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Chandauli News: किराये के कमरे में चल रही 3 फर्म के सहारे खरीदी गई कोडीनयुक्त सिरप
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संवाद न्यूज एजेंसी पीडीडीयू नगर। जिले में कोडीनयुक्त कफ सिरप की अवैध बिक्री और नशे के काले कारोबार का बड़ा मामला सामने आया है। उच्चाधिकारियों से मिली सूचना के आधार पर औषधि निरीक्षक ने तीन फर्मों के दर्ज पते पर गये तो वहां कुछ भी नहीं मिला।
सभी फर्में किराये के कमरों में चल रही थीं। भवन स्वामियों ने किराया नहीं मिलने फर्म संचालकों से कमरा खाली कराए जाने की बात कही। इस दौरान टीम के हाथ न तो कोई कफ सिरफ लगी और ना ही एक भी दस्तावेज। औषधि निरीक्षक बृजेश कुमार मौर्य की तहरीर के आधार पर विक्रेता कंपनी के प्रोपराइटर समेत चार लोगों के विरूद्ध प्राथमिकी दर्ज कर पुलिस मामले की जांच में जुट गई है।
मुगलसराय कोतवाली में दी गई तहरीर में औषधि निरीक्षक बृजेश कुमार मौर्य ने बताया कि मुख्यालय लखनऊ से मिले निर्देशों के आधार पर 15 से 18 नवंबर तक मुगलसराय कोतवाली क्षेत्र के जलीलपुर स्थित समृद्धि इंटरप्राइज़ेज, अलीनगर थाना क्षेत्र के जीवधीपुर स्थित च्वाइस डिस्ट्रीब्यूटर्स और मुगलसराय कोतवाली क्षेत्र के चतुर्भुजपुर स्थित एसपी फार्मा का निरीक्षण किया गया। तीनों फर्मों पर ताले लटके मिले और किसी भी जिम्मेदार व्यक्ति से संपर्क नहीं हो सका। पोर्टल पर दर्ज मोबाइल नंबर भी बंद निकले। भवन स्वामियों से पूछताछ में पता चला कि अंजलि कसेरा, आलोक प्रजापति और सबा परवीन नामक व्यक्तियों ने मेडिकल खोलने के नाम पर दुकानें किराए पर ली थीं, लेकिन कभी खोली ही नहीं और कई महीनों से किराया भी नहीं दिया।
मुख्यालय से प्राप्त दस्तावेजों में दर्ज है कि इन फर्मों ने झारखंड, रांची स्थित मेसर्स-शैली ट्रेडर्स प्रोपराइटर भोला प्रसाद से भारी मात्रा में कोडीनयुक्त सिरप की आपूर्ति कराई थी। मगर जांच में न तो स्टॉक मिला, न कोई बिल–वाउचर या रजिस्टर।
टीम ने तीनों फर्मों पर क्रय–विक्रय पर रोक लगाई। औषधि निरीक्षक के अनुसार कोडीनयुक्त सिरप एक नियंत्रित दवा है, जिसका उपयोग केवल चिकित्सकीय सलाह पर ही किया जा सकता है।
आरोप है कि संबंधित फर्मों ने इसे नशे के रूप में खुले बाजार में बेचकर अवैध लाभ कमाया। औषधि निरीक्षक की तहरीर पर भोला प्रसाद, अंजलि कसेरा, आलोक प्रजापति और सबा परवीन के विरुद्ध कोडीनयुक्त सिरप की आपूर्ति और बिक्री किये जाने का आरोपी बताया।
इस संबंध में मुगलसराय कोतवाली प्रभारी निरीक्षक गगनराज सिंह ने बताया कि तहरीर के आधार पर चार लोगों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कर जांच की जा रही है।
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सभी फर्में किराये के कमरों में चल रही थीं। भवन स्वामियों ने किराया नहीं मिलने फर्म संचालकों से कमरा खाली कराए जाने की बात कही। इस दौरान टीम के हाथ न तो कोई कफ सिरफ लगी और ना ही एक भी दस्तावेज। औषधि निरीक्षक बृजेश कुमार मौर्य की तहरीर के आधार पर विक्रेता कंपनी के प्रोपराइटर समेत चार लोगों के विरूद्ध प्राथमिकी दर्ज कर पुलिस मामले की जांच में जुट गई है।
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मुगलसराय कोतवाली में दी गई तहरीर में औषधि निरीक्षक बृजेश कुमार मौर्य ने बताया कि मुख्यालय लखनऊ से मिले निर्देशों के आधार पर 15 से 18 नवंबर तक मुगलसराय कोतवाली क्षेत्र के जलीलपुर स्थित समृद्धि इंटरप्राइज़ेज, अलीनगर थाना क्षेत्र के जीवधीपुर स्थित च्वाइस डिस्ट्रीब्यूटर्स और मुगलसराय कोतवाली क्षेत्र के चतुर्भुजपुर स्थित एसपी फार्मा का निरीक्षण किया गया। तीनों फर्मों पर ताले लटके मिले और किसी भी जिम्मेदार व्यक्ति से संपर्क नहीं हो सका। पोर्टल पर दर्ज मोबाइल नंबर भी बंद निकले। भवन स्वामियों से पूछताछ में पता चला कि अंजलि कसेरा, आलोक प्रजापति और सबा परवीन नामक व्यक्तियों ने मेडिकल खोलने के नाम पर दुकानें किराए पर ली थीं, लेकिन कभी खोली ही नहीं और कई महीनों से किराया भी नहीं दिया।
मुख्यालय से प्राप्त दस्तावेजों में दर्ज है कि इन फर्मों ने झारखंड, रांची स्थित मेसर्स-शैली ट्रेडर्स प्रोपराइटर भोला प्रसाद से भारी मात्रा में कोडीनयुक्त सिरप की आपूर्ति कराई थी। मगर जांच में न तो स्टॉक मिला, न कोई बिल–वाउचर या रजिस्टर।
टीम ने तीनों फर्मों पर क्रय–विक्रय पर रोक लगाई। औषधि निरीक्षक के अनुसार कोडीनयुक्त सिरप एक नियंत्रित दवा है, जिसका उपयोग केवल चिकित्सकीय सलाह पर ही किया जा सकता है।
आरोप है कि संबंधित फर्मों ने इसे नशे के रूप में खुले बाजार में बेचकर अवैध लाभ कमाया। औषधि निरीक्षक की तहरीर पर भोला प्रसाद, अंजलि कसेरा, आलोक प्रजापति और सबा परवीन के विरुद्ध कोडीनयुक्त सिरप की आपूर्ति और बिक्री किये जाने का आरोपी बताया।
इस संबंध में मुगलसराय कोतवाली प्रभारी निरीक्षक गगनराज सिंह ने बताया कि तहरीर के आधार पर चार लोगों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कर जांच की जा रही है।