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बारिश शुरू हुई तो दक्षिणी नोन नदी में दिखा पानी
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rain
- फोटो : GHATAMPUR
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घाटमपुर (कानपुर)। इलाके में मानसूनी बारिश शुरू होने के साथ किसानों ने खेतों में धान की रोपाई चालू कर दी है। सूखे जलस्रोतों में पानी भरा दिखने लगा है। साल के आठ माह सूखी रहने वाली दक्षिणी नोन नदी बारिश के पानी से उफनाने लगी है। मुगल रोड स्थित बेंदा गांव के पास नदी का जलस्तर बढ़ रहा है। वहीं, तालाब-पोखर भरने लगे हैं।
क्षेत्रीय किसानों रामबाबू यादव (शेरपुर), सुरेंद्र सिंह (शीतलपुर-जलाला), भोला सचान (कुंवरपुर), रमेश यादव (बरौली), ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानी (तिलहली) और रामचंद्र तिवारी (गुजेला) ने बताया कि दक्षिणी नोन नदी बारिश के दिनों में उफनाती है। बताया कि रबी की फसलों के समय के बीच नदी में नहर का पानी छोड़े जाने से वह खेतों का पलेवा और फसलों की सिंचाई करते हैं। मई-जून में पानी छोड़े जाने से मवेशियों के लिए पानी की समस्या का समाधान होता है।
ग्रामीणों ने बताया कि कई वर्षों बाद इसबार नदी में मई-जून माह में पानी न आने से पेयजल संकट छाया था। इधर, मानसूनी बारिश भी निर्धारित समय से करीब दस दिन लेट शुरू हुई। नदी और जलस्रोत सूखे पड़े थे। किसानों ने बताया कि इलाके में सप्ताह से शुरू हुई बारिश के चलते उन्होंने खेतों में धान की रोपाई का काम युद्धस्तर पर शुरू कर दिया है। खरीफ की फसलों ज्वार, मक्का, तिली, अरहर और उड़द-मूंग की बुवाई का काम अंतिम चरण में है।
बिजली गिरने से खेत में बना गड्ढा
भीतरगांव। गांव मुल्लाखेड़ा (साढ़) में गुरुवार की देर रात तेज आवाज के साथ खेतों में बिजली गिरी। शुक्रवार सुबह गांववालों ने खेत में गहरा गड्ढा देखा। गांव निवासी शैलेंद्र सिंह और अजय यादव ने बताया कि खेत में जिस जगह बिजली गिरी है। वहां पर कुएं के आकार में काफी बड़ा गड्ढा बन गया है। वहीं, कुछ लोगों ने बताया कि खेत में बारिश का पानी भरने से भी गड्ढा बन सकता है।
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क्षेत्रीय किसानों रामबाबू यादव (शेरपुर), सुरेंद्र सिंह (शीतलपुर-जलाला), भोला सचान (कुंवरपुर), रमेश यादव (बरौली), ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानी (तिलहली) और रामचंद्र तिवारी (गुजेला) ने बताया कि दक्षिणी नोन नदी बारिश के दिनों में उफनाती है। बताया कि रबी की फसलों के समय के बीच नदी में नहर का पानी छोड़े जाने से वह खेतों का पलेवा और फसलों की सिंचाई करते हैं। मई-जून में पानी छोड़े जाने से मवेशियों के लिए पानी की समस्या का समाधान होता है।
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ग्रामीणों ने बताया कि कई वर्षों बाद इसबार नदी में मई-जून माह में पानी न आने से पेयजल संकट छाया था। इधर, मानसूनी बारिश भी निर्धारित समय से करीब दस दिन लेट शुरू हुई। नदी और जलस्रोत सूखे पड़े थे। किसानों ने बताया कि इलाके में सप्ताह से शुरू हुई बारिश के चलते उन्होंने खेतों में धान की रोपाई का काम युद्धस्तर पर शुरू कर दिया है। खरीफ की फसलों ज्वार, मक्का, तिली, अरहर और उड़द-मूंग की बुवाई का काम अंतिम चरण में है।
बिजली गिरने से खेत में बना गड्ढा
भीतरगांव। गांव मुल्लाखेड़ा (साढ़) में गुरुवार की देर रात तेज आवाज के साथ खेतों में बिजली गिरी। शुक्रवार सुबह गांववालों ने खेत में गहरा गड्ढा देखा। गांव निवासी शैलेंद्र सिंह और अजय यादव ने बताया कि खेत में जिस जगह बिजली गिरी है। वहां पर कुएं के आकार में काफी बड़ा गड्ढा बन गया है। वहीं, कुछ लोगों ने बताया कि खेत में बारिश का पानी भरने से भी गड्ढा बन सकता है।
