरह बीते कई साल से भी इस काम में घोर लापरवाही बरती गई है। इसी के चलते दोनों संस्थाओं का अनुबंध समाप्त किया गया था। लेकिन अब फिर से उन्हीं दोनों संस्थाओं का अनुबंध शुरू करने की प्रक्रिया कई प्रकार के सवाल उठा रही है।
-जो भी संस्था अनुबंध की शर्त को पूरा करती है। उनको रख लिया जाता है। इसके बाद में वह संस्था काम करती है। अगर कहीं पर कोई चूक हुई है। तो उसकी जांच कराई जाएगी।
-डॉ. रामेश्वर मिश्रा, सीएमओ
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दो हजार रुपये प्रति ऑपरेशन होता भुगतान
जिले में लोगों की आंखों के मोतियाबिंद के ऑपरेशन कराने के लिए शासन स्तर से स्वास्थ्य विभाग की तरफ से प्रति ऑपरेशन 2000 रुपये संबंधित संस्था को दिए जाते हैं। इस वित्तीय वर्ष में 30461 ऑपरेशन का लक्ष्य है। लेकिन अभी तक सिर्फ 18 प्रतिशत ही इसकी पूर्ति हो सकी है। इसी तरह बीते कई साल से भी इस काम में घोर लापरवाही बरती गई है। इसी के चलते दोनों संस्थाओं का अनुबंध समाप्त किया गया था। लेकिन अब फिर से उन्हीं दोनों संस्थाओं का अनुबंध शुरू करने की प्रक्रिया कई प्रकार के सवाल उठा रही है।
-जो भी संस्था अनुबंध की शर्त को पूरा करती है। उनको रख लिया जाता है। इसके बाद में वह संस्था काम करती है। अगर कहीं पर कोई चूक हुई है। तो उसकी जांच कराई जाएगी।
-डॉ. रामेश्वर मिश्रा, सीएमओ
