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Farrukhabad News: हर साल 28.72 लाख खर्च, फिर भी खुले में फेंक रहे जैविक कचरा

Kanpur	 Bureau कानपुर ब्यूरो
Updated Mon, 15 Dec 2025 11:45 PM IST
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28.72 lakh spent every year, yet organic waste is being thrown in the open.
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फर्रुखाबाद। अस्पतालों से निकलने वाले जैविक कचरे के निस्तारण को लेकर शासन और जिला प्रशासन खासा सख्त है। इसके लिए लोहिया अस्पताल प्रतिवर्ष 28.72 लाख रुपये खर्च कर रहा है। बावजूद जिम्मेदारों की मनमानी के कारण यह कचरा खुले में फेंका जा रहा है। रात के वक्त कचरे में आग लगा देने से उठने वाले जहरीला धुएं से मरीजों को काफी परेशानी होती है। इसके बावजूद इसके लिए कोई ठोस उपाय नहीं किए जा रहे हैं।
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लोहिया अस्पताल में 210 बेड हैं। इनकी साफ सफाई और ब्लड बैंक, वार्डों, इमरजेंसी, पीडियाट्रिक, जीरियाट्रिक, ओटी, बर्न यूनिट, लैब आदि से निकलने वाले जैविक कचरे के निस्तारण के लिए दो माह पहले मैनपुरी की संस्था को 28.72 लाख रुपये वार्षिक पर काम दिया गया। संस्था कितना काम कर रही है, इसका जीता जागता उदाहरण अस्पताल की ओपीडी के सामने खाली पड़ी जमीन पर देखने को मिला। यहां जैविक कचरा के कई ढेर लगे थे। लैब में प्रयोग होने वाले सिरींज, बीगो, खून का नमूना लेने वाले सैकड़ों बॉयल, खून से सनी तमाम कॉटन व पट्टी समेत तमाम तरह का अस्पताल से निकला कचरा पड़ा था। इस कचरे को कई खूंखार कुत्ते चाट रहे थे। पिछले सप्ताह इसी कचरे में रात के वक्त आग लगा दी गई थी। इससे पूरे अस्पताल परिसर ही नहीं छात्रावास, वार्डों, इमरजेंसी आदि में भर्ती मरीजों और तीमारदारों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ा। इस मामले में जिम्मेदारों ने कोई ध्यान नहीं दिया।
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इमरजेंसी प्रभारी डॉ. अभिषेक चतुर्वेदी ने बताया कि जैविक कचरा जहां भी होगा, वहां सड़ने पर काला तरल पदार्थ निकालेगा। इससे मीथेन गैस बढ़ेगी। यही नहीं हवा प्रदूषित होने पर आसपास से निकलने वाले लोगों में संक्रमण बढ़ेगा। कम रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले लोगों को इससे दिक्कतें हो सकती है।
जैविक कचरा के निस्तारण में बरती जा रही लापरवाही को लेकर डीएम आशुतोष कुमार द्विवेदी खासे चिंतित हैं। उन्होंने निस्तारण की हकीकत परखने के लिए 15 दिन पहले डीएफओ राजीव कुमार को प्रभारी बनाया था। उन्होंने इस मामले में काम भी शुरू किया है।
-खुले मैदान में जैविक कचरा नहीं फेंका जा सकता। बाहर फेंकने की किसी ने उन्हें जानकारी नहीं दी है। यदि ऐसा है, तो मैं जांच करवाकर संबंधित पर कार्रवाई करूंगा।
-डॉ. जगमोहन शर्मा, सीएमएस लोहिया पुरुष अस्पताल।
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