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Farrukhabad News: गैरप्रांतों में बढ़ी मांग, एक क्विंटल महीन धान 400 रुपये महंगा
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कमालगंज। दो साल के बाद धान ने अपनी चाल बदली है। निर्यात बढ़ने से महीन धान का भाव 400 रुपये क्विंटल उछल गया है। इससे 3200 रुपये प्रति क्विंटल भाव हो गया है। वहीं सरकारी धान की खरीद 2369 व 2379 प्रति क्विंटल हो रही है। इन दिनों स्थानीय मंडी में हरियाणा, उत्तराखंड, पंजाब आदि के व्यापारी आकर खरीद कर रहे। खास बात यह कि महंगाई का फायदा किसानों के बजाय आढ़तियों व व्यापारियों को हो रहा है।
दो साल से धान उत्पादक किसान मंदी से बुरी तरह जूझ रहे थे। एक तो धान का उत्पादन काफी कम निकला। उस पर भाव भी बहुत कम और टूटे हुए। महीन धान में 1718 किस्म का धान किसानों को दो माह पहले 2700 से 2800 रुपये बेचना पड़ा। अब यही धान 3200 रुपये क्विंटल हो गया है। 1692 किस्म का धान 2450 से 2900 रुपये क्विंटल पहुंच गया। 2100 रुपये वाला ताज धान 2400 रुपये से ऊपर पहुंच गया है। खास बात यह कि पिछले वर्षों में आढ़तियों को धान उधार में बेचना पड़ता था। अब नकद में सौदे हो रहे हैं।
व्यापारियों का कहना है कि हरियाणा की चावल मिलों के लोग ब्रोकर के माध्यम से स्थानीय मंडी में खुद ही सौदे करने आ रहे हैं। माल देखकर वह खरीद कर रहे और एक प्रतिशत की कटौती के साथ आरटीजीएस से धान का भुगतान कर रहे। पहले मिल वाले माल खराब पहुंचने की बात कहकर कटौती कर लेते थे, वह नुकसान भी अब बंद हो गया। उत्तराखंड व पंजाब में भी धान जा रहा है। इस समय मंडी में आढ़तियों के पास करीब 50 ट्रक से अधिक धान है। बढ़े हुए भाव का फायदा लेने के लिए रोजाना चार से छह ट्रक धान की लोडिंग हो रही है। फर्रुखाबाद के व्यापारी मिंटू मिश्रा ने बताया कि धान का निर्यात खुलने से तेजी आई है। आढ़ती संघ के पूर्व अध्यक्ष संजय कमल ने कहा कि दो साल से किसानों के साथ ही व्यापारियों को धान में घाटा हो रहा था। अब उससे उबरने की उम्मीद है।
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दो साल से धान उत्पादक किसान मंदी से बुरी तरह जूझ रहे थे। एक तो धान का उत्पादन काफी कम निकला। उस पर भाव भी बहुत कम और टूटे हुए। महीन धान में 1718 किस्म का धान किसानों को दो माह पहले 2700 से 2800 रुपये बेचना पड़ा। अब यही धान 3200 रुपये क्विंटल हो गया है। 1692 किस्म का धान 2450 से 2900 रुपये क्विंटल पहुंच गया। 2100 रुपये वाला ताज धान 2400 रुपये से ऊपर पहुंच गया है। खास बात यह कि पिछले वर्षों में आढ़तियों को धान उधार में बेचना पड़ता था। अब नकद में सौदे हो रहे हैं।
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व्यापारियों का कहना है कि हरियाणा की चावल मिलों के लोग ब्रोकर के माध्यम से स्थानीय मंडी में खुद ही सौदे करने आ रहे हैं। माल देखकर वह खरीद कर रहे और एक प्रतिशत की कटौती के साथ आरटीजीएस से धान का भुगतान कर रहे। पहले मिल वाले माल खराब पहुंचने की बात कहकर कटौती कर लेते थे, वह नुकसान भी अब बंद हो गया। उत्तराखंड व पंजाब में भी धान जा रहा है। इस समय मंडी में आढ़तियों के पास करीब 50 ट्रक से अधिक धान है। बढ़े हुए भाव का फायदा लेने के लिए रोजाना चार से छह ट्रक धान की लोडिंग हो रही है। फर्रुखाबाद के व्यापारी मिंटू मिश्रा ने बताया कि धान का निर्यात खुलने से तेजी आई है। आढ़ती संघ के पूर्व अध्यक्ष संजय कमल ने कहा कि दो साल से किसानों के साथ ही व्यापारियों को धान में घाटा हो रहा था। अब उससे उबरने की उम्मीद है।
